भारतीय लष्कर की गतिविधियों से चीन बेचैन

नवी दिल्‍ली – दो दिन बीतने के बाद भी गलवान वैली के क़ायर हमले में अपने कितने जवान शहीद हुए, यह चीन ने स्‍पष्ट नहीं किया है। जनभावना भड़क न उठें, इसलिए हम मरे हुए जवानों की संख्या घोषित नहीं कर रहे हैं, ऐसा चीन का कहना है। लेकिन भारतीय लष्कर के जवाबी हमले में चीन को अधिक संख्या में जवान गँवाने पड़े, यह मान्य करके चीन अपनी बेइज़्ज़ती करवाने तैयार नहीं, यह बात सामने आ रही है। गलवान वैली में चीन के हमले में भारत के कर्नल संतोष बाबू समेत २० जवान शहीद हुए थे। भारत ने इस मामले में पारदर्शिता दिखाकर, इस बारे में सारी जानकारी ज़ाहिर की। लेकिन चीन इस संदर्भ में जो जानकारी छिपा रहा है, उससे इस देश की मानसिकता सामने आ रही है। उसी समय, भारतीय लष्कर इस हमले का बदला लेने के लिए ज़बरदस्‍त लष्करी कार्रवाई करेगा, इस चिंता से ग्रस्त हुए चीन ने गलवान वैली में अधिक सैनिकों की तैनाती करके यहाँ पर अत्‍याधुनिक शस्‍त्रास्‍त्र भी तैनात किये हैं।LAC eastern ladakh

भारत सरकार ने अपनी सेना को, चीन को प्रत्‍युत्तर देने के लिए सर्वाधिकार बहाल किये हैं। इसके बाद यदि चीन ने ज़रासी भी छेड़छाड़ की, तो पूरी ताक़त के साथ प्रहार करने के लिए भारतीय लष्कर बेताब है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की चीन की सीमा पर भारतीय लष्कर की तैयारी पूरी हो चुकी है और वायुसेना के विमाने सुसज्जित स्थिति में रखे गये हैं। भारतीय नौसेना किसी भी पल मलाक्‍का की ख़ाड़ी में चीन की घेराबंदी कर सकती है, इसका एहसास अलग अलग मार्गों से चीन को कराया जा रहा है। इसके परिणाम दिखने लगे होकर, बेचैन बना चीन भारत को युद्ध की नयीं धमकियाँ देने लगा है।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिंन पिंग ने अपने लष्कर को, अत्‍याधुनिक होने का और अधिक व्‍यवसायिकता दिखाने का संदेश दिया है। भारत के साथ तनाव भारी मात्रा में बढ़ा होते समय, चिनी राष्ट्राध्यक्ष ने किये ये बयान ग़ौरतलब साबित होते हैं। लोहे की सलाखें और काँटेदार तार इनका इस्तेमाल करके हमला करनेवाला चीन का लष्कर यह कोई ‘प्रोफेशनल आर्मी’ नहीं है। दुनिया का कोई भी लष्कर इस प्रकार का आचरण नहीं करता, ऐसी आलोचना भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी कर रहे हैं। ठेंठ युद्ध करने की हिम्मत ना होने के कारण ही, चिनी जवानों ने गोलीबारी न करते हुए, भारतीय सैनिकों पर लोहे की सलाख़ें और काँटेदार तार इनका इस्तेमाल करके हमला किया, इस मुद्दे पर पूर्व लष्करी अधिकारी ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

चीन चाहे कितने भी बड़े बड़े दावे कर रहा हों, लेकिन प्रत्‍यक्ष रूप में लड़ते समय चीन के जवान मँझे हुए भारतीय लष्कर के सामने कितना समय टिक सकेंगे, यह सवाल उपस्थित होता है, ऐसा दावा एक पूर्व लष्करी अधिकारी ने किया है। ‘चीन’ नामक देश से नहीं, बल्कि चीन की सत्ताधारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के साथ निष्ठा रखनेवाले चीन के जवान सिर हथेली पर रखकर लड़ ही नहीं सकते, इस मुद्दे की ओर सामरिक विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ‘सीएनएन’ इस अमरिकी न्यूज़चॅनल में प्रकाशित हुए एक लेख में, चीन लष्करी दृष्टि से भारत से बढ़कर है ऐसा मानने का कुछ भी कारण नहीं है, ऐसा जताया गया है। इसी कारण, ‘भारत प्रतिहमले की भाषा छोड़ दें’ ऐसीं धमकियाँ हालाँकि चीन से दीं जा रहीं हैं, फिर भी वास्तव में भारत की कार्रवाई के डर से चीन बेचैन हुआ दिख रहा है। उसी समय भारतीय लष्कर का आत्‍मविश्वास दृढ़ होता दिखायी दे रहा है और चीन पर बढ़े हुए दबाव के कारण भारतीय रक्षादलों की गतिविधियाँ अधिक से अधिक तीव्र होतीं चली जा रहीं हैं, यह स्‍पष्ट रूप से दिखायी देने लगा है।

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