अमरिकी प्रतिबंधों की जोखिम होते हुए भी भारत-रशिया करेंगे ‘आयएनएसटीसी’ पर अमल

नई दिल्ली: भारत और रशिया अब ईरान के रास्ते अपनी यातायात शुरू करके अपना द्विपक्षिय व्यापार बढाने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू कर रहे है। इसके लिए ७,२०० किलोमीटर का ‘इंटरनैशनल नार्थ-साउथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ (आयएनएसटीसी) का निर्माण हो रहा है। फिलहाल ईरान पर अमरिका ने कडे प्रतिबंध लगाए है और ईरान के साथ व्यापार कर रहे एवं ईरान का समवेश होनेवाली परियोजनाओं पर अमरिका कडे प्रतिबंध लगा रही है। ऐसी स्थिति में भी अमरिकी प्रतिबंधों की जोखिम स्वीकार करके भारत और रशिया इस परियोजना के लिए काम करते दिख रहे है।

रशिया और भारत पारंपरिक मित्रदेश है। दोनों देशों की मित्रता समय की कसौटी पर बनी रही है। दुनिया भर में हो रही उथल पुथल का इस पर विशेष असर नही होता। फिर भी दोनों देशों की इस पुख्ता मित्रता का असर द्विपक्षिय व्यापार पर नही हुआ है। दोनों देशों का सालाना व्यापार ११ अरब डॉलर्स ही है। वर्ष २०२५ तक इसे बढाकर ३० अरब डॉलर्स तक उंचाने का उद्देश्‍य दोनों देशों ने रखा है। पर, दोनों देशों का भौगोलिक अंतर ही इस व्यापार के बीच बनी सबसे बडी समस्या समझी जाती है। इसी वजह से व्यापारी यातायात अधिक गतिमान और सुलभ करने के लिए ‘आयएनएसटीसी’ का निर्माण करने का निर्णय हुआ था। इस कॉरिडॉर का इस्तेमाल करके ईरान के रास्ते अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अझरबैजान और रशिया तक व्यापारी यातायात करना संभव होगा।

इस कॉरिडॉर की वजह से यातायात का खर्च काफी कम भी हो सकता है। समुद्री, रेल और रास्तों से यह यातायात की जाएगी। इस कॉरिडॉर की वजह से १५ टन सामान की यातायात के कुल खर्च में २,५०० डॉलर्स की बचत होगी, यह अंदाजा जताया जा रहा है।

‘कंटेनरल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ (कॉनकॉर) और रशियन रेल्वे के ‘लॉजिस्टिक जॉईंट स्टॉक कंपनी’ (आरझेडडी) ने इससे संबंधित समझौता किया है। तीन महीनों में भारत और रशिया के इस व्यापारी मार्ग की शुरूआत होगी। इसके बाद भारतीय एवं रशियन व्यापारी एकदुसरे का सामान सीधे एक दुसरें के देश में भेजेंगे, यह बात कॉनकॉर के अध्यक्ष व्ही.कल्याण रामा ने कही। ईरान के रास्ते कॉरिडोर का निर्माण करने के लिए भारत, रशिया और ईरान ने वर्ष २००२ में ही समझौता किया था। भारत और अफगानिस्तान के बीच के व्यापारी मार्ग में पाकिस्तान ने अडंगा लाने के बाद भारत ने ईरान के साथ छाबहार बंदरगाह का निर्माण करके अफगानिस्तान के लिए सामान की यातायात करने के लिए विकल्प तैयार किया था। इस छाबहार बंदरगाह के रास्ते अक्टुबर २०१७ में गुजरात के कांडला बंदरगाह से अफगानिस्तान में गेंहू की निर्यात की गई थी।

अब ‘आयएनएसटीसी’ की वजह से भारत-रशिया व्यापार अधिक आसान हुआ है और इससे दोनों देशों को लाभ प्राप्त होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.