प्रतिबंधों के ड़र से चीन ने रशिया से सहयोग कम किया

बीजिंग – यूक्रैन का युद्ध शुरू होने के बावजूद चीन की रशिया के साथ मित्रता पहाड़ की तरह मज़बूत होने के दावे चीन ने किए थे| लेकिन, अब इसी पहाड़ में दरार निर्माण होती हुई दिख रही है| अमरीका और अन्य देशों ने रशिया पर लगाए सख्त प्रतिबंधों से हमें नुकसान पहुँचेगा, इस चिंता से चीन ड़रा हुआ है| इसी वजह से रशियन कंपनी को विमान के पूर्जे देने से चीन ने इन्कार किया है| तो, चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर ‘यूक्रैन के युद्ध’ का ज़िक्र करके अपनी नीति में बदलाव होने के संकेत दिए हैं, यह दावा माध्यम कर रहे हैं|

china-russia-sanctions-cooperationअमरिकी सिनेट की ‘इंटेलिजन्स कमिटी’ के समक्ष हुई सुनवाई में बोलते समय ‘सीआईए’ के डायरेक्टर विल्यम जे. बर्न्स ने रशिया को चीन से मिल रहा समर्थन कम होने का दावा किया| यूक्रैन पर हमला करने की तैयारी रशिया जुटा रही है, इसकी चीन को पूरी जानकारी थी| लेकिन, बीजिंग के विंटर ओलीम्पिक खत्म होने तक रशिया हमला ना करे, यह माँग चीन ने की थी| ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ जैसे अमरिकी अखबार ने अपनी खबर में ऐसा दावा भी किया था| इस पृष्ठभूमि पर अमरीका के साथ पश्‍चिमी देशों में यूक्रैन के युद्ध में रशिया को चीन से मिल रहे समर्थन का मुद्दा काफी चर्चा में था|

रशिया यूक्रैन पर हमला करेगी, इसकी पहले से जानकारी होने के बावजूद रशिया ने यूक्रैन में जो कुछ किया है, उससे चीन फिलहाल नाराज़ होने का दावा विल्यम बर्न्स ने किया| रशिया में चीन ने काफी बड़ा निवेश किया है| यह निवेश यूक्रैन युद्ध के कारण खतरे में है और चीन इससे ड़रा हुआ है| साथ ही यूक्रैन में रशियन सेना की कार्रवाईयाँ चीन को मंजूर नहीं हैं और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को इससे झटका लगा है, ऐसा दावा बर्न्स ने किया| आनेवाले दिनों में इन दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ेगी, यह भी बर्न्स ने कहा|

यूक्रैन की जनता पर रशिया के अत्याचारों की परवाह करने की हद तक चीन मानवतावादी बना है, ऐसे संकेत बर्न्स के बयान से दिए जा रहे हैं| लेकिन, चीन को यूक्रैन की जनता से अधिक अपने आर्थिक हित की चिंता होने की बात भी स्पष्ट हो रही है| इसी वजह से रशिया के साथ पड़ाड़ जैसी मज़बूत मित्रता के दावे करनेवाला चीन रशियन कंपनी को विमान के पूर्जे देने से इन्कार कर रहा है| इसके अलावा, पश्‍चिमी देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों से हमें नुकसान ना पहुँचे, इसके लिए चीन ने अपनी गतिविधियाँ भी शुरू की हैं| इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर पड सकता है| इस वजह से चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यही संदेश रशिया को फिर से प्राप्त होता दिख रहा है|

साल १९७१ में अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेन्री किसिंजर ने सोवियत रशिया और चीन जैसे साम्यवादी देशों में दरार ड़ालकर चीन के साथ अमरीका के ताल्लुकात स्थापित किए थे| साथ ही, अमरीका से हाथ मिलाकर चीन ने सोवियत रशिया के पीठ में खंजर भोंका था| क्या चीन ऐसा ही विश्‍वासघात दोहराएगा? यह सवाल चीन की मौजूदा गतिविधियों की वजह से विश्‍वभर के विश्‍लेषकों को सता रहा है|

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