ईंधन के दर नियंत्रण में रखने के लिए भारत की पहल – चीन, जापान और दक्षिण कोरिया की सहायता लेंगे

नई दिल्ली: ईंधन तेल के दाम प्रति बैरल ७० डॉलर्स तक बढने के बाद भारतीय वित्त व्यवस्था के अच्छे दिन खत्म हो जायेंगे ऐसा इशारा वित्ततज्ञ दे रहे हैं। ईंधन उत्पादन करनेवाले देशों ने उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लेने के बाद ईंधन के दाम बढ़ते गए और ईंधन के दरों ने पिछले ४ वर्षों का उच्चतम स्तर पार किया है। इसकी वजह से भारतीय वित्त व्यवस्था पर दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में भारत ने जापान, चीन एवं दक्षिण कोरिया इन ईंधन के बड़े तादाद में आयात करने वाले आशियाई देशों को साथ लाते हुए, ईंधन के दाम नियंत्रित करने के लिए गतिविधियां शुरू की है।

ईंधन, दर नियंत्रण, भारत की पहल, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, सहायता, नई दिल्ली, भारतीय अर्थव्यवस्था३ दिनों पहले भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बारे में जानकारी उजागर की थी। ईंधन के दाम निश्चित करते हुए उत्पादक देशों के साथ ग्राहक देशों का भी विचार किया जाए, ऐसी मांग करके पेट्रोलियम मंत्री ने इसके लिए भारत प्रयत्न कर रहा ऐसा स्पष्ट किया है। जापान, चीन एवं दक्षिण कोरिया जैसे आशिया खंड के महत्वपूर्ण देशों की सहायता लेते हुए भारत ईंधन उत्पादक देश कच्चे तेल के दाम सुयोग्य रखें इसके लिए गतिविधियां करने वाला है। सऊदी अरेबिया जैसे देश आशियाई देशों को कर रहे ईंधन तेल के निर्यात पर विशेष कर जारी कर रहा है। जिसकी वजह से भारत के साथ चीन, जापान और दक्षिण कोरिया को भी वर्ष के आखिर तक अरबों डॉलर का भार सहन करना पड़ रहा है, इस पर पेट्रोलियम मंत्री ने ध्यान केंद्रित किया है।

ऐसी परिस्थिति में चार आशियाई देश ईंधन दामों के बारे में अधिक प्रभावी तौर पर समझौते करें ऐसा आवाहन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया है। इससे पहले भी सन २००५ में भारत में ऐसे ही प्रयत्न करके ईंधन की आयात करने वाले प्रमुख देशों को साथ लाने के प्रयत्न किए थे। फिलहाल खाड़ी देश एवं पर्शियन खाड़ी क्षेत्र में हो रहे तनाव की वजह से सीरिया में शुरू संघर्ष का रूपांतर घनघोर युद्ध में होकर ईरान, इस्राइल, सऊदी अरेबिया के साथ अन्य ईंधन उत्पादक देश भी उसमे खींचे जाने की संभावना स्पष्ट हो रही हैं।

ऐसा हुआ तो ईंधन के दाम अधिक भडकेंगे। यह संघर्ष टालने की संभावना नहीं, पर अगर संघर्ष नहीं भड़का तो फिर भी ओपेक इस ईंधन उत्पादक देशों के संगठन की बैठक में सऊदी अरेबिया ने ईंधन तेल के दाम प्रति बैरल १०० डॉलर्स तक ले जाने की मांग की थी। इसलिए हमें ईंधन सुयोग्य दामों में प्रदान हो इसके लिए प्रमुख देशों ने गतिविधियां शुरू की है। इस पृष्ठभूमि पर भारत का जापान एवं चीन और दक्षिण कोरिया इन देशों को साथ लाते हुए ईंधन उत्पादन करनेवाले देशों पर दबाव डालने का प्रयत्न करना आवश्यक बना है।

इस महीने की शुरूआत से चीन ने भारत के आवाहन को प्रतिक्रिया देकर ईंधन उत्पादक देशों के दामों के बारे में एकत्रित तौर पर समझौते करने की तैयारी दिखाई थी। जापान और दक्षिण कोरिया इस खाड़ी के प्रमुख देशों ने भी उन्हें मंजूरी दी थी। तथा ग्राहक देशों का प्रबल गट तैयार होकर इन देशों को अधिक सुयोग्य दामों में ईंधन प्रदान हो सकता है। जागतिक स्तर पर बहुत बड़ी उथलपुथल होते समय सुयोग्य दामों में ईंधन उपलब्ध होने पर उसका बहुत बड़ा लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को मिल सकता है।

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