भारत युरोप के नॉर्डिक देशों के साथ सहयोग बढ़ायेगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

कोपनहेगन – युरोप के ‘नॉर्डिक’ देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत कदम उठायेगा, ऐसा यक़ीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलाया। डेन्मार्क की राजधानी कोपनहेगन में दूसरा ‘इंडिया-नॉर्डिक समिट’ संपन्न होनेवाला है। इस परिषद से पहले प्रधानमंत्री ने चार नॉर्डिक देशों के राष्ट्रप्रमुखों के साथ स्वतंत्र मुलाक़ात करके उनके साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। इस चर्चा में ‘ब्ल्यू वॉटर इकॉनॉमी’ यानी सागरी क्षेत्र से जुड़ा अर्थकारण, अक्षय ऊर्जा, अंतरिक्षक्षेत्र, मच्छिमारी इन जैसे मुद्दों का समावेश था।

भारत युरोप के नॉर्डिक देशों के साथ सहयोग बढ़ायेगा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीबुधवार को आयोजित ‘इंडिया-नॉर्डिक समिट’ से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने नॉर्वे, आईसलँड, फिनलँड तथा स्वीडेन इन देशों के नेताओं के साथ स्वतंत्र चर्चा की। इनमें से नॉर्वे, स्वीडेन और फिनलँड के प्रधानमंत्रियों से भारत के प्रधानमंत्री पहली ही बार मुलाक़ात कर रहे थे। ब्ल्यू वॉटर इकॉनॉमी यानी सागरी क्षेत्र से जुड़ा अर्थकारण, अंतरिक्ष क्षेत्र और अक्षय ऊर्जा ये इन देशों के प्रधानमंत्रियों के साथ हुई चर्चा में समान मुद्दे थे। नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास स्टोर के साथ हुई प्रधानमंत्री मोदी की चर्चा में आर्टिक्ट क्षेत्र विषयक नीति का समावेश था।

नॉर्वे यह भारत ने हाल ही में घोषित की आर्क्टिक क्षेत्र विषयक नीति का प्रमुख आधार होने का ऐलान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। ईंधनसंपन्न होनेवाले आर्क्टिक क्षेत्र की ओर सारी दुनिया की नज़रें गड़ी हुई हैं। यहाँ के ईंधन का फ़ायदा उठाने के लिए होड़ भड़क रही है। भारत भी, वह इस होड़ में ना पिछड़ें इसके एहतियात बरत रहा होकर, इसके लिए नॉर्वे तथा अन्य नॉर्डिक देशों के साथ भारत अनुरोधपूर्वक सहयोग बढ़ा रहा है। इसी कारण, नॉर्वे के प्रधानमंत्री स्टोर के साथ हुई प्रधानमंत्री मोदी की चर्चा में आया आर्क्टिक नीतिविषयक मुद्दा ग़ौरतलब साबित होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीडेन की प्रधानमंत्री मॅग्दालेना अँडरसन के साथ हुई चर्चा में दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग के लिए बनाये जॉर्ईंट अ‍ॅक्शन प्लॅन का जायज़ा लिया। सन 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीडेन का दौरा किया था। उस समय दोनों देशों के बीच जाईंट अ‍ॅक्शन प्लॅन की घोषणा की गयी थी। उसमें रक्षा, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, विज्ञान तथा स्वास्थ्य क्षेत्र के सहयोग का समावेश था। आईसलँड आणि फिनलँड या इन देशों के प्रधानमंत्रियों के साथ भी प्रधानमंत्री मोदी ने, द्विपक्षीय सहयोग व्यापक करने के विषय में चर्चा की।

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