शस्त्र खरीदारी के बारे में भारत स्वतंत्र धारणा कार्यान्वित करेगा – लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत

नई दिल्ली – रशिया से भारत ने एस-४०० की खरीदारी व्यवहार पूर्ण करने के बाद अमरिका भारत पर प्रतिबंध जारी करेगा क्या? ऐसा प्रश्न चर्चा में है। पर अमरिका के प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए भारत स्वतंत्र रूप से अपनी धारणा कार्यान्वित कर रहा है, ऐसा लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने घोषित किया है। एस-४०० हवाई सुरक्षा यंत्रणा के खरीदारी के बाद भारत को रशिया से कुमाव्ह हेलीकॉप्टर्स एवं अन्य शस्त्रास्त्र की खरीदारी करने की घोषणा भी जनरल रावत ने की है।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन २ दिनों के भारत दौरे पर आकर गए हैं और उनका यह दौरा शुरू होते समय लष्कर प्रमुख जनरल रावत ६ दिनों के रशिया दौरे पर थे। इस समय में दोनों देशों में लष्करी सहयोग तथा सामरिक हित संबंधों पर प्रदीर्घ चर्चा होने का दावा किया जा रहा है। नई दिल्ली में आयोजित किए व्याख्यान में जनरल रावत ने रशिया के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों का दाखिला दिया है। उस समय अपने रशिया दौरे में एक रशियन नौदल अधिकारी ने पूछे प्रश्न की भी जानकारी जनरल रावत ने इस व्याख्यान में दी है।

अमरिका ने रशिया पर प्रतिबंध जारी किए हैं और रशिया से एस-४०० की खरीदारी करने वाले भारत को भी अमरिका प्रतिबंध जारी करने की धमकी दे रहा है, ऐसा इस रशियन अधिकारी ने कहा था। ऐसा होकर भी भारत अमरिका से रक्षा विषयक सहयोग करनेवाला देश के तौर पर कैसा देख सकता है? ऐसा प्रश्न पूछनेवाले रशियन अधिकारी का रुख था। अमरिका के प्रतिबंधों की चर्चा शुरू होते समय भारत के प्रधानमंत्री एवं रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने एस-४०० की खरीदारी व्यवहार पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी तरफ हमने इस नौदल अधिकारी का ध्यान केंद्रित किया है, ऐसी जानकारी जनरल रावत ने दी है।

तथा भारत अमरिका से रक्षा साहित्य एवं तंत्रज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रयत्न कर रहा है। फिर भी भारत अपनी स्वतंत्र धारणा कायम रखेगा ऐसी गवाही उन्होंने रशिया में देने की बात जनरल रावत में उस समय स्पष्ट की है। तथा आनेवाले समय में भारत रशिया से कुमाव्ह हेलीकॉप्टर एवं अन्य शस्त्रास्त्र की अपेक्षा होने की बात उस समय लष्कर प्रमुख ने रशियन अधिकारी से कही है। भारत के लष्कर प्रमुख ने किया यह विधान मतलब अमरिका के साथ सारी दुनिया को दिया स्पष्ट संदेश है। भारत को अपने रक्षा विषयक क्षमता बढ़ाने का अधिकार होकर उसके लिए भारत आवश्यक निर्णय ले सकता है, ऐसा जनरल रावत ने फिर एक बार स्पष्ट किया है।

कुछ महीनों पहले अमरिका ने भारत को विशेष सामरिक दर्जा प्रदान किया था एवं भारत अमरिका का निकटतम सहयोगी देश है, ऐसा आगे कहा था, फिर भी भारत के रशिया विषयक धारणा में बदलाव नहीं हुआ है, इसकी गवाही भारत से अलग अलग मार्ग से दी जा रही है।

अमरिका के विरोध में जाकर एस-४०० की खरीदारी का निर्णय यह उसी का भाग है। ईरान से ईंधन की खरीदारी के बारे में भारत कायम होकर इस अग्रणी पर भी भारत अमरिका के सूचनाओं का पालन नहीं करेगा ऐसा संदेश देश के नेतृत्व से दिया जा रहा है।

इसका अमरिका के साथ भारत के संबंधों पर परिणाम हो सकता है और उसकी तीव्रता कितनी होगी यह अब कहा नहीं जा सकता, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। पर चीन कि धौसियो में बड़े तादाद में बढ़त होते समय भारत जैसे देश को दुखाने की गलती अमरिका नहीं करेगा ऐसा भी कई विश्लेषकों ने कहा है।

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