यह २०२० का भारत है, इसे ध्यान में रखें

भारत के पूर्व सेनाप्रमुख ने दी चीन को चेतावनी

नई दिल्ली – दोनों देशों के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों के बीच हुई चर्चा के अनुसार, चीन के सैनिक पीछे क्यों नहीं हट रहे हैं, यह देखने के लिए भारतीय सेना का दल चीन के टेंट तक जा पहुँचा था। उस समय चिनी सेना के तंबू में आग लगी और दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष शुरू हुआ, ऐसी जानकारी भारत के पूर्व सेनाप्रमुख और केंद्रीयमंत्री व्ही.के.सिंग ने साझा की। साथ ही, यह सन १९६२ का भारत नहीं है; सन २०२० का भारत, अपने सामने उपलब्ध कोई भी विकल्प का इस्तेमाल करने में हिचकिचाएगा नहीं, यह चेतावनी व्ही.के.सिंग ने चीन को दी है।Remember this is India in 2020 galwan-valley

गलवान वैली में हुआ संघर्ष भारत की सीमा में हुआ या चीन की सीमा में? यह संघर्ष यदि चीन की सीमा में हुआ है, तो भारतीय सैनिक चीन की सीमा में कैसे पहुँचे? ऐसें सवाल कुछ लोग कर रहे थे। साथ ही, भारत की भूमि यदि चिनी सेना ने कब्ज़े में नहीं की है, तो फिर चीन ने कहाँ पर घुसपैंठ की, यह सवाल भी किया जा रहा था। इन सभी सवालों के जवाब, पूर्व सेनाप्रमुख जनरल व्ही. के. सिंग ने दिए। दोनों देशों के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों के बीच हुई चर्चा के अनुसार, चीन की सेना अपनी सीमा से पीछे हटनी थी। लेकिन, तय हुईं बातों के अनुसार चिनी सैनिक वहाँ से पीछे क्यों नहीं हटें, इसकी जाँच करने के लिए भारतीय सेना का दल १५ जून की रात में चीन के टेंट के करीब पहुँचे थे, यह बात व्ही.के.सिंग ने स्पष्ट की।

इसी बीच, चिनी सेना के टेंट में यकायक आग लगी और इसके बाद वहाँ पर कड़ा संघर्ष शुरू हुआ। चीन के सैनिकों ने रॉड़ और बाड़ की तार का इस्तेमाल करके भारतीय सैनिकों पर हमला किया। वहीं, भारतीय सैनिक हाथ और पत्थरों का इस्तेमाल करके वहाँ पर लड़ रहे थे। इस सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं को गोलीबारी करने की अनुमति नहीं है। अन्यथा वहाँ पर कोहराम मचा होता। वहाँ पर लड़ रहें दोनों देशों के सैनिकों ने सहायता मंगवाई। चिनी सेना को यह सहायता ज़ल्द ही प्राप्त हुई; वहीं, भारतीय सैनिक वहाँ पर थोड़ी देर से पहुँचे। इसके बाद हुए संघर्ष में भारत के २० सैनिक शहीद हुए और यह संघर्ष शुरू करनेवाले चीन को अपने ४३ सैनिक खोने पड़े, यह जानकारी व्ही.के.सिंग ने साझा की।

चीन अभी भी इस संघर्ष में मारे गए अपने सैनिकों की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रहा है। लेकिन, भारत ने अपने शहीद सैनिकों का सम्मान किया। दोनों देशों की व्यवस्थाओं के बीच होनेवाले इसी फ़र्क़ पर पूर्व सेनाप्रमुख ने ग़ौर फ़रमाया। सन १९५९ में चीन ने भारत के सामने अपना दावा जतानेवाला नक्शा रखा था। इसके अनुसार चीन की सेना इस निर्जन इलाके में गश्‍त करती रही हैं। कई बार भारतीय सैनिक और चीन के सैनिक गश्‍त के दौरान एक-दूसरे के सामने खड़े हुए थे। लेकिन उनके बीच संघर्ष नहीं होता था। ऐसें में पिछले पांच-छः वर्षों से दोनों ओर से टकराव होना शुरू हुआ। इसका प्रमुख कारण भारत के सैनिक वहाँ गश्‍त करनेवाले चिनी सैनिकों को रोकने लगे थे। यही चीन की बेचैनी का असली कारण है, यह बात व्ही.के.सिंग ने कही। साथ ही एक इन्सान की चरमपंथी महत्त्वाकांक्षा की वज़ह से यह सीमा विवाद भड़का है, यह दावा करके पूर्व सेनाप्रमुख ने, ठेंठ ज़िक्र किए बिना चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को लक्ष्य किया।

लेकिन, यह सन १९६२ का भारत नहीं है। सन २०२० की भारतीय सेना के हाथ में आवश्‍यक सभी संसाधन मौजूद हैं और भारत का नेतृत्व भी मज़बूत है, इन शब्दों में व्ही.के.सिंग ने चीन को चेतावनी दी। पश्‍चिमी देशों में स्थित सामरिक विश्‍लेषक और राजनयिक भी, प्रत्यक्ष युद्ध में भारत चीन पर वर्चस्व स्थापित करेगा, यह बात रख रहे हैं। भारतीय रक्षाबलों की क्षमता, तजुर्बा और कुशलता को मिलाकर देखें, तो कई वर्ष से युद्ध ना किया हुआ चीन भारत के सामने खड़ा नहीं रह सकेगा, यह बात कुछ सामरिक विश्‍लेषक और राजनयिक बड़े विश्‍वास के साथ कह रहे हैं। लेकिन, चीन प्रचारयुद्ध में बहुत ही माहिर देश है। इसका इस्तेमाल करके हमने भारत पर दबाव बनाया है, यह भ्रम चीन खड़ा कर रहा है। लेकिन, चीन के इस प्रचार युद्ध का प्रभाव अब नहीं पड़ रहा हैं और गलवान वैली में हुए संघर्ष में ज़बरदस्त शौर्य दिखाकर भारतीय सैनिकों ने चीन के प्रचारयुद्ध की हवा ही निकाल दी है, यह बात भारत के अन्य लष्करी अधिकारी बड़े गर्व से कह रहे हैं।

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