रक्षामंत्री द्वारा लष्कर को, सीमासुरक्षा के लिए आवश्यक फ़ैसलें करने की पूरी आज़ादी

नई दिल्ली – चिनी लष्कर का आक्रमण रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के पूरे अधिकार भारतीय लष्कर को प्राप्त हुए हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने, रक्षादलप्रमुखों की बैठक में इस संदर्भ के आदेश दिये होने की ख़बर है। इससे, अब तक अपनी छाती को ही दीवार बनाकर चीन के लष्कर के सामने अधिक समर्थता से ख़ड़े रहनेवाले भारतीय सैनिक, अब चीन की हरक़तों का उसी भाषा में प्रत्युत्तर दे सकेंगे। कई दशकों से चीन की सीमा पर एक भी गोली नहीं चली थी। लेकिन गलवान वैली में कर्नल संतोष बाबू समेत २० जवान शहीद होने के बाद, चीन भारत का सब्र मानकर नहीं चल सकता, ऐसी कड़ी चेतावनी इसके ज़रिये दी गयी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने रक्षादलप्रमुख जनरल बिपीन रावत, लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, नौदलप्रमुख अ‍ॅडमिरल करमबीर सिंग और वायुसेनाप्रमुख आर.के.एस.भदोरिया से मुलाक़ात की। इस समय, रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने लद्दाख की परिस्थिति का जायज़ा लिया। साथ ही, सीमा की रक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की सहूलियत राजनाथ सिंग ने भारतीय लष्कर को दे दी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, सर्वपक्षीय बैठक संपन्न होने के बाद, लष्कर को सीमा पर की परिस्थिति हँडल करने के लिए संपूर्ण अधिकार दिये हैं, यह घोषित किया था।RAJNATH SINGH

भारत और चीन की सीमा पर गश्ती करते समय दोनों देशों के सैनिक गोलीबारी ना करें, ऐसा समझौते के अनुसार तय हुआ था। गश्ती करते समय यदि दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के सामने आयें, तो संघर्ष शुरू ना हों, इसलिए यह समझौता किया गया था। लेकिन गत दो दशकों में चीन ने इस समझौते का नाजायज़ फ़ायदा उठाकर, भारत की सीमा में घुसपैंठ जारी रखी थी। लेकिन अब चीन का लष्कर, भारतीय सेना के सब्र को मानकर नहीं चल सकता और चीन की हरक़त का भारत द्वारा मुँहतोड़ प्रत्युत्तर दिया जा सकता है, ऐसा संदेश चीन को मिला है। इस कारण, लद्दाख की गलवान वैली के साथ ही, सिक्कीम, उत्तराखंड से अरुणाचल प्रदेश तक के भारत के भूभाग पर दावा जतानेवाले चीन को बड़ा झटका लगा है।

गलवान वैली के संघर्ष के बाद चीन ने भारत के भूभाग पर दावा जताने का सत्र जारी रखा था और इसके ज़रिये चीन पुन: यहाँ पर गश्त करने का अपना अधिकार स्थापित करना चाहता था। लेकिन इस समय भारत ने अपनाई आक्रमक भूमिका के कारण, इस इलाक़े में घुसपैंठ करते समय चीन को भारतीय सेना के साथ संघर्ष करने की तैयारी रखनी होगी। फिलहाल तो चीन का लष्कर इस संघर्ष के लिए तैयार नहीं होगा, ऐसा सामरिक विश्लेषकों का कहना है। चीन से सटे सारे सीमाक्षेत्र में भारतीय लष्कर और वायुसेना ने की तैनाती और बुनियादी सुविधाओं का विकास इनके कारण आनेवाले समय में चीन को भारत के साथ खिलवाड़ करना मुश्किल होगा।

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