भारत की एनएसजी सदस्यता पर गहरी चर्चा अपेक्षित होने का चीनी राजदूत का दावा

नवी दिल्ली, दि. १७ (पीटीआय) – ‘भारत की एनएसजी’ सदस्यता का मुद्दा, जल्दबाज़ी में तोड़े गये किसी फल जितना आसान नहीं है| इसपर गहराई से चर्चा अपेक्षित है’, ऐसा चीन के भारतस्थित राजदूत ‘लिऊ जिनसाँग’ ने कहा|

liu- एनएसजी

साथ ही, ‘एनएसजी’ में भारत का विरोध करनेवाला चीन अकेला देश नहीं है, ऐसा जिनसाँग ने स्पष्ट किया| चीन भारत की सदस्यता पर चर्चा करने के लिए तैयार है, ऐसी वार्ता प्रसिद्ध होने के बाद लिऊ जिनसाँग ने यह खुलासा किया है|

लिऊ जिनसाँग ने एक इंटरव्यू के दौरान, भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता पर चर्चा हो सकती है, इसके संकेत दिए थे| लेकिन इस बात का खुलासा करनेवाला जिनसाँग का दूसरा इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है| भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता, यह कोई कम ऊँचाई पर लटकता हुआ और जिसे आसानी से तोड़ा जा सकनेवाला फल नहीं है, ऐसा कहते हुए, ‘चीन इस मुद्दे पर रहनेवाली अपनी भूमिका को नहीं बदलेगा’ ऐसा जिनसाँग ने स्पष्ट किया| साथ ही, चीन ने भारत या किसी अन्य देश की ‘एनएसजी’ सदस्यता का विरोध नहीं किया है, ऐसा दावा भी चीन के राजदूत ने किया|

भारत ने ‘परमाणु हथियार प्रसारबंदी समझौते’ पर दस्तख़त नहीं किये हैं| इस वजह से, ‘एनएसजी’ के नियमों के अनुसार, भारत को सदस्यता नहीं मिल सकती| अन्यथा ‘परमाणु हथियार प्रसारबंदी कार्यक्रम’ का कुछ मतलब ही नहीं रहेगा| मित्रदेश भारत, चीन की इस भूमिका को समझ लेगा, ऐसी उम्मीद जिनसाँग ने जताई| साथ ही, चीन के साथ साथ अन्य आठ-नौ देशों ने भी भारत की सदस्यता का विरोध किया था, ऐसा दावा जिनसाँग ने किया| मग़र भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘सिर्फ एक ही देश के विरोध के चलते भारत को ‘एनएसजी’ की सदस्यता नहीं मिल पाई है’ ऐसा घोषित किया| लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इस देश का ज़िक्र नहीं किया था, इसीलिए चीन ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी, ऐसा जिनसाँग ने स्पष्ट किया|

लेकिन भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता का विरोध करने की चीन की भूमिका सभी जानते हैं। चीन ने ही अन्य देश भारत की सदस्यता का विरोध करें, इसके लिए कोशिश की थी| ‘भारत को यदि ‘एनएसजी’ की सदस्यता मिलती है, तो पाकिस्तान को भी सदस्यता मिलनी चाहिए’ ऐसी माँग भी चीन द्वारा की गयी थी| इस संदर्भ में, नियमों पर ऊँगली रखनेवाले चीन ने, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की गैरक़ानूनी ढंग से सहायता की थी, यह बात कई बार उजागर हुई है| इस वजह से, नियमों पर ऊँगली रखनेवाले चीन के दावे भारत और अमरीका जैसे देश की ओर से ख़ारिज़ किए जा रहे हैं|

चीन का भारत की सदस्यता को रहनेवाला विरोध देखते हुए, ‘एनएसजी’ सदस्यता मिलना भारत के लिए काफ़ी कठिन बात बनी है, ऐसा दावा किया जा रहा है| उसी समय, भारत की बढती अहमियत को देखते हुए, चीन अब ज़्यादा देर तक भारत को रोक नहीं सकता और द्विपक्षीय संबंधों पर हो रहा असर चीन को महँगा पड़ सकता है, ऐसा मत विश्‍लेषकों ने व्यक्त किया है|

इसी वजह से, आनेवाले समय में भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता पर फिर एक बार चर्चा हो सकती है और इस समय यदि चीन ने भारत का विरोध करना जारी रखा, तो चीन अकेला पड़ सकता है| ख़ास तौर पर उस समय, जब अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारत की सदस्यता के लिए राजनीतिक कोशिश करने का आश्‍वासन दे रहे है| इससे भारत का पक्ष और भी मजबूत हो रहा है| इसी वजह से, भारत के खिलाफ कड़ी भूमिका लिये बिना, चीन भारत की सदस्यता को नहीं रोक सकता| पर चीन अगर ऐसी भूमिका अपनाता है, तो भारत की ओर से तीख़ी प्रतिक्रिया आ सकती है और द्विपक्षीय सहयोग के साथ ही, व्यापार पर इसका गहरा असर पड़ सकता है, ऐसे संकेत भारत की ओर से दिये जा रहे हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published.