यूरोप के हजारों क्रोधित किसान ब्रुसेल्स में ‘ईयू’ मुख्यालय पर जा पहुंचे – कृषि क्षेत्र के नियम बदलने की उठायी मांग

ब्रुसेल्स – यूरोपिय नेतृत्व ने पिछले कुछ सालों से कृषि क्षेत्र सहित किसानों की समस्याओं को अनदेखा करने से उभरी नाराज़गी का विस्फोट होता दिख रहा है। नए वर्ष के शुरू में जर्मनी में शुरू हुए किसानों के आंदोलन का दायरा अब यूरोप के लगभग दस देशों में फैला है। बुधवार रात यूरोप के विभिन्न देशों के किसान ब्रुसेल्स में स्थित महासंघ के मुख्यालय पर जा पहुंचे। ब्रुसेल्स के विभिन्न इलाकों में ट्रैक्टर ने ‘चक्का जाम’ लगाया है और भारी मात्रा में आगजनी और पथराव होने की जानकारी सामने आ रही है।

यूरोपिय महासंघ ने पिछले कुछ सालों में विश्व के विभिन्न देशों से मुक्त व्यापारी समझौता करने पर जोर दिया है। इन समझौतों में यूरोप के किसानों को हितसंबंधों को अनदेखी होने का आरोप इस क्षेत्र की संगठन लगा रही हैं। कोरोना का फैलाव, रशिया-यूक्रेन युद्ध से उछली ईंधन की कीमतें, जंगल की आग, सूके जैसी समस्याओं की वजह से यूरोप में खेती के सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी हुई हैं। इसीबीच यूक्रेन से कम किमत में हो रही आयात, ‘सिंथेटिक फूड’ और पर्यावरण से संबंधित नए नियमों की वजह से किसानों को भारी नुकसान भुगतना पड़ रहा है। यूरोपिय महासंघ ने इस मसले पर गंभीरता से ध्यान देकर पुख्ता हाल नहीं निकाला है।

इससे यूरोप के किसानों के असंतोष का विस्फोट हुआ है और महासंघ के प्रमुख सदस्य देशों में ही आंदोलन शुरू हुआ है। जर्मनी, फ्रान्स, इटली, बेल्जियम, रोमानिया, ग्रीस सहित लगभग दस देशों के किसान सड़क पर उतरे हैं। अधिकांश देशों के किसानों ने ट्रैक्टर और अन्य वाहन उतारकर प्रमुख शहरों में चक्का जाम लगाया है और इससे रोज के कारोबार और कानून-व्यवस्था की धज्जीयां उड़ी है।यूरोप के हजारों क्रोधित किसान ब्रुसेल्स में ‘ईयू’ मुख्यालय पर जा पहुंचे - कृषि क्षेत्र के नियम बदलने की उठायी मांग

स्थानिय स्तर के निदर्शनों के बाद अब यूरोप के हजारों किसान महासंघ के मुख्यालय के शहर ब्रुसेल्स जा पहुंचे हैं। यूरोपिय महासंघ के मुख्यालय के इलाके में हजारों ट्रैक्टर दाखिल हुए हैं और यूरोपियन नेतृत्व के विरोध में नारेबाजी के बड़े बोर्ड लगाए गए हैं। अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए क्रोधित किसानों ने विभिन्न इलाकों में आगजनी और रक्षाबलों पर पथराव करने की जानकारी भी सामने आयी है। महासंघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन के विरोध में आक्रामक नारे लगाए जा रहे हैं और जाचक नियम तुरंत रद्द करने की मांग की गई है।

किसान सीधे मुख्यालय पहुंचने से यूरोपिय महासंघ के नेतृत्व में बेचैनी बनी है और सदस्य देशों ने भी दबाव बनाना शुरू करने की जानकारी सामने आ रही है। अगली बैठक के बाद महासंघ अहम ऐलान कर सकता है, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिए हैं। आगे जून महीने में यूरोपिय संसद का चुनाव होगा। इसमें किसानों का मुद्दा उठने की संभावना है। विभिन्न देशों में शुरू आंदोलन को दक्षिणपंथी विचारधारा के दलों ने समर्थन दिया है और यह मुद्दा महासंघ के प्रमुख सदस्य देशों के शासकों के लिए मुश्किल बन सकता है, ऐसी चेतावनी विश्लेषक और माध्यमों ने दी है।

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