भारत और जापान ने के बीच हुई ‘चीन’ के मुद्दे पर बातचीत

नई दिल्ली – भारत और जापान में हुए टू प्लस टूबातचीत में प्रमुखता से चीन के मुद्दे पर बातचीत होने की बात सामने आ रही है| साथ ही भारत के ईशान्य हिस्से के राज्यों की विकास परियोजनाओं में जापान निवेष करता रहेगा, यह बात भी इस बातचीत के दौरान रेखांकित की गई| यह दोनों बातें चीन को बेचैन करनेवाली साबित होती है| साथ ही चीन को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम भारत और जापान करेंगे, यह जानकारी जापान के विदेश मंत्रालय ने साझा की है|

भारत और जापान में पहली बार टू प्लस टूबातचीत हुई| इस बातचीत में भारत के विदेशमंत्री जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंग एवं जापान के विदेशमंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षामंत्री तारो कोनो शामिल हुए थे| इस बातचीत का आयोजन से भारत और जापान का सामरिक सहयोग नई उंचाई पर जा पहुंचने के संकेत दिए जा रहे है| जल्द ही जापान के प्रधानमंत्री एबे शिंजो भारत यात्रा कर रहे है| इस यात्रा की पूर्वतैयारी के तौर पर इस टू प्लस टू बातचीत की ओर देखा जा रहा है| इसी बीच इस टू प्लस टू बातचीत पर बोलते समय जापान के विदेश मंत्रालय के माध्यमसंबंधित उप-सचिव अतुसशी कैफू ने कुछ ध्यान आकर्षित करनेवाले बयान किए है|

भारत और जापान एकसाथ चीन को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, यह बात कैफू ने कही| साउथ चायना सी और ईस्ट चायना सी के क्षेत्र में चीन अंतरराष्ट्रीय नियम कुचल रहा है| इस समुद्री क्षेत्र में अपना पूरा अधिकार होे का दावा भी चीन कर रहा है| इसी लिए इस क्षेत्र में कृत्रिम द्विपों का निर्माण करके उसका लष्करी करण करने का निर्णय चीन ने किया है| इस वजह से वर्णित क्षेत्र के छोटे देशों की चिंता में बढोतरी हुई है| तभी, अमरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान यह आरोप कर रहे है की, देश चीन अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करके व्यापारी यातायात के लिए खतरा बना रहा है|

ऐसी स्थिति में भारत और जापान एक होकर चीन के इस क्षेत्र में हो रही हरकतें रोकने के लिए आगे बढने का दावा हो रहा है| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मुक्त और खुला रहे, इसके लिए भारत और जापान कोशिश करेंगे, यह संकेत देनेवाला बयान इस टू प्लस टू बातचीत के दौरान किया गया था| इसका दाखिला देकर कुछ समाचार पत्रों ने भारत और जापान ने चीन के विरोध में मोर्चा खोला है, यह दावा भी किया| अभी तक चीन ने इस पर प्रतिक्रिया दर्ज नही की है, पर जल्द ही चीन इसपर अपने तरिके से निषेध दर्ज कर सकता है, यह संकेत भी प्राप्त हो रहे है|

इसी दौरान भारत के ईशान्य हिस्सों के राज्यों में अपना निवेष आगे भी जारी रहेगा, यह बात कैफू ने स्पष्ट की| खास तौर पर अरुणाचल प्रदेश में हो रहे निवेष पर कैफू ने विशेष जोर दिया| अरुणाचल प्रदेश यह भारत का हिस्सा नही है और इसपर चीन का अधिकार होने का दावा चीन करता रहा है| इसी वजह से वहां पर निवेष करने का अधिकार जापान को ना होने की बात चीन कह रहा था|

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