अमरीका और चीन के बढ़ते कर्ज़ पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चेतावनी

वॉशिंग्टन – अमरीका और चीन इन देशों पर कर्ज़ का भार काफी खतरनाक पद्धती से बढ़ने को लेकर अंतरारष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है। विश्व की पहली दो शीर्ष अर्थव्यवस्था बने अमरीका और चीन पर राष्ट्रीय कर्ज़ का खराब असर होता आगे दिखाई देगा। वर्ष २०२८ तक जीडीपी की तुलना में करीबन सौ प्रतिशत कर्जे का भार वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होगा। इस साल अमरीका की जीडीपी की तुलना में इसकी मात्रा १२२.२ प्रतिशत जक बढ़ेगी। वर्ष २०२८ तक अमरीका का राष्ट्रीय कर्ज जीडीपी की तुलना मं १३६.२ प्रतिशत तक बढ़ेगा, ऐसी चेतावनी मुद्रा कोष ने दी है। जीडीपी की तुलना में राष्ट्रीय कर्ज की हो रही बढ़ोतरी अमरीका में महंगाई के उछाल का कारण बनेगी, ऐसा मुद्रा कोष का कहना है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोषवर्ष २०२२ में अमरीका का राष्ट्रीय कर्ज जीडीपी की तुलना में १२१.७ प्रतिशत था। २०२३ में यह बढ़ोतरी के साथ १२२.२ प्रतिशत तक जा पहुंचेगा। लेकिन, कोरोना की महामारी के दौरान दुनियाभर के सभी देश कर्ज़ उठाकर कारोबार करने के लिए मज़बूर हुए थे। इस २०२० के दौरान अमरीका का राष्ट्रीय कर्ज जीडीपी की तुलना में १३३.५ प्रतिशत तक जा पहुंचा था। लेकिन, कोरोना की महामारी कम होने के बाद स्थिति में सुधार होने की उम्मीद थी। लेकिन, अमरीका की अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर होता नहीं दिखाई दिया है। अभी भी अमरीका के कर्ज का भार चिंताजनक स्तर पर होने की बात मुद्रा कोष ने कही है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोषइससे अमरीका के फेडरल रिज़र्व ने कोशिश करने के बावजूद भी महंगाई कम होने की संभावना नहीं। उल्टा आगे के दिनों में इससे अधिक महंगाई भड़कने की संभावना है, ऐसी चेतावनी मुद्रा कोष ने दी है। हालांकि, वर्ष २०२२ में जीडीपी की तुलना में चीन पर कर्ज का भार ७७.१ प्रतिशत था और अगले पांच सालों में जीडीपी की तुलना में यह १०४.९ प्रतिशत तक जा पहुंचेगा, यह अनुमान मुद्रा कोष ने व्यक्त किया है। ब्राज़ील, जापान, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन इन देशों पर राष्ट्रीय कर्ज का भार आगे के समय में उनकी जीडीपी की तुलना में पांच प्रतिशत बढ़ेगा, ऐसा मुद्रा कोष का कहना हैं।

इसी बीच, अमरीका पर करीबन ३१ ट्रिलियन डॉलर्स से भी अधिक कर्ज उठाया है। इसका भुगतान करने की क्षमता अमरीका खो दे रही हैं, यह चिंता आर्थिक विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। ऐसे में अमरीका का मौजूदा प्रशासन स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं पर काफी बड़ा खर्च कर रहा हैं और इससे अमरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचकर ही रहेगा, ऐसी चेतावनी आर्थिक विशेषज्ञ दे रहे हैं। वहीं, दूसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बना चीन अपनी आर्थिक नाकामयाबी को छुपाने के लिए जानकारी भी सार्वजनिक करना टाल रहा है। चीन की यह अपारदर्शिता आर्थिक व्यवस्था भी आगे के समय में विश्व पर आर्थिक संकट को न्योता दे रही हैं, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी।

ऐसी स्थिति में अमरीका और चीन पर बने राष्ट्रीय कर्ज के मुद्दे पर मुद्रा कोष ने दिया इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। 

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