भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता देने का समय बना है – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या के भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थान प्राप्त नहीं होता, यह मुद्दा राष्ट्र संघ की नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है। इसी वजह से संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद को अधिक जनतांत्रिक एवं प्रातिनिधिक स्वरूप प्रदान करने का अवसर बना है। इसके लिए भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त होनी चाहिये, ऐसा बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है। 

संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति मुहिम के ७५ वर्ष पूरे होने के अवसर पर नई दिल्ली में चर्चा का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर भारत में नियुक्त राष्ट्र संघ के समन्वयक शॉम्बी शार्प मौजूद थे। इस अवसर पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर भारत का अधिकार होने का बयान ड़टकर किया। संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति अभियान के लिए भारत ने अबतक २.७५ लाख सैनिकों की तैनाती की थी, इसपर रक्षा मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। आज भी दुनियाभर में शुरू संयुक्त राष्ट्र संघ के १२ शांति अभियानों में भारत ने लगभग छह हज़ार सैनिकों की तैनाती की है, इसपर भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ध्यान आकर्षित किया।

दो देशों के संघर्ष में सीर्फ वह दो देश ही नहीं, बल्कि अन्य देश भी कुचले जाते हैं, यह कहकर राजनाथ सिंह ने रशिया और यूक्रेन के शुरू युद्ध का दाखिला दिया। इस युद्ध की वजह से अफ्रीकी महाद्वीप के देशों में अनाज़ की भीषण किल्लत निर्माण हुई है। साथ ही यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व के सामने ईंधन का संकट खड़ा हुआ है। इसी कारण से दुनिया भर में शांति स्थापित करना बड़ा आवश्यक बनता है। युद्ध में उतरे देशों ने इसी वजह से शांति स्थापित करने के लिए पहल करके अन्य देशों के सामने खड़े संकट को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे, यह आवाहन भी भारतीय रक्षा मंत्री ने किया।

इसी बीच, पहले भी यूक्रेन युद्ध का दाखिला देकर संयुक्त राष्ट्र संघ प्रभाव हीन बना होने की आलोचना भारत ने की थी। आगे के समय में राष्ट्र संघ को अपनी विश्वासार्हता बनाए रखनी हैं तो सुरक्षा परिषद का विस्तार करने के साथ ही भारत को स्थायी सदस्यता प्रदान करने के अलावा अन्य विकल्प नहीं होगा, यह इशारा भारत दे रहा है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर, संयुक्त राष्ट्र संघ में नियुक्त भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज लगातार यह मांग उठा रहे हैं। इसे अनदेखा करना राष्ट्र संघ के स्थायी सदस्य देशों के लिए कठिन हुआ है। इसी वजह से नकाराधिकार के बिना भारत को स्थायी सदस्यता प्रदान करने का प्रस्ताव इन देशों ने पेश करने की चर्चा हुई थी। लेकिन, भारत ने यह प्रस्ताव ठुकराया है और नकाराधिकार के बिना स्थायी सदस्यता बेमतलब है, ऐसी फटकार लगाई थी।

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