फ्रान्स ने तुर्की से अपने राजदूत को वापिस बुलाया

पैरिस/अंकारा – फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने तुर्की में नियुक्त राजदूत को वापिस बुलाया है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने मैक्रॉन का अपमान करने का बयान करने के बाद यह निर्णय किया गया। फ्रान्स और तुर्की के बीच पहले से ही ग्रीस, आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध जैसे अलग अलग मुद्दों पर काफी तनाव है। अब तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने किए बयान के बाद यह तनाव अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

france-turkeyबीते कुछ वर्षों में सीरिया और लीबिया में जारी संघर्ष, घुसपैठ करनेवाले शरणार्थी, यूरोप में धार्मिक कट्टरतावाद को बढ़ावा देने की कोशिश, नाटो की भूमिका जैसे मुद्दों पर फ्रान्स और तुर्की के बीच लगातार संघर्ष जारी है। अब इसी में ग्रीस और आर्मेनिया-अज़रबैजान के युद्ध की बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से फ्रान्स और तुर्की के बीच तनाव प्रतिदिन बढ़ता हुआ दिख रहा है। बीते महीने में ही फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने तुर्की पर आलोचना करने के लिए किए बयान में उसे साम्राज्यवादी हुकूमत कहा था। इस पृष्ठभूमि पर तुर्की के राष्ट्राध्क्ष ने किया नया बयान फ्रान्स और तुर्की के बीच संघर्ष की नई चिंगारी सबित हुआ है।

अन्य धार्मिक गुटों के नागरिकों से अलग बर्ताव करनवाले राष्ट्राध्यक्ष ने सबसे पहले अपने सिर की जाँच करानी होगी। मैक्रॉन नाम के व्यक्ति की क्या समस्या है, मालूम नहीं। लेकिन, उसे पागलों पर होनेवाले इलाज़ की आवश्‍कता है, ऐसे अपमानित करनेवाले शब्दों में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष के विरोध में ज़हर उगला। वर्ष २०२२ में हो रहे चुनावों में फ्रान्स की जनता मैक्रॉन के हाथ में दुबारा सत्ता नहीं देगी, यह दावा भी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने किया। राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने फ्रान्स के लिए कुछ भी नहीं किया है, यह आरोप भी उन्होंने किया। एर्दोगन के इस बयान पर फ्रान्स ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

france-turkeyराष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन का बयान बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। आतंकी एवं बेताल बयानबाजी संवाद की पद्धती नहीं हो सकती। एर्दोगन की नीति हर मायने में खतरनाक है और इसमें उन्हें बदलाव करना ही होगा, यह हमारी पुख्ता माँग है, ऐसा तीव्र प्रत्युत्तर फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष के दफ्तर ने दिया है। तुर्की ने फ्रेंच उत्पादनों पर पाबंदी लगाने को लेकर किया निवेदन भी चिंताजनक है, यह नाराज़गी भी फ्रेंच अधिकारियों ने व्यक्त की। कुछ दिन पहले फ्रान्स में हुए आतंकी हमले पर शोक संदेश देने की शालीनता भी तुर्क के राष्ट्राध्यक्ष ने नई दिखाई, ऐसी फटकार भी फ्रेंच अधिकारियों ने लगाई है। यूरोपिय महासंघ ने भी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने किए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है और राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन को लेकर किए बयान अस्वीकारार्ह होने का इशारा वरिष्ठ यूरोपिय अधिकारी ने दिया है।

मात्र बयानी प्रत्युत्तर देने पर रुके बिना राजनीतिक स्तर पर भी फ्रान्स ने आक्रामक भूमिका अपनाई है। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने तुर्की में नियुक्त फ्रेंच राजदूत हर्व मैग्रो को वापिस बुलाया है। राजदूत को वापिस बुलाना तुर्की से राजनीतिक संबंध तोड़ने का पहला स्तर सबित हो सकता है, यह दावा सूत्र कर रहे हैं। फ्रान्स और तुर्की के बीच तनाव अधिक बिगड़ने के पीछे बीते महीने से फ्रान्स में चरमपंथियों ने किए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि है। राजधानी पैरिस एवं करीबी इलाकों में किए गए इन हमलों में एक शिक्षक की मौत हुई थी और दो घायल हुए थे।

लेकिन, उससे पहले भी सीरिया में जारी संघर्ष, शरणार्थियों की घुसपैठ, लीबिया की लड़ाई, भूमध्य समुद्र में ग्रीस के विरोध में की गई गतिविधियां एवं आर्मेनिया-अज़रबैजान में की गई दखलअंदाज़ी के मुद्दों पर फ्रान्स और तुर्की के बीच लगातार विवाद हो रहा था। इतिहास के दाखिले देकर यूरोपिय देशों को धमकानेवाले तुर्की रेड लाईन का उल्लंघन ना करें, यह इशारा फ्रान्स ने दिया था। इसी के साथ ग्रीस के विरोध में जारी कार्रवाई के मुद्दे पर भी तुर्की पर प्रतिबंध लगाने की माँग फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने की थी।

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