सौदी और रशिया ने किया लष्करी सहयोग का समझौता

रियाध/मास्को – सौदी अरब और रशिया के बीच लष्करी सहयोग का समझौता हुआ है। अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता को प्रोत्साहित करने के लिए यह लष्करी सहयोग जरुरी होने का बयान दोनों देशों ने किया है। सौदी के उप-रक्षामंत्री प्रिन्स खालिद बिन सलमान ने यह समझौता करने के लिए रशिया का दौरा किया। बायडेन प्रशासन के कमज़ोर नेतृत्व की वजह से अमरीका अपने मित्र और सहयोगी देशों का भरोसा खो रही है, ऐसी आलोचना अमरीका में जोर पकड़ रही है। ऐसी स्थिति में सौदी और रशिया का लष्करी समझौता अहमियत रखता है।

रशिया में फिलहाल ‘इंटरनैशनल मिलिटरी टेक्निकल फोरम आर्मी एक्सपो’ जारी है। विश्‍वभर के देश और हथियार निर्माण की कंपनियों ने अपने दालान इस अंतरराष्ट्रीय एक्सपो में लगाए हैं। इसमें भारत का भी दालान है जिसके ज़रिये तेज़स विमान, टैंक विरोधी मिसाइल, अर्जून टैंक का प्रदर्शन किया गया है। एक हफ्ता चलनेवाली इस प्रदर्शनी में हथियार खरीदने के मुद्दे पर बातचीत एवं समझौते होंगे। इस एक्सपो के अवसर से सौदी के उप-रक्षामंत्री प्रिन्स खालिद बिन सलमान दो दिन पहले ही रशिया पहुँचे थे।

saudi-russia-military-dealसौदी के राजा सलमान के पूत्र और क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान के छोटे भाई उप-रक्षामंत्री लेफ्टनंट जनरल अलेक्ज़ैंडर फोमिन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच लष्करी सहयोग विकसित करने के लिए समझौता किया गया। प्रिन्स खालिद ने यह जानकारी सार्वजनिक की। इस लष्करी सहयोग की वजह से सौदी और रशिया का लष्करी और रक्षा संबंधी सहयोग मज़बूत होगा, यह विश्‍वास प्रिन्स खालिद ने जताया। इस दौरान रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगू भी मौजूद थे।

‘एक-दूसरे के हित से जुड़ी सभी समस्याओं पर लष्करी और लष्करी-तकनीक के क्षेत्र में सहयोग विकसित करने का हमारा ध्येय है’, ऐसा शोईगू ने इस दौरान कहा। साथ ही सीरिया में संघर्ष में सफल हुए नए हथियार रशिया के पास होने की बात पर रक्षामंत्री शोईगू ने ध्यान आकर्षित किया। सौदी और रशिया के इस लष्करी सहयोग का पूरा ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है। लेकिन, सीरिया में मौजूद नए हथियारों का ज़िक्र करके रशिया सौदी को हवाई सुरक्षा यंत्रणा एवं मिसाइल देने की तैयारी में होने के दावे किए जा रहे हैं।

सौदी अरब, विश्‍व में सबसे बड़ा हथियारों का खरीदार है। अमरीका के बाद विश्‍व में सबसे अधिक हथियारों की बिक्री करनेवाले देश के तौर पर रशिया का ज़िक्र होता है। वर्ष २०१६ से २०२० के दौररान सौदी ने अमरीका से सबसे अधिक मात्रा में हथियारों खरीदे। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अमरीका में सरकार स्थापित करने के बाद सौदी को लष्करी सहायता देना रोक दिया था। साथ ही बायडेन प्रशासन ने सौदी में तैनात पैट्रियॉट हवाई सुरक्षा यंत्रणा हटाने के आदेश भी जारी किए थे।

बायडेन प्रशासन ने ईरान को लेकर उदारता की नीति अपनाकर सौदी अरब के खिलाफ सख्त भूमिका अपनाई थी। इसकी गूँज़ सुनाई देगी और अमरीका खाड़ी क्षेत्र में अपने अहम मित्रदेश खो बैठेगी और इससे रशिया लाभ उठाएगी, यह इशारा अमरीका के विपक्षी नेता दे रहे हैं। इस ओर बायडेन प्रशासन ने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया है। सौदी अरब ने रशिया के साथ लष्करी सहयोग के लिए समझौता करना अमरीका के विपक्षी नेताओं की चिंता सच्चाई में उतरती हुई दिख रही है। इस वजह से बायडेन प्रशासन की नीति अमरीका का घात करेगी, ऐसी हो रही आलोचना अधिक तीव्र हो सकती है।

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