श्रीलंका में स्थित भारतीय उच्चायुक्तालय ने चीन के कान खींचे

कोलंबो – श्रीलंका को सहायता की ज़रूरत है, अनावश्यक दबाव की या विवाद की नहीं, ऐसा कहकर श्रीलंका में स्थित भारत के उच्चायुक्त ने चीन को फटकार लगायी। श्रीलंका की संप्रभुता की परवाह किए बिना भारत इस देश में हस्तेक्षप कर रहा है, यह आरोप चीन के राजदूत ने लगाया था। इस पर प्रतिक्रिया दर्ज़ करते हुए भारत के उच्चायुक्त ने चीन को यह फटकार लगायी। ‘चीन के राजदूत के बयान उनके निजी विचार होंगे या उनके देश के बर्ताव का भी हिस्सा हो सकते हैं। लेकिन, उनके इन बयानों की वजह से राजनीतिक शिष्टाचार का भंग हो रहा है’, ऐसी फटकार भारत के उच्चायुक्त ने लगायी है।

कुछ दिन पहले चीन की नौसेना का ‘युआन वैंग ५’ नामक जहाज़ श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह में दाखिल हुआ था। यह जहाज़ अनुसंधान के लिए इस्तेमाल होने का दावा चीन कर रहा है। लेकिन, असल में यह जहाज़ जासूसी एवं सुरक्षा की संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने की क्षमता रखता है। इसी कारण हंबंटोटा बंदरगाह में इस जहाज़ की मौजूदगी भारत के दक्षिणी ओर के रक्षा ठिकाने और इस्रो के प्रक्षेपण के लिए खतरा बन सकती है, यह दावे किए जा रहे थे। यह बात भारत ने श्रीलंका के सामने रखी और इसके बाद श्रीलंका ने इस जहाज़ के प्रवेश पर रोक लगायी थी।

कुछ समय बाद श्रीलंका ने ‘युआन वैंग ५’ को हंबंटोटा बंदरगाह में प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की। लेकिन, भारत की रक्षा संबंधी चिंता को ध्यान में रखकर श्रीलंका ने इस जहाज़ पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे। इससे नियमों के बाहर जाकर किसी भी तरह की हरकत करना चीन के इस जहाज़ के लिए कठिन हुआ था। इस वजह से चीन का भारत के खिलाफ आग उगलना जारी है। श्रीलंका में नियुक्त चीन के राजदूत क्वि झौन्होन्गौन ने कुछ देश किसी भी सबूत के बिना रक्षा संबंधी चिंता का कारण बताकर श्रीलंका पर दबाव बना रहे हैं, यह आरोप लगाया था।

साथ ही श्रीलंका सार्वभौम देश है और इस देश को अपने निर्णय करने का अधिकार है, ऐसा चीन के राजदूत ने कहा। श्रीलंका के अंदरुनि कारोबार में दखलअंदाज़ी करने की कोशिश होने का आरोप भी उन्होंने लगाया है। इस पर श्रीलंका में नियुक्त भारत के उच्चायुक्तालय ने बयान दर्ज़ किया और सख्त शब्दों में चीन को फटकार लगाई। चीनी राजदूत का बयान राजनीतिक शिष्टाचार को भंग करता है और इससे उनकी लापरवाही या उनके देश का बर्ताव स्पष्ट होता है, ऐसा भारतीय उच्चायुक्त ने कहा है। श्रीलंका को सहायता की ज़रूरत है, बेवजह दबाव बनाने की या विवाद करने की नहीं, ऐसे स्पष्ट शब्दों में भारत के उच्चायुक्त ने चीन को फटकार लगायी।

इसी बीच श्रीलंका पर छाए आर्थिक संकट के लिए काफी हद तक चीन का भारी ब्याजदर का कर्ज़ ज़िम्मेदार है। चीनी कर्ज़ के फंदे में फंसने की वजह से श्रीलंका की प्रगति को रोक लगी है और आज इस देश में अराजकता की स्थिति बनी है। इसका लाभ उठाकर चीन फिर से श्रीलंका पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश में है। लेकिन, श्रीलंका पर भारत का नैसर्गिक प्रभाव है और फिलहाल इस देश में चीन के खिलाफ माहौल गरमाया हुआ है। तथा भारत ने संकट काल में की हुई सहायता के कारण श्रीलंकन जनता और सरकार भी लगातार भारत को शुक्रिया अदा रही है। इस वजह से बेचैन हुआ चीन आरोप लगा रहा है कि भारत श्रीलंका में हस्तक्षेप कर रहा है। चीन श्रीलंका को मोहरे की तरह भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की मंशा रखता है, यह आरोप भारत के पूर्व उप-राष्ट्रीय सलाहकार ने लगाया है।

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