अनिवासी भारतीयों को ‘प्रोक्सी वोटिंग’ का अधिकार, लोकसभा में विधेयक मंजूर

नई दिल्ली – अनिवासी भारतीयों को (एनआरआई) लोकसभा और विधानसभा चुनाओं में ‘प्रोक्सी वोटिंग’ अर्थात दूसरे व्यक्ति के माध्यम से वोट करने का अधिकार देने वाले दुरुस्त विधेयक लोकसभा में मजूर हुआ है। इस विधेयक को राज्यसभा में मंजूरी मिलने के बाद क़ानूनी तौर पर अनिवासी भारतीयों को देश में बिना आए चुनाव में मतदान के लिए अपने प्रतिनिधि को नियुक्त करके मतदान करने का अधिकार मिलेगा।

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दुनिया भर में १ करोड़ ३० लाख ‘एनआरआई’ मतदाता हैं और इन मतदातों को ‘प्रोक्सी वोटिंग’ का अधिकार मिलना देश की प्रजातंत्र प्रक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है। उस वजह से इस दुरुस्ती विधेयक को लोकसभा में मिली मंजूरी का महत्व बढ़ गया है।

गुरुवार रात देर को लोकसभा में आवाजी मतदान से ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट १९५१’ के दुरुस्ती विधेयक को मंजूरी दी गई है। कानून में किए गए इस सुधार की वजह से अनिवासी भारतीय भारत में आए बिना ही मतदान कर सकेंगे। इसके लिए ‘एनआरआई’ नागरिकों को मतदान के लिए भारत में रहने वाले अपने नजदीकी व्यक्ति को प्रतिनिधि नियुक्त करना पड़ेगा।

यह प्रतिनिधि अर्थात ‘प्रोक्सी वोटर’ ‘एनआरआई’ मतदाता की इच्छा के अनुसार उन्होंने बताए उम्मीदवार को मतदान करेगा। अब तक देश की लोकसभा और विधानसभा चुनाओं में ‘प्रोक्सी वोटिंग’ का अधिकार सिर्फ सैनिकों को अथवा प्रशासकीय अधिकारियों को दिया गया था। इस तरह का अधिकार विदेश में रहने वाले भारतीयों को भी मिले, इस तरह की माँग बहुत पहले से की जा रही थी।

सन २०१४ के लोकसभा के चुनाव में भी कुछ अनिवासी भारतीयों ने इस तरह की माँग की थी। भारत में आकर मतदान करने में बहुत खर्चा होता है। इस वजह से सिर्फ १० से १२ हजार एनआरआई नागरिक ही भारत में आकर अपना मतदान का अधिकार निभाते हैं। ऐसा चुनाव आयोग के आंकड़ों से स्पष्ट हुआ था।

एनआरआई नागरिकों को भारत में आए बिना भी मतदान करना मुमकिन हो, ऐसा प्रावधान करने की माँग को ध्यान में रखकर सन २०१५ में केंद्र सरकार ने पहली बार इस बारे में प्रस्ताव स्वीकारा था। शुरुआत में इसके लिए ‘पोस्टल बैलेट’ के कार्यान्वयन में रुकावटें आ सकती हैं, यह ध्यान में आने के बाद इस प्रस्ताव को रद्द किया गया।

केन्द्रीय कानून मंत्रालय ने नए प्रस्ताव के अंतर्गत ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट १९५१’ विधेयक में दुरुस्ती करने का निर्णय लिया। अगस्त २०१७ इस दुरुस्ती विधेयक को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। शीतकालीन अधिवेशन में इस विधेयक को लोकसभा में रखा गया था। लेकिन अनिवासी भारतीयों को यह हक मिलने के लिए यह दुरुस्ती विधेयक राज्यसभ में मंजूर होना आवश्यक है।

इसके पहले कुछ राजनीतिक पार्टियों ने ‘एनआरआई’ नागरिकों को इस तरह का अधिकार देने के लिए विरोध किया था। एनआरआई मतदाताओं ने नियुक्त किया हुआ प्रतिनिधि मतदाता की इच्छा के अनुसार ही मतदान करेगा इसका कोई भरोसा नहीं है, ऐसी आपत्ति जताई गई थी। केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को लोकसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान इस आशंका को ख़ारिज किया। नियुक्त किया हुआ प्रतिनिधि अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल नहीं करेगा, ऐसा प्रावधान इस विधेयक में किया गया है। ऐसा उन्होंने कहा है।

दौरान इस विधेयक में और एक महत्वपूर्ण दुरुस्ती की गई है। वर्तमान कानून में सैनिक और प्रशासकीय अधिकारियों को दी गए प्रोक्सी वोटिंग के अधिकार में सर्विस वोटर के तौर पर सिर्फ जवानों के और अधिकारियों के पत्नी का ही नाम दर्ज किया जा सकता था। लेकिन एखाद महिला जवान और अधिकारियों के पति को यह अधिकार नहीं मिलता था। पुराने कानून का पत्नी यह शब्द नए दुरुस्त विधेयक में हटाया गया है और उसकी जगह जीवनसाथी यह शब्द लिखा गया है। इस वजह से दूसरी जगह तैनात महिला सैनिक और प्रशासकीय महिला अधिकारियों के पतियों को भी सर्विस वोटर के तौर पर नाम दर्ज करना मुमकिन होगा।

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