भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त हो – जर्मनी के राजदूत लिंडनर ने रखी मांग

नई दिल्ली – भारत को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्रदान करनी ही होगी, ऐसा भारत में नियुक्त जर्मनी के राजदूत ने कहा है| करीबन १.४ अरब जनसंख्या होनेवाला भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नही है, यह बात संयुक्त राष्ट्रसंघ की व्यवस्था को झटका देनेवाली है, ऐसा जर्मन राजदूत वॉल्टर जे लिंडनर इन्होंने कहा है| भारत के साथ जर्मनी, जापान और ब्राजिल भी सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है| इन देशों ने ‘जी-४’ गुट का गठन किया है और सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की मांग जोर के साथ रख रहे है|

नई दिल्ली में पत्रकारों के साथ की बातचीत के दौरान राजदूत लिंडनर ने ‘जी-४’ देश सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए जोर के साथ कोशिश कर रहे है, यह जानकारी दी| १.४ अरब जनसंख्या होनेवाला भारत अभी भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नही है| यह बात संयुक्त राष्ट्रसंघ ने बनाई व्यवस्था की विश्‍वासार्हता कम कर रही है| इसी लिए भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता देनी ही होगी, यह मांग लिंडनर इन्होंने रखी| साथ ही भारत और जर्मनी कई स्तरों पर सहयोग कर रहे है, यह जानकारी भी उन्होंने इस दौरान दी| खास तौर पर पुलवामा में हुए आतंकी हमले के पीछे होनेवाले ‘मसूद अजहर’ को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार देने के लिए जर्मनी ने भी कोशिश की थी, इस ओर लिंडनर इन्होंने ध्यान आकर्षित किया|

‘अजहर’ मामले में जर्मनी ने भी संबंधित देशों के साथ बातचीत की थी| ‘अजहर’ को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार देना काफी अहम था| आतंक के मुद्दे पर भी जर्मनी भारत के पक्ष में है| क्यों की जर्मनी को भी आतंकवाद खतम करना है, यह दावा राजदूत लिंडनर इन्होंने किया| साथ ही भारत में आनेवाली नई सरकार के साथ जर्मनी सहयोग बढाएगी, यह भी राजदूत लिंडनर ने कहा| इस दौरान, कुछ हफ्तें पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त फ्रान्स के राजदूत फ्रॉंकोईस देलात्रे ने भी भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त हो, यह मांग रखी थी|

भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजिल इन देशों को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यात प्राप्त होने पर इस संस्था की वैधता और विश्‍वासार्हता में बढोतरी होगी, यह दावा राजदूत देलात्रे ने किया था| इसके पहले भी फ्रान्स ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत ने की दावेदारी का बलपूर्वक समर्थन किया था| ब्रिटेन ने भी इस सदस्यता के लिए भारत को समर्थन घोषित किया है| एवं, रशिया भी भारत की सदस्यता के लिए समर्थन दे रही है| वही, अमरिका ने भारत की दावेदारी मजूबत होने की बात कहकर इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों में बदलाव करने की जरूरत होने का दावा किया है| लेकिन, भारत की स्थायी सदस्यता के लिए चीन का विरोध है और चीन ने भारत की सदस्यता के विरोध में भूमिका अपनाई है| उजागर तौर पर चीन ने इस विरोध का जिक्र किया नही है, फिर भी अपने प्रतिस्पर्धी देश को स्थायी सदस्यता प्राप्त होती है तो एशिया महाद्विप में एवं जागतिक स्तर पर अपनी अहमियत कम होगी, यह डर चीन को सता रहा है| ऐसा होते हुए भी भारत को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से ज्यादा समय तक दूर रखना मुमकिन नही है, ऐस विश्‍लेषकों का कहना है|

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