नए श्रम कानून में चार दिनों के सप्ताह का विकल्प – अप्रैल से लागू होने की संभावना

नई दिल्ली – केंद्र सरकार अब चारों नए श्रम कानून जल्द ही लागू करने की तैयारी में है। लेकिन, इससे केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने काम करने के लिए चार दिनों का सप्ताह और तीन दिन सवेतन छुट्टी घोषित करने के बड़े संकेत दिए हैं। नए श्रम कानून के अनुसार काम करने का समय १२ घंटे करने का प्रावधान होगा। लेकिन, इस पर कुछ श्रम संगठनों ने आपत्ति जताई थी। इस मुद्दे पर खुलासा करते समय कर्मचारियों का उत्पीड़न नहीं होगा, उनके हितों के लिए खतरा नहीं रहेगा, यह भरोसा केंद्रीय कामगार मंत्रालय ने दिया है। हफ्ते में काम का समय ४८ घंटे रहेगा। यदि कर्मचारियों ने दिन के १२ घंटे काम किया तो उन्हें तीन दिन छुट्टी मिलेगी। इसके अलावा दिन के आठ घंटे काम किया तो उनके लिए काम का सप्ताह छह दिनों का रहेगा। इस पद्धती से इस मुद्दे पर हल निकाला जा रहा है, ऐसा श्रम मंत्रालय ने कहा है। लेकिन, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है और नियम तय करने का काम जारी है, यह बात भी श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट की है।

indiaकेंद्र सरकार ने बीते चार वर्षों में धीरे-धीरे पुराने श्रम कानूनों में बदलाव लाए हैं। इसके अलावा कुछ श्रम कानून रद किए हैं। अलग-अलग कानूनों में कामगारों से संबंधित प्रावधानों को मिलाकर चार स्वतंत्र कानून तैयार किए गए हैं। इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड-२०२०, कोड ऑन सोशल सिक्युरिटी ऑक्युपेशनल सेफ्टी-२०२०, हेल्थ ऐण्ड वर्किंग कंडिशन-२०२० इन तीन श्रम कानुनों को बीते वर्ष सितंबर में मंजूरी प्रदान की गई है। इसके साथ इसी दौरान वेतन कानून को २०१९ के अधिवेशन में मंजूरी दी गई थी। अब तक के बड़े श्रम सुधारों के तौर पर इन बदलावों की ओर देखा जा रहा है। इन श्रम कानूनों के नियम अभी तय हो रहे हैं। इसके बाद इससे संबंधित अधिसूचना जारी करके इन श्रम कानूनों को लागू किया जाएगा।

नए श्रम कानूनों में श्रमिकों के हितों के नज़रिये से बड़े बदलाव किए गए हैं। इसके अलावा विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए देश में श्रम कानून की जटिलता दूर की गई है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की तर्ज़ पर विभिन्न राज्य सरकारें भी नए श्रम कानून बना रही हैं और पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश की सरकारों के श्रम कानून का मसौदा अगले कुछ हफ्तों में तैयार होगा, यह जानकारी श्रम मंत्रालय के सचिव अपूर्वा चंद्रा ने साझा की।

नए कानून में भत्ते और कुल वेतन की तुलना में अधिकतम ५० प्रतिशत रहेंगे। पीएफ और ग्रैच्युईटी की सीमा बढ़ाने से ‘टेक होम सैलरी’ कम होगी। लेकिन, इसके साथ ही पीएफ और ग्रैच्युईटी में बढ़ोतरी होने से सेवा निवृत्ति के बाद श्रमिकों को बड़ी रकम प्राप्त हो सकेगी।

असंघटित श्रमिक और यात्री मज़दूरों का भी विचार नए श्रम कानून में किया गया है और उनके लिए न्यूनतम वेतन तय किया जा रहा है। साथ ही इन असंघटित मज़दूरों की रेजिस्ट्रेशन करके उनके लिए बिमा योजना भी तैयार की जा सकेगी। इसके लिए अगले कुछ महीनों में पोर्टल तैयार किया जाएगा, ऐसा श्रम मंत्रालय के सचिव चंद्रा ने कहा।

काम के लिए तय समय कम से कम ८ घंटे से बढ़ाकर १२ करने का प्रावधान नए श्रम कानून में है। लेकिन, इस मुद्दे पर सचिव चंद्रा ने खुलासा दिया है। हफ्ते के ४८ घंटे काम का अवधि कायम रहेगा। प्रति दिन काम के अवधि में बढ़ोतरी करके इसे १२ घंटे करने से कंपनियां और मालिकों को मज़दूरों का उत्पीड़न करने का अवसर प्राप्त होगा, यह आरोप श्रमिकों के संगठनों ने किया था। इस ओर ध्यान आकर्षित करके चंद्रा ने यह वादा किया की श्रमिकों के हितों का नुकसान नहीं होगा।

प्रतिदिन कितने घंटे काम करवाया जाएगा इसका हिसाब करके श्रमिकों को छुट्टी देनी होगी। बारह घंटे काम करवाने पर श्रमिकों को हफ्ते के तीन दिन, दस घंटे काम करने पर हफ्ते के दो दिन और आठ घंटे काम करने पर एक दिन छुट्टी मिल सकेगी। प्रति दिन होनेवाले काम के घंटों पर हफ्ते के काम के दिन तय होंगे, यह बयान चंद्रा ने किया। श्रमिकों ने प्रति दिन कितने घंटे काम करना है, यह बात कंपनियां और श्रमिक एक-दूसरे से बातचीत करके सहमति से तय कर सकेंगे। श्रमिकों के लिए काम के घंटों से संबंधित नियम एवं प्रावधान तय करने का काम जारी है, यह बात भी चंद्रा ने स्पष्ट की।

Leave a Reply

Your email address will not be published.