खाड़ी और यूरोपिय देशों ने अपने नागरिकों से जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने को कहा

बैरूत – खाड़ी क्षेत्र के सौदी, कुवैत, कतर और बहरीन इन देशोने भी अपने नागरिकों को शीघ्रता से लेबनान छोड़ने को कहा है। इससे पहले जर्मनी और ब्रिटेन ने नागरिकों को लेबनान की यात्रा करने से दूर रहने की सूचना की थी। इसके बाद लेबनान के अस्थायी प्रधानमंत्री नजीब निकाती ने लेबनान की स्थिति नियंत्रण मे होने का बयान करके चिंता करने की वजह ना होने का खुलासा किया है। लेकिन, लेबनान में पैलेस्टिनियों के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में हुई हिंसा के कारण निर्माण हुई अस्थिरता अभी भी बनी दिख रही है।

लेबनान में पैलेस्टिनी शरणार्थियों के करीबन १२ शिविर बने हैं। इनमें से सबसे बड़े ‘इन अल-हिलवाह’ शिविर में दो पैलेस्टिनियों के दो गुटों के बीच बड़ी हिंसा शुरू हुई। पैलेस्टिनी संगठन हमास का जनरल ‘अबू अश्रफ अल अरमौशी’ ३० जुलाई के हमले में मारा गया था। चरमपंथी गुट ने इसे मार गिराने का बयान करके फताह के समर्थकों ने इस गुट पर हमले किए। इस दौरान शुरू हुई हिंसा में अब तक १३ लोग मारे गए हैं और इस संघर्ष में काफी लोग घायल होने की बात कही जा रही है। इस संघर्ष के बाद हजारों पैलेस्टिनियों ने जान बचाने के लिए दूसरी ओर पनाह ली थी।

लेबनान जैसे छोटे देश में स्थित पैलेस्टिनियों के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में हुई हिंसा का बड़ा असर हुआ है। पैलेस्टिन के वेस्ट बैंक में फताह सरकार के समर्थक और दूसरे गुट का शुरू हुआ संघर्ष जल्द खत्म नहीं होगा और इस संघर्ष का परिणाम लेबनान में दिखाई देगा, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही हैं। जर्मनी ने अपने नागरिकों को आगाह करके लेबनान की यात्रा करने से दूर रहने को कहा है। इसके बाद ब्रिटेन ने भी इसी तरह की चेतावनी अपने नागरिकों को दी है।

सौदी, कुवैत, कतर और बहीन ने भी लेबनान में स्थित अपने नागरिकों को शीघ्रता से लेबनान छोड़कर बाहर निकलने को कहा है। इससे लेबनान के अस्थायी प्रधानमंत्री को स्थिति नियंत्रण में होने का बयान करना पड़ा। लेकिन, उनके इन दावों पर भरोसा रखने जैसी स्थिति नहीं रही। पैलेस्टिनियों के दो गुट एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हुए हैं और वेस्ट बैंक के जेनिन में इस्रायल ने कार्रवाई करने के बाद पैलेस्टिनियों के इन गुटों का संघर्ष शुरू हुआ था। इस्रायल ने जेनिन में सैन्य कार्रवाई करके पैलेस्टिनियों को मार गिराया, फिर भी वहां की फताह सरकार इस्रायल के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपना नहीं रही है, ऐसी आलोचना पैलेस्टिनी संगठन इस्लामिक जिहाद एवं हमास ने की थी। इस वजह से वेस्ट बैंक की सरकार चला रहे फताह पार्टी के खिलाफ नाराज़गी बढ़ने की जानकारी सामने आयी थी।

इन मतभेद के असर में अन्य देशों में स्थित पैलेस्टिनियों पर भी होता दिख रहा है। लेबनान के पैलेस्टिनी गुटों के बीच शुरू यह संघर्ष आगे अधिक भयंकर और व्यापक होने की कड़ी संभावना सामने आ रही हैं। इस चिंता की वजह से यूरोप और खाड़ी देश अपने नागरिकों को लेबनान की यात्रा करने से खतरा होने की चेतावनी देते दिख रहे हैं। साथ ही इस समस्या का हल निकालने के लिए आवश्यक राजनीतिक नेतृत्व और स्थिरता फिलहाल लेबनान में नहीं हैं। इस वजह से यह समस्या आगे अधिक गंभीर होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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