अमरिकी ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ द्वारा ब्याजदरों में वृद्धि

भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस ब्याजदरवृद्धि का कुछ ख़ास परिणाम नहीं होगा – भारतीय वित्तसचिव शक्तिकांता दास का दावा

Fitch_Ratings_Logo

SHAKTIKANTA_DAS_2331514f

अमरिकी अर्थव्यवस्था धीरे धीरे सुधर रही है, इस बात की पुष्टि कर ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ ने ब्याजदरों में वृद्धि करने का निर्णय घोषित किया है। सन २००६ के बाद पहली ही बार यह ब्याजदरवृद्धि घोषित हुई है।

‘फ़ेडरल रिज़र्व’ के द्वारा जारी किये गये निवेदन के अनुसार ब्याजदरों में ०.२५ से लेकर ०.५० प्रतिशत तक वृद्धि की गयी है। इस निर्णय से अमरिकी डॉलर एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति अधिक ही मज़बूत होगी; वहीं, चीन, भारत, ब्राझिल के साथ उभरती हुईं अर्थव्यवस्थाओं को धक्का लगने की संभावना है। आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हालाँकि अधिकांश देशों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, मग़र फिर भी विश्लेषकों ने चौकन्ने रहने की सलाह दी है।

गत छ: महीनों से अमरीका के फ़ेडरल रिज़र्व के द्वारा ब्याजदरों में वृद्धि की जाने के संकेत दिए जा रहे थे। सितंबर महीने में ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ की प्रमुख जॅनेट येलन ने – ब्याजदरवृद्धि की जाना निश्चित है, यह बताकर इस साल के अन्त तक इस मामले में निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। उसके अनुसार बुधवार को ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ ने एक निवेदन जारी कर देश के ब्याजदर ०.२५ से ०.५० प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय घोषित किया।

अपने निवेदन में ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ ने ‘अमरीका में हालात सुधर रहे हैं’ यह जताते हुए, अमरीका में बेरोज़गारी में घटोतरी होने की और रोज़गारनिर्माण में तथा निवेश में वृद्धि हो जाने की बात कही है । उसीके साथ, अमरिकी जनता की क्रयशक्ति में भी वृद्धि हुई होने का दावा करते हुए, अर्थव्यवस्था सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रही है, इसका यक़ीन दिलाया। इन सारे घटकों को मद्देनज़र रखते हुए ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ ने ब्याजदरों में वृद्धि करने का निर्णय लिया है, यह स्पष्ट किया गया है। लेकिन उसी समय डेब्ट बाँड्स की खरीदारी जारी ही रहेगी, यह भी नमूद किया है।

‘फ़ेडरल रिज़र्व’ के ब्याजदरवृद्धि के निर्णय पर आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्साहजनक प्रतिक्रिया ज़ाहिर हुई है। अमरीका, युरोप तथा एशिया के शेअरबाज़ारों के निर्देशांकों में कम से कम ०.५ से २ प्रतिशत की अच्छीख़ासी वृद्धि हुई है। चीन, जापान, भारत एवं इंडोनेशिया इन देशों ने ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ के निर्णय पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए, आशियाई अर्थव्यवस्थाएँ सुरक्षित होने का दावा किया है। लेकिन आंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने – ‘फ़ेडरल रिज़र्व’ के निर्णय के बाद ज़्यादा  एहतियात बरतने की आवश्यकता है, यह चेतावनी दी है।

ब्याजदरवृद्धि के निर्णय से अमरिकी डॉलर्स में कर्ज़ लेने की प्रक्रिया अधिक महँगी साबित होगी । अमरिकी डॉलर्स में किये गये निवेश पर अब अधिक ब्याज़ मिलने के कारण आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसमें किये गये निवेश में पुनः वृद्धि होने की शुरुआत होगी, जिससे कि अन्य अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हो सकता है । अमरिकी डॉलर्स से जुड़े हुए चलनों के मूल्यों में ज़ोरदार गिरावट होने की संभावना को देखते हुए, उससे संबंधित देश की अर्थव्यवस्था को ठेंठ नुकसान पहुँचेगा, ऐसा विश्लेषकों का मानना है ।
डॉलर के अधिक मज़बूत हो जाने के कारण सोने के साथ अन्य उत्पादनों के दामों में गिरावट आ जाने के संकेत मिले हैं । ‘फ़ेडरल रिज़र्व्ह’ के निर्णय के बाद चंद कुछ ही घंटों में सोने के दामों में ०.६ से लेकर १ प्रतिशत तक गिरावट आयी है । प्लॅटिनम तथा पॅलाडियम जैसे मूल्यवान धातुओं के साथ चाँदी के दामों में भी १ से ३ प्रतिशत गिरावट आयी है । ‘फेडरल रिज़र्व्ह’ के निर्णय के बाद कच्चे तेल के दामों में भी और ज़्यादा गिरावट आने का डर व्यक्त किया जा रहा है ।

‘फेडरल रिज़र्व्ह’ का निर्णय यह अमरिकी अर्थव्यवस्था के मज़बूत होने के संकेत देनेवाला है, जिस कारण आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक गति प्राप्त होगी, ऐसा भी दावा कुछ अर्थविशेषज्ञों ने किया है ।

वहीं, इस अमरिकी ब्याजदरवृद्धि का सामना करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था सक्षम होने का दावा भारत के वित्तसचिव शक्तिकांता दास ने किया है । डॉलर के मज़बूत होने से हालाँकि भारत में आयात की जानेवाली वस्तुएँ महँगी हो जायेंगी,
लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की दारोमदार आयात पर न रहने के कारण इस निर्णय से भारत को कुछ ख़ास नुकसान नहीं पहुँचेगा, ऐसा दास ने कहा । भारत में निवेश के कई आकर्षक विकल्प उपलब्ध हैं; साथ ही, भारत की आर्थिक स्थिति मज़बूत है । अतः इस निर्णय के बावजूद भी भारत में विदेशी निवेश की कमी नहीं होगी, ऐसा विश्वास दास ने व्यक्त किया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.