रक्षामंत्री राजनाथ सिंग रशिया यात्रा के लिए रवाना

नई दिल्ली – भारत और चीन के बीच किसी भी क्षण युद्ध शुरू होगा, ऐसी स्थिति होने के दौरान, रक्षामंत्री राजनाथ सिंग की तीन दिन की रशिया यात्रा शुरू हुई है। इस यात्रा के दौरान वे रशिया के साथ सुखोई विमान, पनडुब्बी और टी-९० टैंक को आवश्‍यक सामान की तुरंत आपूर्ति करने के मुद्दे पर बातचीत करेंगे, ऐसी ख़बरें सरकारी सूत्रों से प्राप्त हो रही हैं। इससे पहले भारतीय वायुसेना ने ३३ ‘सुखोई-३० एमकेआय’ और ‘मिग-२९’ लड़ाकू विमानों की ख़रीद करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के सामने रखा था। इसके बाद रशिया ने ये विमान, जितनी हो सकें, उतनी जल्दी प्रदान करने के संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंग की यह रशिया यात्रा काफ़ी बड़ी सामरिक अहमियत रखती है।Rajnath Singh leaves for Russia

सोवियत रशिया ने दूसरें विश्‍वयुद्ध में हासिल की हुई जीत को अब ७५ वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित रहने के लिए भारतीय रक्षामंत्री को चार दिन पहले ही निमंत्रित किया गया था। इसी बीच चीन के हमले में भारत के २० सैनिक शहीद हुए हैं और भारत-चीन सीमा पर काफी तनाव बना है। ऐसे में रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने रशिया का निमंत्रण स्वीकार किया था।

इन तीन दिनों की रशिया यात्रा के दौरान राजनाथ सिंग रशिया के रक्षामंत्री जनरल सर्जेई शोयगु समेत रशिया के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करेंगे। भारत को रशियन निर्माण के ‘सुखोई-३० एमकेआय’, पनडुब्बी और टी-९० टैंक के पुर्जों की तुरंत ज़रूरत है। इसकी आपूर्ति तुरंत हो; साथ ही, भारत की आवश्‍यकता ध्यान में रखकर यह सामान समुद्री मार्ग के बजाय तेज़ गति से हवाई मार्ग से प्रदान करें, यह माँग रशिया के सामने रखी जाएगी, ऐसा सरकारी सूत्रों ने कहा है। साथ ही, रशिया से ‘एस-४००’ मिसाईल विरोधी यंत्रणा भी जल्द से जल्द प्राप्त हों, यह माँग भारत द्वारा की जाएगी, ऐसा कहा जा रहा है।

RAJNATH SINGH

भारत का चीन के साथ सीमा विवाद शुरू है और ऐसें में रशिया ने भारत के पीछे खड़ें रहने के संकेत दिए थे। रशिया ने भारत को लड़ाकू विमान प्रदान करने की तैयारी दिखाकर चीन को झटका दिया है, इसपर माध्यमों द्वारा ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। कोरोना की महामारी के कारण विश्‍वभर के प्रमुख देश चीन पर गुस्सा हैं और रशिया की भूमिका इससे अलग ना होने की बात स्पष्ट हुई है। ऐसें में चीन अपनी आर्थिक ताकत के बल पर तेज़ गति से प्रगति कर रहा है और इससे विश्‍व में रशिया के स्थान को झटका लग रहा हैं। इससे रशिया के हितसंबंधों के लिए खतरा बना है, इस बात का एहसास इस देश के विश्‍लेषक दिला रहे हैं।

कुछ समय पहले रशिया से की खरीद करनेवाला चीन, रशियन तकनीक की चोरी करके इस सामान का देश में ही निर्माण कर रहा है, यह बात सामने आयी थी। इस वज़ह से, रशिया हालाँकि अमरीका के विरोध में चीन की सहायता ले रहा है, लेकिन चीन पूरी तरह से भरोसा करनेवाला मित्र देश ना होने का पूरा एहसास रशिया रखता है। इसी कारण, भारत-चीन विवाद में रशिया अभी भी भारत के पक्ष में खड़े रहने का संकेत दे रहा है।

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