भारत को काफी पहले ही हिंदूराष्ट्र घोषित करना जरूरी था – मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस.आर.सेन

शिलांग – मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुदीप रंजन सेन इन्होंने एक मामले का निर्णय करते समय यह कहा है की, भारत को काफी पहले ही हिंदूराष्ट्र घोषित करना जरूरी था| अपने निर्णय में न्यायाधीश सेन इन्होंने भारत इस्लामी देश नही होगा, इसका ध्यान रखने की दर्ख्वास्त भी प्रधानमंत्री और पश्‍चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को की| साथ ही बटवारे के बाद पाकिस्तान और बांगलादेश से दाखिल हुए और पहले से भारतीय रहे हिंदू, सिख, ईसाई इन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त हो, यह उम्मीद ही न्यायाधीश सेन ने व्यक्त की|

हिंदूराष्ट्र, धर्मनिरपेक्षता का स्वीकार, सुदीप रंजन, उच्च न्यायालय, निर्णय, मेघालय, इस्लामधर्मिय

एक मसले का निर्णय करते समय न्यायाधीश सेन इन्होंने इस्लामी देश के तौर पर पाकिस्तान का निर्माण हुआ है, यह याद दिलाया है| वही, भारतने उस समय धर्मनिरपेक्षता का स्वीकार किया| लेकिन पाकिस्तान में रह रहे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध इस वजह से निराधार हुए| वह सभी भारत पहुंचने पर भी उन्हें भारती की नागरिकता प्राप्त नही हो सकी| पहले से भारतीय रहे इन सभीयों को भारत की नागरिकता मिलना आवश्यक है| इसके लिए किसी भी प्रकार के कागजाद की जरूरत नही हो, यह उम्मीद न्यायाधीश सेन इन्होंने व्यक्त की| इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक का दाखिला दिया| मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय इन्होंने ‘द एक्सोडस् ऑफ हिंदूज् फ्रॉम ईस्ट पाकिस्तान अँड बांगलादेशी’ इस पुस्तक में यह समस्या रखी है, यह न्यायाधीश सेने ने कहा है|

भारत इस्लामधर्मी देश ना बने इसके लिए ध्यान रखे, यह दर्ख्वास्त भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और पश्‍चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की है|

क्यों की यदि भारत इस्लामधर्मिय देश बना हो वह भारत के लिए और विश्‍व के लिए भी खतरनाक घटना साबित होगी, यह भी न्यायाधीश सेन इन्होंने इस संबंधी निकाल में स्पष्ट किया है| केंद्र सरकार इस समस्या की गंभीरता समझेगी और उसे लिए जरूरी कार्रवाई करेगी, यह विश्‍वास भी न्यायाधीश सेन इन्होंने व्यक्त किया है|

साथ ही अपने निकाल की प्रत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री तक पहुंचाने की दर्ख्वास्त न्यायाधीश सेन इन्होंने की| उनके इस निकाल की जानकारी माध्यमों के द्वारा सामने आने पर इस निर्णय पर कई प्रतिक्रिया आ रही है| भारत यह धर्मनिरपेक्ष देश है और आगे भी धर्मनिरपेक्ष ही रहेगा, यह दावा करदे कई लोगों ने इस निकाल की आलोचना की है| साथ ही यह मुद्दा मेघालय उच्च न्यायालय की कक्षा में नही है, ऐसी टिप्पणी भी कई लोगों ने की है|

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