भारत के नौदल प्रमुख रशिया के भेंट पर

मास्को – भारत और रशिया में पारंपारिक सहयोग वृद्धिंगत करने के लिए नौदल प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा रशिया में दाखिल हुए हैं| इस दौरे में नौदल प्रमुख लांबा रशिया भारत को प्रदान कर रहे परमाणु पनडुब्बी का ब्यौरा करेंगे| साथ ही आयएनएस विक्रमादित्य एवं भारत के विमान वाहक युद्ध नौकाओं के लिए मिग-२९के लड़ाकू विमान प्रदान करने के बारे में व्यवहार पर एडमिरल सुनील लांबा भारत की भूमिका प्रस्तुत करेंगे|

भारतीय नौदल ने अरबी समुद्र में हिंद महासागर तथा बंगाल के उपसागर इन क्षेत्र तक अपनी गतिविधियां सीमित रखी थी| पर पिछले कई वर्षों में भारतीय नौदल के कक्षा बढ़ रही है और प्रशांत महासागर से रेड सी तक भारतीय नौदल के तैनाती बढ़ी है| साथ ही भारतीय नौदल ने अपने रक्षा तैयारी में भी बढ़ोतरी करने के लिए आक्रामक निर्णय लिए हैं| नौदल में कार्यरत पुरानी पनडुब्बीओं को सेवानिवृत्त करके उनके जगह परमाणु पनडुब्बी तैनात करने के संकेत दिए हैं| इस पृष्ठभूमि पर पारंपरिक सहयोगी देश रशिया ने युद्धनौका, विध्वंसक और पनडुब्बीओं के निर्माण करने के लिए भारत को सहयोग प्रदान किया है|

उसके बाद भारत रशिया से छह पनडुब्बीयों की खरीदारी करने वाला है| दोनों देशों के नौदल में इस बारे में चर्चा हुई है और भारत के आवश्यकता के अनुसार रशिया ने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है| रशिया भारत को अत्यंत कम दाम में एक पनडुब्बी का निर्माण करके देने वाला है| इस निर्माण के बाद रशिया इन पनडुब्बी के निर्माण का तंत्रज्ञान भारत को प्रदान करने वाला है| इस तंत्रज्ञान के आधार पर भारत देश के अंतर्गत ६ परमाणु पनडुब्बी का निर्माण करेगा| जिसकी वजह से भारतीय नौदल की क्षमता में बड़े तादाद में बढ़ोतरी होगी| मुख्य तौर पर परमाणु पनडुब्बी निर्माण का तंत्रज्ञान भारत को मिलने से देश के नौदल का समावेश अग्रगण्य देशों के नौदल में हो सकता है|

नौदल प्रमुख लांबा इनका यह रशिया दौरा सहयोग पर आधारित है| ४ दिनों के रशिया दौरे पर होने वाले एडमिरल लांबा ने रशिया में दाखिल होते समय सैंट पीटर्सबर्ग में रशियन नौदल के एडमिरल्टी शिपयार्ड को भेंट दी है| इस जगह शुरू होनेवाले पनडुब्बीओं के निर्माण का नौदल प्रमुख ने ब्यौरा किया है|

भारतीय वित्त व्यवस्था उत्तम गति से प्रगति कर रही है और भारत का व्यापारी परिवहन बढ़ता जा रहा है| इस परिवहन को सुरक्षा देने के लिए भारतीय नौदल को अपनी क्षमता में बहुत बड़ी बढ़ोतरी करनी होगी, इसका एहसास देश के वरिष्ठ अधिकारियों को इस पहले ही दिलाया था| इतना ही नहीं तो, देश के सागरी सुरक्षा के सामने होनेवाली चुनौतियों का विचार करते हुए भारत के नौदल की यात्रा ‘ब्राउन वॉटर नेवी’ से ‘ब्लू वाटर नेवी’ तक होना आवश्यक होने की बात विशेषज्ञों ने कही है| भारत ने इस दिशा से कदम उठाए हैं, ऐसा स्पष्ट दिखाई देने लगा है|

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