अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की मांग काफी कम होगी – अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्था की चेतावनी

ईंधन की मांगलंदन – विकासशील देशों ने अपनाई नीति के कारण वर्ष २०२८ तक अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की मांग छह प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद हैं। पेट्रोकेमिकल और हवाई यातायात के क्षेत्र की मांग इसके लिए सहायक साबित होगी। लेकिन, इसके बाद उछली कीमत और सप्लाई चेन की सुरक्षा के मसले के कारण ईंधन की मांग भारी कम हो जाएगी, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्था ने दी है। इस दौरान चीन में ईंधन की बिक्री भी कम होगी, इस मुद्दे पर वर्णित संस्था ने अपने रपट के ज़रिये ध्यान आकर्षित किया है। इसी बीच अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंध और ओपेक प्लस देशों ने ईंधन उत्पादन में की हुई कटौती के कारण ईंधन का संकट भी तीव्र होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।    

कुछ घंटे पहले अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आयोग ने ‘मिडियम टर्म मार्केट’ की रपट जारी की। इसमें आयोग ने अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की मांग और सप्लाई संबंधित अनुमान व्यक्त किए हैं। वर्ष २०२२ से २०२८ के दौरान विश्व में ईंधन की मांग छह प्रतिशत बढ़ेगी। वर्ष २०२८ तक ईंधन की मांग प्रति दिन १०.५७ करोड़ बैरल्स तक जा पहुंचेगी, यह दावा इस रपट में किया गया है। तेज़ी से आर्थिक प्रगति कर रहें विकास शील देशों ने अपनाई नीति के कारण ईंधन की मांग काफी बढ़ोतरी देखी जाएगी। साथ ही पेट्रोकेमिकल्स और हवाई यातायात के क्षेत्र की ईंधन की मांग भी इस उछाल के वजह बनेगी, ऐसा इस रपट में कहा गया है।

ईंधन की विश्व में कुल मांग की तीन चौथाई बढ़ोतरी एशियाई देशों से शुरू होगी। वर्ष २०२७ तक भारत की ईंधन की मांग चीन से भी ज्यादा होगी, यह अनुमान इस रपट में दर्ज़ है। लेकिन, अमरीका, कनाड़ा और यूरोपिय देशों में ईंधन की मांग नकारात झुकाव दिखाएगी, ऐसी संभावना इस संस्था ने दर्शायी है। इस वर्ष के पहले छह महीनों में चीन से हो रही ईंधन की मांग बढ़ी थी। लेकिन, अगले वर्ष चीन में ईंधन की मांग की गति भी धीमी हो जाएगी, ऐसा दावा इस संस्था ने कया है। इसके लिए विभिन्न कारण जिम्मेदार साबित होंगे, ऐसा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्था ने कहा है।  

वैश्विक स्तर पर हो रहे मौसम के बदलाव की पृष्ठभूमि पर कुछ देश ईंधन के विकल्प के तौर इलेक्ट्रिक वाहन और सौर उर्जा का इस्तेमाल बडा रहे हैं। वहीं, रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन का संकट तीव्र हुआ है। अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों का असर आगे के समय में दिखाई देगा। ऐसा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्था ने इस रपट में कहा है। अगले वर्ष ईंधन की सप्लाई चेन भी बाधित हो सकती है। इसके परिणाम के तौर पर वैश्विक बाज़ार में ईंधन की मांग भारी गिरावट देखी जाएगी, ऐसी चेतावनी इस रपट दी गई है।

इसी बीच, अमरीका और सौदी अरब एवं अरब मित्रों से बढ़ रहा तनाव भी ईंधन की कीमत और उत्पादन पर परिणाम करेगा, ऐसा दावा पश्चिमी विश्लेषक कर रहे हैं। आगे के समय में अमरीका के सामने आरक्षित ईंधन इस्तेमाल करने का संकट खड़ा हो सकता है, इसपर यह विश्लेषक दे रहे हैं।

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