भारत-अमरिका में हॉस्टॅक कार्यान्वयित होगा

वॉशिंगटन: भारत अमरिका में सागरी सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग अधिक सक्षम करने की दृष्टि से दोनों देशों में अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। भारत-अमरिका ‘हेलीकॉप्टर ऑपरेशन फ्रॉम शिप्स अदर दैन एयरक्राफ्ट कैरियर’ (एचओएसटीएसी) इस कार्यक्रम पर कार्यान्वयन किया जाएगा। हालही में फिलिपाईन्स में आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी। इस निमित्त से अमरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस और भारत के रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन इनकी मुलाकात हुई। उस समय हुई चर्चा में यह निर्णय लिये जाने की बात, अमरिका के रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने शुक्रवार को घोषित की है।

भारत-अमरिकापिछले महीने में अमरिका के रक्षा मंत्री भारत दौरे पर आए थे। उस समय भारत के साथ सागरी सुरक्षा सहयोग बढ़ाने में मेरी सबसे अधिक प्राथमिकता होगी, ऐसा अमरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने कहा था। उसके बाद कुछ ही दिनों में भारत एवं अमरिका के रक्षा मंत्रियों की फिर से मुलाकात हुई है। बुधवार को फिलिपाईन्स में आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की परिषद की पृष्ठभूमि पर हुई इस मुलाकात में अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होने की बात पेंटागौनने कही है।

इस बैठक में हॉस्टॅक कार्यान्वयन का निर्णय लिया जाने की जानकारी शुक्रवार को पेंटागौन के प्रवक्ता डैना व्हाइट ने दी है। दोनों देशो में हॉस्टॅक के कार्यान्वयन का महत्व प्रस्तुत करते हुए, दोनों देशों में सागरी सहयोग शीघ्र गति से आगे जाएगा ऐसा डैना व्हाईट ने कहा है।

हॉस्टॅक यह अंतर्राष्ट्रीय लष्करी कार्यक्रम होकर अब तक ५० देशों के नौदल तथा तटरक्षक दल में ऐसा सहयोग हुआ है। इस अन्तराष्ट्रीय लष्करी कार्यक्रम में नाटो हॉस्टॅक, एसआईएम हॉस्टॅक, पेसिफिक हॉस्टॅक और मिडिल ईस्ट हॉस्टॅक ऐसे चार गट है। इस कार्यक्रम के अनुसार ऐसे सहयोग में होने वाले देश एवं गटो में संवेदनशील जानकारी का आदान प्रदान होता है और साधनों का उपयोग किया जाता है। हॉस्टॅक देश हेलीकॉप्टर के लिए एक दूसरों के युद्ध नौकाओं का हेलीपेड के तौर पर उपयोग कर सकते हैं अथवा संयुक्त मुहिम जारी कर सकते हैं।

पिछले वर्ष अमरिका ने भारत को विशेष रक्षा साझेदारी के देश का दर्जा दिया था। उसकी वजह से अमरिका से भारत को अत्यंत संवेदनशील तंत्रज्ञान मिल रहा है। उसके बाद दोनों देशों में ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (एलएएमओए) यह करार भी दोनों देशों में संपन्न हुआ है। इसकी वजह से दोनों देशों को आपसी लष्करी तल का उपयोग प्राप्त हुआ है। दोनों देशों के लड़ाकू विमान, युद्धनौका एक दूसरों के तल पर जाकर इंधन भर सकते हैं। हॉस्टॅक के कार्यान्वयन का निर्णय इसी आपसी सहयोग से आगे चलकर होने वाला निर्णय प्रतीत हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.