भारत ‘डी-डॉलराइजेशन’ को गति दे रहा है – चीन के सरकारी मुखपत्र का दावा

बीजिंग – अमरीका जिस भारत को चीन के विरोध में इस्तेमाल करने का इरादा बनाए हैं, वहीं भारत ‘डी-डॉलराइजेशन’ गतिमान कर रहा हैं, ऐसा दावा चीन के सरकारी अखबार ने किया है। द्विपक्षीय व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल कम करके भारत कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने को प्राथमिकता दे रहा हैं। यह बात यही दिखाती है कि, भारत का अब डॉलर पर इतना भरोसा नहीं रहा, ऐसा चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ का कहना है। अमरिकी डॉलर के बजाय अपने युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की तैयारी चीन ने रखी हैं। इस पृष्ठभूमि प र चीन ने इसी मुद्दे पर व्यक्त किया निष्कर्ष अहमियत रखता हैं। लेकिन, भारत डॉलर के बजाय युआन का इस्तेमाल करने की संभावना फिलहाल तो नज़र में नहीं है। 

‘डी-डॉलराइजेशन’भारत और बांगलादेश के द्विपक्षीय व्यापार में डॉलर का हिस्सा कम हुआ हैं। दोनों देश अब इस कारोबार में रुपया और टका इस्तेमाल कर रहे हैं, इसका दाखिला ग्लोबल टाईम्स ने दिया। इसके साथ ही जिन देशों के विदेशी मुद्रा भंड़ार में डॉलर्स नहीं हैं, उन देशों की मुद्रा और अपने रुपये के ज़रिये कारोबार करने की तैयारी भारत ने दिखाई हैं। भारत की इस नीति के कारण डॉलर का इस्तेमाल और भी कम होगा। साथ ही उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत का व्यापार बढ़ेगा, यह दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया है। साथ ही भारत डॉलर को हटाकर कारोबार में अपने रुपये का इस्तेमाल करने के लिए तैयार होने की बात इससे स्पष्ट हुई हैं, यह भी ग्लोबल टाईम्स की खबर में दर्ज़ किया गया है।

भारतीय रुपये का कारोबार में इस्तेमाल करने के लिए रशिया, जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापूर, श्रीलंका, मलेशिया, ओमान, न्यूझीलैण्ड और बांगलादेश के साथ अन्य कुछ देशों ने भी तैयारी दिखाई हैं। इसके ज़रिये भारत की महत्वाकांक्षा और बढ़ती अहमियत रेखांकित हो रही हैं। ग्लोबल टाईम्स ने यह भी दावा किया है कि, अमरीका ने अपनाई नीति के कारण डॉलर्स में भारत का भरोसा और भी कम होने की वजह से ही भारत ने यह नीति अपनाई हैं। इसी बीच, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर अमरीका के डॉलर को प्राप्त हुए स्थान को खतरा निर्माण हुआ है, ऐसी चेतावनी दुनियाभर के आर्थिक विशेषज्ञ दे रहे हैं। रशिया एवं अन्य देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमरीका ने डॉलर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। लेकिन, यह बात अब अमरीका पर ही बूमरैन्ग हो रही हैं और इससे डॉलर को हटाकर कारोबार करने के लिए रशिया ने पहल की है।

इसका लाभ उठाकर चीन ने अपनी मुद्रा युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का स्थान दिलाने के लिए आक्रामक गतिविधियां शुरू की हैं। चीन-ब्राज़ील व्यापार से डॉलर को हटाया गया हैं और दोनों देश कारोबार में अपनी अपनी मुद्राओं का इस्तेमाल करेंगे, यह भी स्पष्ट हुआ है। ‘ग्लोबल टाईम्स’ की इस खबर में इसका भी संज्ञान लिया गया हैं। लेकिन, कुछ भी हो अपारदर्शी आर्थिक व्यवस्था और मुद्रा का मूल्य जानबूझकर कम रखकर व्यापारी लाभ उठाते रहे चीन की मुद्रा में भारत जैसा देश भरोसा करना कठिन है। इस वजह से चीन ने कितनी भी सराहना की तो भी भारत द्विपक्षीय व्यापार में युआन का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं हैं।

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