तुर्की की आक्रामक हरक़तों की पृष्ठभूमि पर फ्रान्स भूमध्य सागरी क्षेत्र में विमानवाहक युद्धपोत तैनात करेगा

erdogan-Turkeyपॅरिस/अंकारा – पिछले सालभर में तुर्की द्वारा भूमध्य सागरी क्षेत्र में जारी आक्रामक हरकतों को मात देने के लिए फ्रान्स ने इस क्षेत्र में विमानवाहक युद्धपोत तैनात करने का फ़ैसला किया है। फ्रान्स की रक्षामंत्री फ्लॉरेन्स पार्ली ने इस तैनाती के बारे में जानकारी साझा की। उसी समय, भूमध्य सागरी क्षेत्र के सायप्रस इस देश ने संयुक्त अरब अमिरात (युएई) के साथ लष्करी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता तुर्की के क़ारनामों पर रोक लगाने की नीति का भाग बताया जाता है। युरोप तथा खाड़ीक्षेत्र के देशों द्वारा जारी इन गतिविधियों के कारण तुर्की पर अच्छाख़ासा दबाव बना होकर, राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने युरोपिय देशों से सहयोग करने की भाषा शुरू की है।

Eastern-Mediterraneanपिछले साल तुर्की ने भूमध्य सागरी क्षेत्र के कुछ भागों में इकतरफ़ा ईंधन सर्वेक्षण शुरू किया था। उसके लिए तुर्की ने संशोधन जहाज़ों के साथ युद्धपोत तैनात किये थे। आन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार, ये भाग सायप्रस तथा ग्रीस की सीमा में होने के कारण इन दोनों देशों ने उसपर ऐतराज़ जताये थे। लेकिन तुर्की ने इन ऐतराज़ों को ठुकराते हुए अपनी मुहिम जारी रखी थी। तुर्की की इस अड़ियल भूमिका पर युरोपीय महासंघ तथा नाटो ने ऐतराज़ जताया था। ग्रीस और सायप्रस ये दोनों युरोपीय महासंघ के सदस्य देश होने के कारण, महासंघ ने इन देशों के पीछे अड़िगतापूर्वक खड़े रहे की भूमिका घोषित की थी।

इस मुद्दे पर फ्रान्स ने आक्रामक भूमिका अपनाकर तुर्की की नीतियों की ज़ोरदार आलोचना की थी। उसी समय, ग्रीस और सायप्रस के समर्थन में अपने विध्वंसक पोत भूमध्य सागरी क्षेत्र में तैनात भी किये थे। फ्रान्स ने ग्रीस और सायप्रस के साथ द्विपक्षीय तथा बहुराष्ट्रीय युद्धअभ्यास में भी सहभाग लिया था। उसके बाद ग्रीस ने फ्रान्स के साथ व्यापक रक्षा सहयोग समझौता करके लड़ाक़ू विमान तथा युद्धपोतों की ख़रीद का ऐलान किया था। कुछ महीने पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युएल मॅक्रॉन ने खुलेआम यह आलोचना की थी कि तुर्की की भूमध्य सागरी क्षेत्र में नीति शत्रुदेश की तरह है।

ऐसी पृष्ठभूमि पर, फ्रान्स ने अपना विमानवाहक युद्धपोत ‘चार्ल्स द गॉल’ भूमध्य सागरी क्षेत्र में तैनात करने की घोषणा करना ग़ौरतलब साबित होता है। फ्रान्स की रक्षामंत्री फ्लॉरेन्स पार्ले ने इस तैनाती का ऐलान करते समय खाड़ीक्षेत्र की आतंकवादविरोधी मुहिम का संदर्भ दिया है। इस साल के मध्य तक यह तैनाती होगी, ऐसा भी उन्होंने कहा है। लेकिन दरअसल यह तैनाती तुर्की पर दबाव बनाने की नीति का भाग हो सकती है, ऐसा विश्‍लेषकों द्वारा बताया जा रहा है।

franceफ्रान्स द्वारा विमानवाहक युद्धपोत तैनाती का फ़ैसला घोषित हो रहा है कि तभी सायप्रस ने संयुक्त अरब अमिरात (युएई) के साथ लष्करी सहयोग समझौता किया है। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों के बीच संयुक्त युद्धअभ्यास तथा प्रशिक्षण मुहिमें संपन्न होंगी। उसी समय भूमध्य सागरी क्षेत्र में लष्करी सहयोग बढ़ाने के लिए कदम उठाये जायेंगे, ऐसी जानकारी सायप्रस ने दी है। युएई के साथ किये समझौते से पहले सायप्रस ने इस्रायल, ईजिप्ट और जॉर्डन इन देशों के साथ भी लष्करी सहयोग समझौते किये हैं।

तुर्की ने सायप्रस की सीमा में स्थित कई क्षेत्रों पर अपना दावा बताया होकर, ज़बरदस्ती से ईंधन खनन की योजनाओं का ऐलान किया है। इस मुद्दे पर युरोपीय महासंघ ने तुर्की पर निर्बंध भी थोंपे थे। उसके बाद अब सायप्रस ने युएई के साथ लष्करी सहयोग करने के कारण तुर्की पर दबाव अधिक ही बढ़ा हुआ दिख रहा है। सायप्रस ने किये समझौते से पहले ग्रीस ने भी युएई के साथ रक्षा सहयोग किया था। ग्रीस ने इस्रायल, ईजिप्ट तथा सौदी अरब के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कदम उठाये हैं।

uae-Franceग्रीस और सायप्रस ने अन्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए कीं कोशिशें और उन्हें मिली सफलता, इनकी वजह से तुर्की की अच्छीख़ासी घेराबंदी हुई दिख रही है। युरोप तथा खाड़ीक्षेत्र के देश तुर्की के खिलाफ़ व्यापक मोरचा बना रहे होने का चित्र सामने आने के कारण, तुर्की ने अब युरोपीय देशों के साथ मेलमिलाप करने के संकेत दिये हैं। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने, वे युरोपीय महासंघ के साथ संबंध पहले की तरह बनाने के लिए उत्सुक होने का बयान किया है। यह बयान करने से पहले, भूमध्य सागरी क्षेत्र का विवाद सुलझाने के लिए तुर्की चर्चा के लिए तैयार है, ऐसा भी तुर्की ने घोषित किया है।

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