धनिक देशों के हितसंबंध सुरक्षित करने की कोशिश में लगी वित्तसंस्थाओं के विकल्प के तौर पर स्वतंत्र ‘ग्रीन बैंक’ का गठन करें – केनिया के राष्ट्राध्यक्ष विल्यम रुटो की मांग

पैरिस – वैश्विक स्तर पर फिलहाल काम कर रही ‘वर्ल्ड बैंक’ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यह वित्तसंस्था धनिक देशों के हितसंबंधों की सुरक्षा करने में लगी है। इस वजह से मौसम के बदलाव जैसी समस्या का हल निकालने के लिए स्वतंत्र ‘ग्रीन बैंक’ का निर्माण करें, ऐसी मांग केनिया के राष्ट्राध्यक्ष विल्यम रुटो ने की। पैरिस में शुरू एक परिषद में रुटो ने विश्व को नई आर्थिक व्यवस्था की ज़रूरत होने का दावा भी किया। 

‘ग्रीन बैंक’फ्रान्स की राजधानी पैरिस में ‘समिट फॉर ए न्यू ग्लोबल फाइनान्शिअल पैक्ट’ नामक दो दिन के परिषद का आयोजन किया गया है। इसमें ४० से अधिक देशों के राष्ट्रप्रमुख, वित्त मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और ३० अंतरराष्ट्रीय संस्था शामिल हुई हैं। इसके अलावा निजी कंपनियां और स्वयंसेवी संस्था के सैकड़ो प्रतिनिधि भी इस परिषद का हिस्सा होने की जानकारी फ्रान्स ने साझा की। गरीबी, मौसम के बदलाव और जैव विविधिता का विनाश जैसी समस्याओं का आर्थिक स्तर पर हल निकाने की कोशिश करना ही इस परिषद का उद्देश्य हैं। 

‘ग्रीन बैंक’परिषद के दौरान विश्व के प्रमुख देशों ने विकासशील देशों को १०० अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने का निर्णय करने की जानकारी फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने प्रदान की। लेकिन, अफ्रीकी महाद्वीप का प्रतिनिधित्व कर रहे केनिया के राष्ट्राध्यक्ष ने इस निर्णय के साथ वैश्विक वित्तसंस्थाओं की नीति पर आलोचना करके सनसनी निर्माण की। राष्ट्राध्यक्ष रुटो ने वैश्विक बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्था धनिक देशों के हितसंबंधों की रक्षा करती है, इन शब्दों में नाराज़गी व्यक्त की। 

‘ग्रीन बैंक’‘अफ्रीकी देशों को कुछ भी मुफ्त नहीं चाहिये। लेकिन, सिर्फ चुनिंदा देशों के हाथों में सत्ता की बागड़ोर नहीं रहेगी, ऐसी आर्थिक व्यवस्था की आवश्यकता हैं’, यह दावा राष्ट्राध्यक्ष रुटो ने किया। मौसम के बदलाव जैसी समस्या का हल निकालने के लिए वर्ल्ड बैंक और मुद्रा कोष सक्षम नहीं हैं और इसके लिए स्वतंत्र ‘ग्लोबल ग्रीन बैंक’ का गठन करना ही होगा, यह मांग भी उन्होंने उठायी। नई यंत्रणा के अनुसार दुनियाभर में ‘ग्रीन टैक्सेस’ लागू करना होगा, यह भी केनिया के राष्ट्राध्यक्ष ने कहा।

कुछ ही दिन पहले राष्ट्राध्यक्ष रुटो ने यह आवाहन किया था कि, अफ्रीकी देशों ने अमरिकी डॉलर का त्याग करके स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल करना होगा।

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