साल के अन्त तक जर्मन अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में होगी – आर्थिक विशेषज्ञ और विश्लेषकों की चेतावनी

जर्मन अर्थव्यवस्थाबर्लिन – रशिया-यूक्रेन यूद्ध की पृष्ठभूमि पर हुआ महंगाई का उछाल और चीन के साथ शीर्ष देशों में हुई मांग की कमी के कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था साल के अन्त तक मंदी की चपेट में फंसेगी, ऐसी चेतावनी आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने दी है। दो दिन पहले ही जर्मन सरकार ने जारी की हुई जानकारी से अगस्त महीने के व्यापार में गिरावट होने की बात सामने आयी थी। सितंबर महीने में यह स्थिति अधिक खराब होने के संकेत भी दिए गए हैं। इस पृष्ठभूमि पर सामने आयी नई चेतावनी ध्यान आकर्षित करती है।

जर्मनी के ‘फेडरल स्टैटेस्टिक्स ऑफिस’ ने गुरुवार को अगस्त महीने में हुए व्यापार के आँकड़े जारी किए। इसमें जर्मन अर्थव्यवस्था की रिड़ बनी निर्यात में भारी गिरावट होने का बयान किया गया है। अगस्त महीने में जर्मनी की निर्यात में १.२ प्रतिशत गिरावट हुई। अगस्त २०२२ की तुलना में यह निर्यात करीबन ६ प्रतिशत कम दर्ज़ हुई है। इसी बीच आयात ०.४ प्रतिशत फिसली हैं और २०२२ की तुलना में यह १६.८ प्रतिशत कम है। चीन के साथ अमरीका और यूरोपिय देशों में कम हुई मांग ही जर्मनी के व्यापार में हुए नुकसान की वजह बताई जा रही है।

पिछले कुछ महीनों से जर्मनी के उत्पादन और निर्यात में लगातार भारी गिरावट हो रही हैं। पिछले साल रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जर्मन अर्थव्यवस्था पर होने वाले परिणामों की तीव्रता और दायरा बढ़ने की ओर कुछ विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है। जर्मन अभ्यास गुट, उद्योग संस्था एवं विशेषज्ञ ही रशिया-यूक्रेन युद्ध का असर अर्थव्यवस्था पर होने की बात कबूल कर रहे हैं।  

जर्मनी के प्रमुख अभ्यास गुट ‘आईएफओ इन्स्टीट्यूट फॉर इकॉनॉमिक रिसर्च’ ने चेतावनी देते हुए यह कहा है कि, देश की अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक नकाराकात्मक परिणामों का सामना करना होगा। भविष्य में जर्मन अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी कमज़ोर रहेगी, ऐसा बयान इस संस्था के प्रमुख क्लेमेन्स फ्युस्ट ने कहा है।

रशियन ईंधन वायु की आपूर्ति कम होने के कारण जर्मनी के ऊर्जा क्षेत्र को बड़ी किल्लत का सामना करना पड़ा और यह एक बड़ी भूल साबित होने के मुद्दे पर फ्युस्ट ने ध्यान आकर्षित किया। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने जर्मनी में श्रमिक शक्ति की हुई कमी का भी मुद्दा उठाया। जर्मनी की प्रमुख कंपनियां अब देश के बाहर जाने की सोच में होने के कारण इस मुद्दे पर बड़ी गंभीरता से ध्यान देना होगा, ऐसा इशारा भी फ्युस्ट ने दिया।

जर्मनी की प्रमुख वित्तीय संस्थाओं ने भी यही इशारा दिया है कि, इस वर्ष देश की अर्थव्यवस्था में ०.६ प्रतिशत कमी रहेगी। ‘आईएनजी बैंक’ के प्रमुख वित्तीय विशेषज्ञ कार्स्टन ब्रेझ्स्की ने भी इसकी पुष्टि की है। तीसरी तीमाही में ही जर्मन अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में जाने का खतरा बयान किया है। वर्ष २०२३ की पहली तिमाही में जर्मनी का जीडीपी ०.१ प्रतिशत फिसला था। इशके बाद दुसरी तिमाही में जर्मन अर्थव्यवस्था का विकास दर शून्य प्रतिशत रहा। एक के बाद एक सामने आए इन नकारात्मक नतीजों के कारण जर्मन अर्थव्यवस्था संकट में होने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हुए हैं और देश के अभ्यास गुट और वित्तीय विशेषज्ञों ने भी यही निर्देशित करना शुरू किया है।

इससे पहले वर्ष १९९०-२००० के दशक में जर्मन अर्थव्यवस्था बेहतर विकास दर पाने में नाकाम होने से कुछ वित्तीय विशेषज्ञों ने इसे ‘सिक मैन ऑफ यूरोप’ करार दिया था। करीबन ढ़ाई दशक के बाद जर्मनी फिर से उसी दहलिज पर खड़ा होने का दावा कुछ विश्लेषक कर रहे हैं। विश्व की चौथी सबसे बड़ी जर्मन अर्थव्यवस्था यूरोप में प्रमुख होने से इस देश की मंदी का असर पूरे यूरोप पर होने की संभावना पर भी ध्यान आकर्षित किया जा रहा है।

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