भारत और जापान का नौदल अभ्यास शुरू

विशाखापट्टनम – रविवार से विशाखापट्टनम में भारत और जापान का जिमेक्स-१८ नामक सागरी अभ्यास शुरू हुआ है। इस अभ्यास के लिए ‘जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स’ के जेएमएसबीएफ इझुमो क्लास हेलीकॉप्टर-कागा और गाइडेड मिसाइल इनाझुमा यह प्रगत विध्वंसक विशाखापट्टनम के बंदरगाह में दाखिल हुए हैं। जापान के इस विध्वंसक का नेतृत्व रियल एडमिरल कमांडर तात्सुया फुकादा कर रहे हैं। भारत और जापान के सागरी सहयोग दृढ़ हो इस हेतु से यह अभ्यास आयोजित किया गया है।

१५ अक्टूबर तक शुरू होने वाले इस नौदल अभ्यास में भारतीय नेतृत्व नौदल के स्वदेशी बनावट के आयएनएस-सातपुडा, आयएनएस-कदमक्त और मिसाइल कान्वेंट युद्ध नौकाओं के साथ आयएनएस-शक्ति यह फ्लीट टैंकर तथा पी८आय यह गश्ती विमान भी शामिल हुआ है। ९ दिन चलने वाले इस नौदल अभ्यास में हेलीकॉप्टर्स भी शामिल होंगे ऐसी जानकारी नौदल से दी जा रही है।

जीमेक्स-१८ नाम से पहचाने जाने वाले भारत जापान नौदल अभ्यास के दो स्तर होकर पहले स्तर में दोनों देशों के वरिष्ठ नौदल अधिकारियों की भेंट, चर्चा तथा स्पर्धा आयोजित की जा रही है। उसके बाद दूसरे स्तर में पनडुब्बी यों के विरोध में युद्धाभ्यास पर जोर दिया जाएगा और सागरी क्षेत्र में हवाई खतरों तथा सीजर एंड सर्च ड्रिल्स का समावेश होने वाला है। भारत से ईस्टर्न फ्लीट के कमांडिंग ऑफिसर रियल एडमिरल दिनेश त्रिपाठी अभ्यास का नेतृत्व करने वाले हैं।

भारत एवं जापान के नौदल में आयोजित किया यह तीसरा जिमेक्स नौदल अभ्यास है। इसे पहले सन् २०१३ में चेन्नई में दोनों देशों के नौदल अभ्यास का आयोजन किया गया था। २ देशों में होने वाले इस नौदल अभ्यास के अतिरिक्त भारत एवं जापान ने अमरिका से आयोजित किए जानेवाले मालाबार-१८ तथा रिमपैक-१८ इस सागरी अभ्यास में भी भाग लिया था। जिसकी वजह से जिमेक्स-१८ के निमित्त से तीसरी बार भारत एवं जापान का नौदल अभ्यास एकत्रित हो रहा है।

यह बात दो दशकों में बढ़ती रक्षा तथा सागरी सहयोग के स्पष्ट संकेत देने वाली है। इससे पहले भी भारत एवं जापान के नौदल ने ईडन की खाड़ी सागरी घुसपैठ के विरोध में कार्रवाई का भाग के तौर पर संयुक्त मुहिम कार्यान्वित की है। पर हिंद महासागर एवं आशिया पेसिफिक सागर क्षेत्र में बढ़ते सहयोग महत्वपूर्ण है। अपने सामर्थ्य के बल पर इस क्षेत्र में वर्चस्व के लिए प्रयत्न करते समय भारत एवं जापान की संगठन चीन के प्रयत्नों को रोकने का महत्व पूर्ण स्तर हो सकता है।

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