भारत-फ्रान्स सहकार्य नई ऊंचाई पर ले जाने का समय आया है – परराष्ट्रमंत्री एस. जयशंकर

नवी दिल्ली – धारणात्मक भागीदारी के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है। मगर भारत के गणतंत्र दिवस पर हुए लश्करी संचालन में फ्रान्स के लडाकू विमानों ने उडान भरी। यह बात दोनों राष्ट्रों की धारणात्मक भागीदारी के बारे में सबकुछ स्पष्ट कर रही है, ऐसा भारत के परराष्ट्रमंत्री एस.जयशंकर ने कही। भारत-फान्स के संबंध परिपक्व हो गए हैं और अब दोनों राष्ट्रों के बीच सहकार्य नई ऊंचाई पर ले जाने का समय आया है, ऐसा विश्वास भारत के परराष्ट्रमंत्री ने व्यक्त किया।

france-india-s-jaishankar’द फ्रेंच प्रेसिडेन्सी: इयु-इंडिया पार्टनरशिप इन द इंडो पॅसिफिक’ विषय पर आयोजित किए गए वर्चुअल चर्चा में परराष्ट्रमंत्री एस.जयशंकर बोल रहे थे। इस चर्चा में फ्रान्स के परराष्ट्रमंत्री जीन-येस ली द्रियान भी शामिल थे। भारत एवं फ्रान्स के बीच धारणात्मक भागीदारी के बारे में बोलते समय परराष्ट्रमंत्री जयशंकर ने रफायल लडाकू विमानों का उदाहरण दिया। भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में रफायल विमान उड रहे थे, इसका उल्लेख करके यह दोनों राष्ट्रों के बीच धारणात्मक सहकार्य का दृश्यमान उदाहरण होने की बात जयशंकर ने कही।

संरक्षण, परमाणु और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत एवं फ्रान्स एक-दूसरे के विश्वस्नीय राष्ट्र हैं। दोनों राष्ट्रों में सहकार्य अब नई ऊंचाई पर ले जाने का समय आया है, ऐसा विश्वास जयशंकर ने व्यक्त किया। तो, फ्रान्स के पास युरोपिय महासंघ का अध्यक्षपद है। इसका इस्तेमाल करके युरोपिय महासंघ के साथ भारत का सहकार्य अधिक दृढ करने के संकेत फ्रान्स ने दिए हैं। विशेषरूप से युरोपिय महासंघ और चीन में निर्माण हुए तीव्र मतभेदों की पृष्ठभूमि पर फ्रान्स ने भारत के बारे में स्वीकारी हुई भूमिका ध्यान आकर्षित करती है। 

युरोपिय महासंघ के सदस्य कुछ राष्ट्र पाकिस्तान को शस्त्रास्त्र एवं संरक्षणसामग्री की पूर्ति कर रहे हैं। फ्रान्स ने पाकिस्तान को मिलनेवाले सहकार्य पर पाबंदी लानी चाहिए, ऐसी मांग भारत ने की है। युरोपिय महासंघ के अध्यक्षपद का इस्तेमाल करके पाकिस्तान को मिलनेवाले शस्त्रास्त्र एवं संरक्षणसामग्री रोकने का कार्य फ्रान्स कर सकता है। इसलिए भारत की मांग पाकिस्तान की चिंता बढानेवाली साबित होती है।

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