भारत के साथ रक्षाक्षेत्र में साझेदारी के लिए फ्रान्स उत्सुक – फ्रान्स के राजदूत ने दिलाया यक़ीन

नई दिल्ली – ‘दूसरा कोई भी देश भारत को फ्रान्स जितना प्रगत तंत्रज्ञान की आपूर्ति करेगा ऐसा मुझे नहीं लगता। भारत और फ्रान्स एकदूसरे पर भरोसा करते हैं। भारत रक्षाक्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहता है और उसके लिए आवश्‍यक रहनेवाली औद्योगिक नींव विकसित करने हेतु भारत को ज़रूरी सहायता करने के लिए फ्रान्स तैयार है’, ऐसा फ्रान्स के भारत में नियुक्त राजदूत इमॅन्युअल लेनार्इन ने स्पष्ट किया।

रक्षाक्षेत्र में साझेदारीरक्षाक्षेत्र में सहयोग तथा साझेदारी के लिए दो देशों का एक-दूसरे पर गहरा विश्‍वास होना अत्यावश्‍यक है। क्योंकि पूरा विश्‍वास रहे बग़ैर कोई भी देश दूसरे देश के साथ रक्षाविषयक सहयोग के लिए दस, बीस या तीस साल का उत्तरदायित्व नहीं दिखा सकता। भारत और फ्रान्स के बीच यह विश्‍वास स्थापित हो चुका है, ऐसा कहकर फ्रान्स के राजदूत ने, दोनों देशों के बीच का यह सहयोग, एक-दूसरे की रणनीतिक स्वायत्तता के लिए पूरक साबित होगा, ऐसा दावा किया।

हथियार तथा रक्षासामग्री के देशांतर्गत निर्माण को भारत बढ़ावा दे रहा है। उसके लिए आवश्‍यक तंत्रज्ञान तथा औद्योगिक स्तर पर उसकी नींव बनाने के लिए ज़रूरी सभी बातें फ्रान्स के पास हैं। उसका लाभ भारत उठा सकता है, इसका एहसास फ्रान्स के राजदूत ने करा दिया। भारत ने सन २०१६ में समझौता करके फ्रान्स से रफायल लड़ाकू विमान खरीदे थे। उसके बाद के दौर में भारत ने फ्रान्स के साथ रक्षाविषयक सहयोग को अधिक व्यापक बनाने के लिए गतिविधियाँ शुरू कीं थीं। लेकिन भारत के साथ रक्षाविषयक सहयोग बढ़ाने के लिए अमरीका, फ्रान्स, ब्रिटेन और रशिया इन देशों में तीव्र होड़ बनी है। ऐसी स्थिति में रक्षा सहयोग के मोरचे पर फ़ैसलें करना भारत के लिए उतना आसान नहीं रहा है। क्योंकि उस फ़ैसले का, भारत के अन्य देशों के साथ बन रहे द्विपक्षीय सहयोग पर असर होने की गहरी संभावना सामने आ रही है।

ऐसी स्थिति में भारत ने, प्रगत तंत्रज्ञान का भारत को हस्तांतरण करने की और भारत में ही हथियार तथा रक्षासामग्री का निर्माण करने की तैयारी होनेवाले देश को प्राथमिकता दी जायेगी, ऐसा घोषित किया है। इतना ही नहीं, बल्कि भविष्यकालीन शस्त्रास्त्र तथा रक्षासामग्री के निर्माण के सन्दर्भ में इसी नीति पर अमल किया जायेगा, ऐसा भारत ने डटकर कहा है। भारत का यह फ़ैसला रक्षाक्षेत्र में रणनीतिक स्वायत्तता के लिए होकर, फ्रान्स इन सारी शर्तों के लिए तैयार है, ऐसा राजदूत इमॅन्युअल लेनार्इन ने स्पष्ट किया।

बता दें, अगले पाँच सालों में भारत अपने रक्षाबलों के लिए तक़रीबन १३० अरब डॉलर्स खर्च करनेवाला है। इसलिए रक्षासामग्री तथा हथियारों के निर्माण में अग्रसर होनेवाले देश और कंपनियाँ भारत की ओर बहुत बड़े मार्केट के रूप में देख रहे होकर, भारत से सहयोग बनाने की जानतोड़ कोशिशें कर रहे हैं। इनमें अग्रसर देशों में फ्रान्स का समावेश किया जाता है। ख़ासकर ऑस्ट्रेलिया ने फ्रान्स से पनडुब्बियों की ख़रीद करने का फ़ैसला रद करके अमरीका के साथ यह समझौता करने के बाद, फ्रान्स ने भारत पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत और फ्रान्स के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र स्थित हितसंबध भी एक-दूसरे को पूरक साबित होनेवाले हैं। ऐसी स्थिति में, भारत के साथ रक्षाविषयक साझेदारी को अपना देश सर्वाधिक महत्त्व दे रहा होने के संकेत फ्रान्स के राजदूत द्वारा दिये जा रहे हैं, यह गौरतलब बात है।

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