एक्सोस्केलेटन्स, रोबोटिक्स, ड्रोन्स से लैस ‘फ्यूचर सोल्जर’ विकसित करने के लिए रशिया की बड़ी तैयारी

russia-future-soldiers-2मास्को – एक्सोस्केलेटन का कवच, रोबोटिक्स, मिनी-मायक्रो ड्रोन्स और नवीनतम हथियारों से लैस ‘फ्यूचर सोल्जर’ कार्यक्रम आगे बढ़ाने के लिए रशिया बड़ा तेज़ काम कर रही है। इस वजह से सैनिकों की युद्ध कुशलता बढ़ेगी, यह दावा रशियन सेना के वरिष्ठ अफसर ने किया। बीते दो वर्षों में एक मिनट के लिए भी यह कार्यक्रम रुका नहीं है, इन शब्दों में एक रशियन अधिकारी ने इसकी अहमियत रेखांकित की।

रशिया ने बीते दशक से अतिप्रगत रक्षा सामान और तकनीक का निर्माण करने जोरदार कोशिश शुरू की है। भविष्य के युद्ध के लिए अपने सैनिकों को मुस्तैद करने के लिए रशिया ने ‘रैटनिक’ नामक कार्यक्रम शुरू किया है। इसी के तहत रक्षा सामान के अंदरुनि निर्माण में जुटी प्रमुख रशियन कंपनियाँ भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनी हैं। रशिया की ‘रॉस्टेक’ कंपनी ‘फ्यूचर सोल्जर’ अर्थात भविष्य के रशियन सैनिकों के लिए सामान का निर्माण कर रही है।

रॉस्टेक की ‘सेंट्रल सायन्टिफीक रिसर्च इन्स्टिट्यूट फॉर प्रिसिशन मशिन इंजिनियरिंग-ट्सिनीटॉशमैश’ नामक उप-कंपनी ‘रैटनिक’ कार्यक्रम के तहत एक्सोस्केलेटन्स, रोबोटिक्स का निर्माण कर रही हैं। ‘क्रास्नाया जेज्दा’ नामक स्थानीय अखबार से बोलते हुए रशियन सेना के वरिष्ठ अधिकारी जनरल ओलेग साल्यूकोव ने यह जानकारी साझा की। साथ ही मिनी और मायक्रो ड्रोन्स का निर्माण भी शुरू होने की जानकारी जनरल ओलेग ने प्रदान की। जनरल ओलेग रशियन ग्राउंड फोर्सेस के मौजूदा प्रमुख हैं।

russia-future-soldiers-1बीते कुछ वर्षों के दौरान ‘रैटनिक’ कार्यक्रम में लगातार बदलाव किए गए हैं और भविष्य के रशियन सैनिकों को ताकतवर बनाने की कोशिश जारी होने का बयान जनरल ओलेग ने किया। इसके लिए रशियन सैनिकों द्वारा इस्तेमाल हो रही प्रगत दर्जे की ‘एके-७४ असॉल्ट रायफल’ के बजाय उन्हें ‘कलाश्‍निकोव कंपनी’ की ही ‘एके-१२’ जैसी काफी प्रगत रायफल प्रदान की जा रही है। इस रायफल की क्षमता एक मिनिट में ६०० से ६५० गोलियां दागने की है। इसके अलावा रशियन सैनिकों के लिए थर्मल और नाईट विजन की सुविधा से लैस हेल्मेट एवं प्रगत संपर्क यंत्रणा का निर्माण हो रहा है।

रशिया ने अब तक तकरीबन ३,००,००० रैटनिक एक्सोस्केलेटन्स अपने सैनिकों को प्रदान किए हैं। इसकी विशेषता यह है कि, इसे पहनने के बाद रशियन सैनिक बड़ी सटीकता से निशाना लगा सकता है, ऐसा दावा रशियन कंपनी कर रही है। इसके साथ ही भारी सामान के साथ कई मिल पैदल जाना या पहाड़ी रास्तों पर आगे बढ़ना रशियन सैनिकों के लिए आसान होगा। आम सैनिकों की तुलना में ‘एक्सोस्केलेटन्स’ पहननेवाले सैनिक अधिक गतिमान और ताकतवर होंगे, यह दावा रशियन सेना अधिकारी कर रहे हैं।

इससे पहले अमरीका, ब्रिटेन, चीन ने भी इस तरह के ‘एक्सोस्केलेटन’ का कवच और रोबोटिक्स सैनिकों के विषय पर अनुसंधान कार्य शुरू करने की बात स्पष्ट हुई थी। कुछ महीने पहले ‘एक्सोस्केलेटन्स’ पहने हुए चीन के सैनिक तिब्बत की पहाड़ी चढ़ते हुए दर्शानेवाला वीडियो चीनी मुखपत्र ने प्रसिद्ध किया था।

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