भारत पर दबाव बढाने के लिए भूटान का मोर्चा खोलने की चीन की साज़िश

नई दिल्ली – लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना वर्चस्व स्थापित कर रही है और इससे चीनी सेना की स्थिति काफी ख़राब होने का निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय माध्यम व्यक्त कर रहे हैं। इस बात पर अपनी जनता का ध्यान केंद्रीत ना करने के लिए चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत भारत के खिलाफ ज़हरी दुष्प्रचार कर रही है। साथ ही लद्दाख की सीमा से भारत का ध्यान दूसरी तरफ बटाने के लिए चीन ने भूटान के करीबी सीमा पर बड़ी मात्रा में लष्करी गतिविधियां शुरू की हैं। भूटान जैसे छोटे देश की सुरक्षा का ज़िम्मा उठा रहे भारत पर इससे लष्करी तनाव और भी बढ़ेगा, ऐसा तर्क इन गतिविधियों के पीछे है।

बीते सात महीनों से लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन का संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में भारतीय सेना ने अपनाई आक्रामक भुमिका की वजह से चीन को बड़ा झटका लगा हुआ दिख रहा है। खास तौर पर गलवान वैली में हुए संघर्ष के बाद भारत ने बढ़ाई लष्करी गतिविधियां चीन की चिंता बढ़ा रही हैं। ऐसे में ही प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर स्थित अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने की चीनी सेना की साज़िश भारतीय सेना ने नाकाम की और इन पहाड़ियों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। भारतीय सेना के दल ने दिखाए इस शौर्य का संज्ञान अमरीका और यूरोपिय देशों ने लिया है। इस संघर्ष में भारतीय सेना वर्चस्व बनाए होने की बात स्पष्ट है, ऐसा निष्कर्ष पश्‍चिमी देशों के अभ्यासगुट दर्ज़ कर रहे हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने भी भारतीय सेना ने चीन की सेना को जोरदार प्रत्युत्तर दिया है, ऐसे दावे किए गए हैं। इससे भारत के विरोध में चमकाने वाली लष्करी कार्रवाई करने का दबाव चीन पर है।

भारतीय सेना के नियंत्रण का क्षेत्र एवं अहम पहाड़ियां वापिस हासिल करने के लिए चीनी सेना बड़ी कोशिश कर रही है। लेकिन, चौकन्ने भारतीय सैनिक उनकी यह साज़िशें नाकाम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में चीन ने अरुणाचल प्रदेश की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर मोर्चा खोलने की धमकी देकर भारत को विचलित करने की कोशिश की। अब भूटान से जुड़ी सीमा पर चीन अपनी लष्करी तैनाती बढ़ा रहा है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार भूटान की सुरक्षा का पूरा ज़िम्मा भारत पर है। इसी वजह से वर्ष २०१७ में भूटान की सीमा में घुसपैठ करने की एवं वहां पर रास्तों का निर्माण करने की कोशिश कर रही चीनी सेना को भारतीय सेना ने रोक रखा था। डोकलाम में सत्तर से अधिक दिनों तक भारत और चीन की सेना एक दूसरे के आमने-सामने थी और चीन की सेना को वहां से पीछे हटना पड़ा था। लद्दाख में संघर्ष भड़कने की स्थिति बनी होते हुए चीन की सेना भूटान की सीमा पर और एक मोर्चा खोलकर भारत को नई चुनौती देने की कोशिश कर रही है।

चीन ऐसे दांवों का इस्तेमाल कर सकता है, इसका पूरा अहसास भारतीय सेना को होने से चीन को प्रतुत्तर देने की पूर्व तैयारी भारत ने पहले से ही किए होने के दावे पूर्व लष्करी अधिकारी कर रहे हैं। साथ ही भारतीय सेना से प्राप्त हो रहे प्रत्युत्तर की वजह से चीन पर बने तनाव में भी काफी बढ़ोतरी हुई है और इसी कारण चीन अलग अलग मोर्चे खोल रहा है। इसी वजह से भारत ने अपनी लष्करी आक्रामकता बरकरार रखनी होगी और चीनी सेना को जरासा भी अवसर नहीं देना है, यह बात पूर्व लष्करी अधिकारी कह रहे हैं। प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना अपनी आक्रामकता कम करे, इस उद्देश्‍य से चीन ने मास्को में भारत के साथ राजनयिक चर्चा करने का आग्रह किया था। भारत को चर्चा में व्यस्त रखकर गाफिल करके आक्रामक लष्करी कार्रवाई करने का दांव चीन ने रचा था। आज तक चीन ने ऐसे ही विश्‍वासघाती नीति अपनाई है। लेकिन, अब चीन को ऐसा अवसर प्रदान करने की गलती भारत को नहीं करनी चाहिए, ऐसे इशारे लष्करी विश्‍लेषक दे रहे हैं।

आने वाले दिनों में घेराबंदी में फंसी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत भारत को किसी भी स्तर पर झटका देने की कोशिश कर सकती है। लेकिन, जागतिक जनमत अपने खिलाफ़ गया है, इस बात का अहसास भी चीन की हुकूमत को है। इसी वजह से चीन की गतिविधियों पर काफी मर्यादा आ रही है। ऐसे समय में भारत अपनी भूमिका अधिक आक्रामक करे और चीन को सबक सिखाए, ऐसी उम्मीद चीन का दबाव महसूस कर रहे एशियाई देश व्यक्त कर रहे हैं।

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