भारत ने भूटान के सामने रखा, सकतेंग अभ्यारण्य में सड़क बनाने का प्रस्ताव

– अभ्यारण्य के बारे में चीन के दावे के बाद भारत ने उठाया कदम

नई दिल्ली – लद्दाख में भारत और चीन सैन्य आमने सामने खड़े होते समय, कुछ दिन पहले चीन ने, भूटान का सकतेंग अभ्यारण्य यह अपना हिस्सा होने का दावा किया था| यह हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के साथ जुडा हुआ होने के कारण, भारत के साथ नया मोरचा खोलने की चीन की योजना स्पष्ट हुई थी| इसी पृष्ठभूमि पर, इसी सकतेंग अभ्यारण्य में से मार्ग बनाने का प्रस्ताव भारत ने भूटान के सामने रखा होने की खबर है। इस मार्ग के कारण, भूटान के पूर्व की ओर तथा चीन से सटी अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक तेज़ी से सैन्य तैनाती संभव होगी।

Bhutanपिछले महीने चीन ने, भूटान के सकतेंग अभ्यारण्य के क्षेत्र पर दावा किया था। सकतेंग अभ्यारण्य भूटान के लिए सांस्कृतिक महत्व का भी है। चीन और भूटान के बीच कुछ स्थानों पर सीमा विवाद है और सन १९८४ से दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। लेकिन इतने वर्षों में चीन ने कभी भी, सकतेंग अभ्यारण्य का मुद्दा नहीं उठाया था। चीन द्वारा पहली ही बार इस भूभाग पर किये गये इस दावे की ओर विश्लेषक, चीन की भारत विरोधी रणनीति के हिस्से के रूप में देख रहे हैं।

चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता आया है। सकतेंग अभ्यारण्य पर किया गया दावा, अरुणाचल प्रदेश के लिए चीन के दावे का विस्तारित रूप है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन भारत के लिए एक नया मोरचा खोलने की तैयारी कर रहा है। भूटान ने स्पष्ट रूप से चीन को चेतावनी दी है कि सकतेंग अभ्यारण्य उसका संप्रभुत अधिकार है| भारत को इसका एहसास है कि विस्तारवादी चीन भविष्य में नई ख़ुराफ़ातें शुरू कर सकता है।

इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने असम के गुवाहाटी और अरुणाचल प्रदेश के तवांग के बीच की दूरी को कम करनेवाला और भूटान में सकतेंग अभ्यारण्य के बीच से गुज़रनेवाले मार्ग का प्रस्ताव रखने की खबर है। तवांग के पास से लुमला और भूटान के ट्राशीगॅंग को यह सड़क जोडेगी| गुवाहाटी-ट्राशीगॅंग-तवांग मार्ग गुवाहाटी और तवांग के बीच की दूरी को १५० किमी से कम कर देगा। इसी कारण, यदि चीन कोई सैनिकी गतिविधि करता है, तो भारत न केवल तवांग में, बल्कि भूटान के पूर्वी हिस्से में भी सैनिकों को तेज़ी से तैनात कर सकता है। इसलिए, सुरक्षा की दृष्टि से यह प्रस्ताव भूटान के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

इसी बीच सन २०१७ में, चीन ने भूटानी सीमाक्षेत्र में ही घुसपैठ करके डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी, लेकिन इस साज़िश को भारत ने नाकाम कर दिया था। भूटान की विदेश नीति और सुरक्षा भारत द्वारा नियंत्रित की जाती है। इसपर चीन को ऐतराज़ है| भूटान जैसे देश पर चीन अपना प्रभाव जमा नहीं सका है, यह बात चीन को परेशान कर रही स्पष्ट दिख रही है| यही कारण है कि चीन ने सकतेंग अभ्यारण्य का दावा करते समय, भारत पर निशाना साधते हुए कहा था कि कोई तीसरा देश इस विवाद में दख़लअन्दाज़ी ना करें|

Leave a Reply

Your email address will not be published.