अगर ताइवान का युद्ध भड़का, तो चीन को रोकने के लिए अमरीका के लिए भारत सबसे महत्त्वपूर्ण देश होगा – अमरीका के नौसेना अधिकारियों का दावा

वॉशिंग्टन – ‘अगर ताइवान के विरोध में चीन में कुछ हरकत की ही, तो चीन को रोकने के लिए जापान समेत भारत बहुत ही अहम भूमिका निभाएगा। चीन के ताइवान पर किये आक्रमण के बाद भारत अगर इस युद्ध में अमरीका के समर्थन में ना भी उतरें, तो भी भारत चीन के विरोध में मोरचा बनाकर अमरीका के दांवपेचों को सहायता कर सकता है’, ऐसा अमरिकी नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी ॲडमिरल माईक गिल्डे ने कहा है। इसी कारण उन्होंने दूसरे किसी भी देश की तुलना में अधिक बार भारत का दौरा किया है। भारत यह अमरीका का भविष्यकालीन सबसे अहम रणनीतिक साझेदार देश साबित होता है, ऐसा यकीन ॲडमिरल गिल्डे ने दिलाया।

वॉशिंग्टन में ‘हेरिटेज फाऊंडेशन’ ने आयोजित यह कार्यक्रम में ॲडमिरल गिल्डे बात कर रहे थे। इस महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना के युद्धपोत अमरीका के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित होते हैं। उनके वहाँ होने से, चीन को ताइवान की खाड़ी में पूरी तरह लक्ष्य केंद्रित करना मुश्किल होता है। उसी में चीन ने लद्दाख की एलएसी पर भारत को चुनौती देने की कोशिश की। इसलिए भारत, ताइवान को निगलने की कोशिश करने वाले चीन को एक ही समय पर दो मोरचों पर उलझा कर रख सकता है। इसी कारण अमरीका की व्यूहरचना में भारत को बहुत ही अहम स्थान होकर, अमरिकी नीतिकर्ताओं को भारत का विशेष आकर्षण प्रतीत होता आया है, ऐसा ॲडमिरल गिल्डे ने स्पष्ट किया।

इसी वजह से उन्होंने अब तक दूसरे किसी भी देश का दौरा नहीं किया था, ऐसी जानकारी ॲडमिरल गिल्डे ने दी। निक्केई एशिया इस जापान की न्यूज़ एजेंसी ने इस मामले में खबर जारी की है। अपनी तटस्थ नीति छोड़कर भारत, ताइवान के लिए अमरीका ने पुकारे युद्ध में नहीं उतरेगा, ऐसा अमरीका के पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा था, इसकी याद इस न्यूज़ एजेंसी ने करा दी। ऐसा होने के बावजूद भी, भारत चीन के विरोध में दूसरा मोरचा शुरू करके चीन को झटका दे सकता है। यह चीन के लिए ‘टू फ्रंट वॉर’ यानी दो मोरचों पर का युद्ध साबित होगा। यह बात चीन के लिए बहुत ही महंगी पड़ सकती है, ऐसा दावा एलब्रिज कॉल्बी इन पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने किया था।

लद्दाख के प्रतिकूल हवामान में चीन की सेना टिक नहीं सकेगा, इस पर गौर फरमाकर, भारत इस स्थिति का बहुत बड़ा फायदा उठा सकता है, ऐसा दावा कॉल्बी ने किया था। सन 2018 में कॉल्बी ने, अमरीका और जापान को चीन के विरोध में भारत की ज़रूरत पड़ेगी, यह बात जताई थी। चीन के साथ ठेंठ सीमा जुड़ा हुआ और भारी लष्करी ताकत होनेवाला भारत अमरीका के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण सामरिक साझेदार देश साबित होता है, इसका एहसास अन्य विश्लेषकों ने भी करा दिया था। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन का प्रशासन भी लगातार यह जता रहा है कि भारत यह अमरीका का अपरिवर्तनीय रणनीतिक साझेदार देश है।

लेकिन भारत को छोड़कर और क्वाड को बाजू में हटाकर बायडेन प्रशासन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के विरोध में अन्य देशों के मोरचे शुरू किए हैं। इससे यही दिखाई दे रहा है कि क्वाड का सहयोग अधिक मज़बूत करने के बजाए बायडेन प्रशासन अमरीका के अन्य हितसंबंधों को अधिक महत्त्व दे रहा है। लेकिन अमरिकी रक्षा बलों द्वारा बार-बार भारत का महत्त्व अधोरेखांकित किया जा रहा होकर, ॲडमिरल गिल्डे के बयान इसका सबूत दे रहे हैं।

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