दृश्‍य और अदृश्‍य दुश्‍मनों को ख़त्म करने के लिए भारत सक्षम – रक्षामंत्री राजनाथ सिंग

नई दिल्ली,  (वृत्तसंस्था) – देश की सीमा पर मौज़ूद दृश्‍य एवं कोरोना जैसे अदृश्‍य दुश्‍मनों को ख़त्म करने के लिये भी रक्षा मंत्रालय तैयार है, यह बयान रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने किया है। पाकिस्तान और चीन ने भारत को चुनौती देनेवालीं हरकतें शुरू की हैं और इसके पीछे दोनों देशों की साज़िश है, यह आरोप कुछ विश्‍लेषक कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, रक्षामंत्री ने दृश्‍य शत्रुओं के संदर्भ में किया यह बयान सूचक साबित होता हैं।

११ मई, १९९८ को भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके पुरे विश्‍व को अचंबित किया था। यह दिन ‘राष्ट्रीय तकनीकी दिन’ के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर आयोजित किये कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंग बोल रहे थे। सीमा पर खड़े हुए दृश्‍य शत्रुओं को एवं कोरोना जैसे अदृश्‍य शत्रुओं को ख़त्म करने की क्षमता भारतीय रक्षा मंत्रालय रखता है, इस बारे में देश आश्‍वस्त रहें, यह भरोसा भी रक्षामंत्री ने इस दौरान दिलाया।

पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू एफ-१६ और जेएफ-१७ विमान भारतीय हवाई सीमा के नज़दिकी क्षेत्र में गश्‍त कर रहें हैं और सिक्किम की सीमा पर चिनी सैनिकों ने घुसपैठ करने की खबर हाल ही में सामने आयी थी। साथ ही, चिनी सेना का हेलिकॉप्टर भी भारतीय सीमा से नज़दिकी क्षेत्र में उड़ान भरता दिखाई देने की खबरें भी हाल ही में प्राप्त हुई थी। इस वज़ह से पाकिस्तान और चीन एकसाथ साज़िश करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, यह भी स्पष्ट हो रहा है। देश के कुछ सामरिक विश्‍लेषकों ने, इसके पीछे भारत के पड़ोसी देशों की बड़ी साज़िश होने की संभावना भी जताई हैं।

इस वजह से रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने, चुनिंदा शब्दों में पाकिस्तान और चीन को उचित संदेशा दिया हुआ दिखाई दे रहा है। देशांतर्गत रक्षा सामान का निर्माण करने में आत्मनिर्भर होने की ज़रूरत है। इसके लिये सरकार ने रणनीतित्मक प्लैन तैयार किया है और देशांतर्गत रक्षा उद्योग क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा रहा है, यह बयान भी रक्षामंत्री ने किया।

इसके साथ ही, कोरोना के विरोध में जारी जंग में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बड़ा योगदान प्रदान किया होने की बात भी राजनाथ सिंग ने कही। कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिये ‘डीआरडीओ’ अलग अलग साधनों का निर्माण कर रहा है और पिछले तीन-चार महीनों में ‘डीआरडीओ’ ने इस हेतु ‘बायो सूट’, ‘सेनेटायझर डिस्पेन्सर’, ‘पीपीई किटस्‌’ समेत कुल ५० उपकरणों का निर्माण किया है। ‘डीआरडीओ’ की वज़ह से इतने रेकॉर्ड समय में इन उच्च दर्ज़े के सामान का बड़ी मात्रा में उत्पादन करना मुमकिन हुआ है, यह भी राजनाथ सिंग ने कहा।

रक्षा उत्पादन में स्वयंपूर्ण होने के लिए नीति तैयार की गई है। स्वदेशी तकनीक और स्वदेशी उत्पादन के अलावा और कोई चारा नहीं हैं, यह बयान भी उन्होंने इस दौरान किया। तकनीक आयात करने के बजाय भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा और निर्यातदार भी बनेगा, यह विश्‍वास रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने इस अवसर पर व्यक्त किया।

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