भारत पर दबाव बनाने की चीन की कोशिश

नई दिल्ली – चीन से जुड़ी प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा की स्थिति में बदलाव करने की कोशिश भारत ने नहीं की है, लेकिन दोनों देशों में इस संदर्भ में हुए समझौते का भंग करके चीन यहाँ की स्थिति में बदलाव करने की कोशिश कर रहा है, इन शब्दों में भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन को फ़टकार लगाई है। लद्दाख की गलवान वैली से वापस लौटने का दिखावा चीन कर रहा है, लेकिन देप्सोंग इलाके में चीन ने बड़ी मात्रा में सेना की तैनाती शुरू की है, यह भी स्पष्ट हुआ है। इसके अलावा, हिंद महासागर के क्षेत्र में चिनी मछुआरों के करीबन पाँच सौ जहाज़ों का दल आवाज़ाही कर रहा है। चीन के मछुआरों के ये जहाज़ यानी चिनी नौसेना का ही दल होने के आरोप इससे पहले आग्नेय एशियाई देशों ने किये थे।india china pressure

गलवान वैली के साथ सरहदी क्षेत्र में बना तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। लेकिन, इस बातचीत के दौरान सेना को पीछे हटाने की बात स्वीकार करने के बाद भी चीन ने देप्सोंग क्षेत्र में बड़ी संख्या में सेना की तैनाती शुरू की है। भारत के ‘दौलत बेग ओल्डी’ हवाई अड्डे के नज़दिकी इलाके में चीन कर रहा यह तैनाती, इस क्षेत्र में भारत की गश्‍त रोकने के लिए ही होने का दावा समाचार चैनल कर रहे हैं। इस कारण सीमा पर बना तनाव करने में चीन को थोड़ी भी रुचि ना होने की बात स्पष्ट हो रही है।

१५ जून के रोज देर रात में गलवाल वैली में हुए संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत २० भारतीय सैनिकों ने बलिदान किया था। इसी बीच हुए संघर्ष में चीन को भारत से दुगुनी मात्रा से भी अधिक सैनिकों को खोना पड़ा था। इस संघर्ष में भारी मात्रा में घायल हुए चिनी सैनिकों की संख्या भारत के घायल सैनिकों से कई ज़्यादा है। इस संघर्ष में भारतीय सैनिकों ने दिखाए साहस की दखल लेकर सेनाप्रमुख जनरल नरवणे ने इन सैनिकों का सम्मान किया। वहीं, दूसरी ओर स्वयं को महासत्ता कह रहे चीन की सेना की इस संघर्ष में बड़ी मानहानि हुई है।

इसी वज़ह से भारत को झटका देकर, फिर यहाँ की सीमा से वापस लौटने का रणनीतिक निर्णय चीन ने किया होगा, ऐसी गहरी संभावना सामने आ रही है। लेकिन, भारतीय सैनिकों की सतर्कता की वज़ह से चीन को ऐसे मौक़े का फ़ायदा उठाना संभव नहीं हुआ है। लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा पर भारतीय सेना और वायुसेना युद्ध के लिए तैयार है। हिंद महासागर के क्षेत्र मे भी चीन भारत को चुनौती दे सकता है, यह एहसास रखनेवाली भारतीय नौसेना ने भी संभाव्य संघर्ष की पूरी तैयारी रखी है। हिंद महासागर क्षेत्र में चिनी मछुआरों के करीबन ५०० जहाज़ों की मौजुदगी होने की जानकारी भारतीय मछुआरों के संगठनों ने प्रदान की हैं। इससे पहले साउथ चायना सी के क्षेत्र में, बड़ी संख्या ने अपने मछुआरों के जहाज़ों की घुसपैठ करवाकर चीन अपना वर्चस्व स्थापित करता हुआ दिखाई दिया था। ये मछुआरों के जहाज़ आम नहीं हैं, बल्कि वे चिनी नौसेना की आक्रामक योजना का हिस्सा होने के आरोप आग्नेय एशियाई देशों ने किये थे। इस वजह से, चीन के मछुआरों की जहाज़ों की ओर चिनी नौसेना के दल के रूप में ही देखा जाता है।

इस तरह से चीन ने, भारत पर दबाव बनाने के लिए अलग अलग विकल्पों को अपनाने का काम शुरू किया है। यह करते समय चीन आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं की प्रतिमा और भी बिगाड़ रहा है और भारत को विश्‍वभर में प्राप्त हो रहें समर्थन में बढ़ोतरी हो रही है। चीन के विरोध में खड़े हुए देशों का मोरचा चीन को और भी बेचैन कर रहा है। इस वज़ह से, हमला भी नहीं कर सकता और पीछे भी नहीं हट सकता, ऐसी विचित्र स्थिति में चीन फ़ँसा है। इसी वज़ह से, भारत के साथ अपने अन्य प्रतिद्वंद्वी देशों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश चीन कर रहा है।

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