जर्मन अर्थव्यवस्था द्वितीय विश्वयुद्ध पश्चात् के सबसे ख़राब स्तर पर जायेगी – युरोपियन अभ्यासगुट की चेतावनी

बर्लिन – कोरोनावायरस महामारी की पार्श्वभूमि पर निर्यात घटने के कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्ध पश्चात् के सबसे ख़राब स्तर तक फिसलेगी, ऐसी गंभीर चेतावनी युरोपियन अभ्यासगुट ने दी। जर्मन अर्थव्यवस्था सन २०२० की पहली तिमाही में १.९ प्रतिशत से फिसली होकर, सालभर में पूरे ६.६ प्रतिशत से नीचे फिसलेगी, ऐसा अंदाज़ा ‘आयएफओ’ इस अभ्यासगुट जताया है। जर्मनी यह युरोप की सबसे बड़ी और दुनिया की पाँचवें नंबर की अर्थव्यवस्था है और युरोपीय अर्थव्यवस्था की नींव मानी जाती है।

जर्मन अर्थव्यवस्था यह निर्यात पर आधारित अर्थव्यवस्था होकर कोरोना के संक्रमण से वैद्यकीय और खाद्यान्न क्षेत्र को छोड़कर अधिकांश उत्पादनों का निर्माण ठप है। उसी समय, पर्यटन, मनोरंजन तथा हवाईप्रवास क्षेत्र से जुड़े उद्योग भी पूरी तरह बंद पड़े हैं। जर्मन अर्थव्यवस्था का आधार माना जानेवाला वाहननिर्माण उद्योग भी ठंड़ा पड़ गया है। इन सारीं बातों का परिणाम अर्थव्यवस्था पर हुआ होने की चिंता ‘इन्स्टिट्यूट फॉर इकॉनॉमिक रिसर्च’ (आयएफओ) ने व्यक्त की है।

इस साल जनवरी से मार्च इन तीन महीनों में जर्मन अर्थव्यवस्था १.९ प्रतिशत से नीचे फिसली होकर, अप्रैल से जून इस कालावधि में पूरे १२ प्रतिशत से गिरेगी, ऐसी चेतावनी ‘आयएफओ’ ने दी। दूसरे विश्वयुद्ध में दारुण पराजय होने के बाद जर्मन अर्थव्यवस्था का ज़ोरदार फिसलना चालू हुआ था। सन १९४९ तक जर्मन अर्थव्यवस्था की स्थिति रसातल में जा पहुँची थी। उसके बाद अब कोरोना की महामारी के कारण पुन: जर्मन अर्थव्यवस्था सबसे ख़राब स्तर पर पहुँची है। इस आर्थिक संकट से बाहर निकलकर जर्मन अर्थव्यवस्था पहले जैसी होने के लिए सन २०२१ के अन्त तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, ऐसा भी अंदाज़ा अभ्यासगुट ने जताया।

कोरोनावायरस के संक्रमण का मुकाबला करने के लिए जर्मनी में भी लॉकडाउन घोषित किया गया था। लेकिन उससे जर्मन अर्थव्यवस्था ठप पड़ गयी थी। इसलिए अर्थव्यवस्था को गतिमान् बनाने के लिए पिछले हफ़्ते उसमें से कुछ निर्बंध कुछ मात्रा में शिथिल किये गए थे। जर्मनी में अब तक कोरोनावायरस के डेढ़ लाख से भी अधिक मरीज़ पाये गए होकर, लगभग छ: हज़ार लोगों की मृत्यु हुई है।

जर्मनी यह चीन का युरोप का सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण साझेदार देश जाना जाता है। जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने चीन के साथ सहयोग बढ़ाने में पहल की थी। लेकिन अब कोरोना संक्रमण की पार्श्वभूमि पर, मर्केल ने भी चीन की भूमिका पर सवाल उपस्थित करने शुरू किये हैं। चीन संक्रमण के संदर्भ में पारदर्शकता दिखायें, ऐसी माँग भी उन्होंने की थी।

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