रशिया की पहल से अफगान शांति वार्ता में तालिबान के साथ नौ देश शामिल; भारत की अनाधिकारिक तौर पर उपस्थिति

मास्को – अफगानिस्तान में शांती प्रस्थापित करने के लिये अब अमरिका के साथ ही रशिया ने भी सक्रियता से पहल की है| शुक्रवार के दिन रशिया की राजधानी मास्को में तालिबान और अफगान पीस काऊंसिल के साथ लगभग नौ देशों की उपस्थिति में अफगान शांति वार्ता की शुरूआत हुई| इस वार्ता के दौरान एक अमरिकी अधिकारी और दो भारतीय अधिकारियों की अनाधिकारिक उपस्थिति ध्यान केंद्रीत करने वाली रही|

रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लाव्हरोव्ह इनकी उपस्थिति में रशिया में दुसरी अफगान शांति वार्ता की शुरूआत हुई| ‘यह बैठक अफगानिस्तान में राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाये रखने की कोशिश का भाग है और अफगानिस्तान के सभी घटकों में संवाद होने के उद्देश्य से आयोजित की गई है| अफागनिस्तान के इतिहास का नया पन्ना शुरू हो, इस लिये हम हर तरह की कोशिश करने के लिये प्रतिबद्ध है, इन शब्दों में रशियन विदेश मंत्री ने इस बैठक का उद्घाटन किया|

रशिया के अलावा पाकिस्तान, ईरान, चीन, ताजिकिस्तान, उझबेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान इन देशों ने इस बैठक के लिये प्रतिनिधी भेंजे थे| अमरिका की मास्को दूतावास ने भी अपना एक अधिकारी इस बैठक के लिये बतौर निरिक्षक भेजा था| अफगानिस्तान के भारतीय दुतावास में कार्यरत पूर्व अधिकारी अमर सिन्हा और टी.सी.ए.राघवन यह दो भारतीय अधिकारी अनाधिकारिक तौर पर इस शांति वार्ता के लिये उपस्थित रहे| अफगान शांति वार्ता में भारत की यह पहली उपस्थिति रही है|

इस शांति वार्ता में अफगान सरकार की उपस्थिति नही रही| अफगान शांति वार्ता में तालिबान यह अफगान सरकार का हिस्सा बन कर शामिल हो, यह अफगान सरकार की भुमिका है और इस पर हम कायम है, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी इन्होंने इस वार्ता में शामिल होने से मना किया था|

पिछले महिने में ही कतार में अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया के लिये अमरिकाने नियुक्त किये हुए खास दूत झल्मे खलिलझाद इनकी तालिबान के साथ चर्चा हुई थी| इस के पहले भी अमरिकी अधिकारियों ने तालिबान के साथ चर्चा की है, ऐसी खबरे सामने प्रसिद्ध हुई थी| अमरिका और रशिया के अलावा पाकिस्तान और चीन भी अफगान शांति वार्ता के लिये पहल करके चर्चा का आयोजन करता रहा है| लेकिन इन में से एक भी देश को तालिबान और अफगान सरकार को एक ही मंच पर चर्चा के लिये लाना संभव नही हुआ है|

इसी बीच, अमरिका भी फिलहाल तालिबान के साथ चर्चा करने के लिये तैयार हुई है, ऐसे दावे पाकिस्तान के कुछ विश्‍लेषक कर रहे है| इस के लिये अमरिका ने झल्मे खलिलझाद इनकी बतौर विशेष दूत नियुक्ती की है, ऐसा इन विश्‍लेषकों का कहना है|

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