‘चीन सीमाविवाद में भारत को सहूलतें नहीं देगा’ : चिनी विश्लेषक की चेतावनी

बीजिंग, दि. २५ : ‘आनेवाले समय में सीमाविवाद का हल ढूँढ़ने की प्रक्रिया में चीन भारत को सहूलतें नहीं नहीं देगा| अरुणाचल प्रदेश के छह जगहों के नाम बदलकर चीन ने भारत को यही संदेश दिया है’, ऐसे चीन के सरकारी अखबार ने कहा है| पिछले कई दिनों से चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उपस्थित करते हुए भारत को उकसाने का काम कर रहा है| लेकिन चीन की इस कोशिश की ओर भारत ध्यान नहीं देता| नाम बदलने से चीन का अरुणाचल प्रदेश पर का दावा वैध साबित नहीं होगा, ऐसा कहते हुए भारत के विदेशमंत्रालय ने यह मुद्दा खारिज़ कर दिया|

सीमाविवादचीन के शारहार इन्स्टिट्यूट के छात्र और सेंटर फॉर इंडियन स्टडीज़् के संचालक ‘लॉंग शिंगचून’ ने ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस सरकारी अखबार में लिखे लेख में अरुणाचल प्रदेश के बारे में चीन की भूमिका पेश की| कुछ दिन पहले चीन ने अरुणाचल प्रदेश के छह जगहों के नाम घोषित करते हुए खलबली मचाने की कोशिश की थी| इसपर शिंगचून ने यह लेख लिखते हुए, इसके आगे सीमाविवाद में भारत को ज़रा भी सहूलत नहीं मिलेगी, यह बात चीन द्वारा भारत को जतायी गयी, ऐसा कहा गया है| साथ ही, भारत चीन की ताकत को कम समझकर, अपनी ताकत के बारे में गलत धारणा न रखें, ऐसी आलोचना भी इस लेख में की गयी है|

सन १९६२ में चीन के साथ हुए युद्ध में हार का सदमा सहे भारत की रक्षाविषयक क्षमता बहुत बढ गयी होकर, भारत चीन का मुक़ाबला कर सकता है, ऐसा माननेवाले कुछ विश्लेषक भारत में हैं| ये विश्लेषक, भारत अधिक आक्रामक भूमिका अपनायें, ऐसी सलाह अपनी सरकार को दे रहे हैं, इसपर शिंगचून ने ग़ौर फ़रमाया| लेकिन सन १९६२ में भारत को हावी होने जैसा माहौल था| लेकिन अभी का चीन भारत से काफी अधिक ताकतवार है और भारत अपनी ताकत के संदर्भ में भ्रम में ना रहें, ऐसी सलाह शिंगचून ने इस लेख में दी|

इस दौरान, दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के बाद चीन बेचैन हुआ होकर, भारत को धमकी देने का सत्र चीन ने शुरू किया है| अरुणाचल प्रदेश स्थित जगहों का नाम बदलने की घोषणा कर चीन ने भारत को झटका देने की कोशिश की| इसके बाद चीन के ग्लोबल टाईम्स ने, भारत विमानवाहक युद्धपोत का निर्माण करने के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था सँवारें, ऐसी सलाह दी थी| अब शिंगचून ने, सीमाविवाद में चीन और आक्रामक भूमिका अपनानेवाला है, यह कहकर भारत पर का दबाव बढ़ाने की कोशिश की है| लेकिन फिलहाल चीन पर ही दबाव बढ़ गया है, यह इस देश से आनेवालीं प्रतिक्रियाओं से साफ-साफ दिखाई दे रहा है|

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