‘युरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी’ स्थापन करने का फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष का प्रस्ताव

european-political-community-france-3 (1)स्ट्रासबर्ग – युरोपिय महासंघ युरोपिय देशों की एकमात्र संगठन संस्था नहीं हो सकती, ऐसा कहकर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युअल मैक्रॉन ने ‘युरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी’ नामक स्वतंत्र प्रणाली की स्थापना का प्रस्ताव रखा है। इस प्रणाली में सारे प्रजातंत्रवादी युरोपिय देशों का समावेश होगा और वे विविध क्षेत्रों में सहयोग प्रस्थापित कर पाएंगे, ऐसे संकेत भी उन्होंने दिए। पर यह प्रणाली युरोपिय महासंघ की सदस्यता का प्रवेशद्वार नहीं है, ऐसा भी राष्ट्राध्यक्ष ने आगाह किया। इसके अलावा, युक्रेन को महासंघ के सदस्य के रूप में स्वीकारने के लिए मई दशकों का समय लग सकता है, ऐसा दावा भी मैक्रॉन ने किया।

european-political-community-france-1 (1)सोमवार को स्ट्रासबर्ग के युरोपियन संसदे के लिए किए गए भाषण में फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने युक्रेन एवं अन्य देशों को महासंघ की सदस्यता मिलने के बारे में मुद्दा उपस्थित किया। किसी देश को सदस्यता देने के लिए महासंघ के नियम बहुत पेचिदा हैं, ऐसा मैक्रॉन ने कहा। ’पर नए देश को झटपट सदस्यता प्रदान करने के लिए महासंघ के नियम बदले नहीं जा सकते। इसके बजाए एक प्रयायी प्रणाली निर्माण की जा सकती है। जिन्हें महासंघ की सदस्यता चाहिए वे देश इसमें समाविष्ट हो सकते हैं। महासंघ को त्यागे हुए देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं। पर यह प्रणाली महासंघ की सदस्यता के लिए प्रवेशद्वार नहीं है’, इन शब्दों में फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने नई प्रणाली के संकेत दिए।

मैक्रॉन ने पर्यायी प्रणाली को ‘युरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी’ नाम दिया है। यह प्रणाली युरोप स्थित प्रजातंत्रवादी देशों में सियासी, आर्थिक, सुरक्षाविषयक, ऊर्जा, निवेश जैसे क्षेत्रों में सयहोग बढाने का कार्य करेगी, ऐसा दावा फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने किया। तब उन्होंने युरोपिय महासंघ की नींव से संबंधित समझौते में बदलावों की जरुरत की मांग भी की है। ’महासंघ की एकजुट और महत्वाकांक्षा के मद्देनजर यह प्रणाली युरोपिय देशों का प्रतिनिधित्व करनेवाली एकमात्र संगठना नहीं हो सकती, इसी लिए पर्यायी प्रणाली तैयार करना अपना कर्तव्य है’, ऐसा दावा भी मैक्रॉन ने किया।

european-political-community-france-2 (1)आनेवाले कुछ दिनों में युक्रेन को महासंघ की सदस्यता के लिए उम्मीदवार का दर्जा दिया जाए तब भी महासंघ में शामिल करने की प्रक्रिया में अनेक साल नहीं बल्कि, अनेक दशक लगेंगे, यह बात हम सभी जानते है, इस ओर भी फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया। युक्रेन समेत जॉर्जिया तथा मोदोवा ने भी महासंघ में शामिल होने के लिए कोशिश शुरु की है। तुर्की द्वारा भी महासंघ की सदस्यता पाने के लिए कोशिशें जारी हैं। पर तुर्की की गतिविधियों का महासंघ के कुछ सदस्य देशों ने ही विरोध किया है, यह बात सामने आई है।

ब्रिटेन जैसा आघाडी का देश महासंघ से निकलने के बाद अन्य कुछ देश महासंघ छोडने की तैयारी में होने के दावे माध्यमों में प्रसिद्ध हुए थे। इसमें इटली, ऑस्टिया, पोलैंड जैसे देशों का समावेश है। संबंधित देशों ने तथा महासंघ ने यह दावे भले ही खारिज किए हों, फिर भी कुछ देशों में ’ईयु एक्ज़िट’ के मुद्दे पर सियासी संगठनाएं तथा मुहिमें अभी भी चलाई जा रही हैं। इस पृष्ठभूमि पर जर्मनी एवं फ्रान्स जैसे आघाडी के देशों से महासंघ की एकजुट कायम रखने के लिए विविध योजनाएं एवं प्रस्ताव सामने लाए जा रहे हैं। मैक्रॉन का प्रस्ताव भी इसी का हिस्सा माना जा रहा है।  

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