अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत और रशिया को प्रतीत हो रही चिंता एकसमान – रशियन राजदूत का दावा

नई दिल्ली – भारत और रशिया को अफगानिस्तान के संदर्भ में प्रतीत हो रही चिंता एकसमान है, ऐसा दावा रशिया के भारत में नियुक्त उपराजदूत निकोलाय कुडाशेव्ह ने किया। अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल दूसरे देश के विरोध में आतंकवादी कारनामों के लिए नहीं किया जायेगा, ऐसी दोनों देशों को उम्मीद है, ऐसा राजदूत कुडाशेव्ह ने कहा। भारत और रशिया के विरोध में अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल किया जा सकता है, यह खतरा भी रशियन राजदूत ने अधोरेखांकित किया।

भारत और रशियाअफगानिस्तान के संदर्भ में भारत और रशिया के हितसंबंध परस्पर विरोधी होने के संकेत पिछले कुछ हफ्तों से मिल रहे थे। रशिया ने अफगानिस्तान में अपने हितसंबंध सुरक्षित रखने के लिए पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने का फैसला किया था। पाकिस्तान, चीन, ईरान और रशिया ये देश मिलकर अफगानिस्तान में बनी तालिबान की हुकूमत से सहयोग करेंगे, ऐसे दावे पाकिस्तानी विश्लेषकों ने ठोके थे। ऐसी परिस्थिति में रशियन राजदूत ने अफगानिस्तान के संदर्भ में किए ये बयान महत्वपूर्ण साबित होते हैं।

भारत और रशिया की अफगानिस्तान विषयक भूमिका में कुछ खास फर्क नहीं है, यह बताकर राजदूत कुडाशेव्ह ने भारत को आश्वस्त किया दिख रहा है। अफगानिस्तान में जब तालिबान की सरकार आ रही है, तो दुनिया भर के प्रमुख देश इसकी ओर बहुत ही बारीकी से देख रहे हैं। अमरीका तथा युरोपीय देशों समेत भारत तालिबान की सरकार के विरोध में है, ऐसा दावा पाकिस्तान के विश्लेषक कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर चीन, रशिया यह देश तालिबान की सरकार के समर्थन में खड़े रहेंगे, ऐसा इन पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है। लेकिन रशिया की भूमिका भारत से कुछ खास अलग नहीं है, यह बताकर रशियन राजदूत ने यह दावा खारिज किया हुआ दिख रहा है।

तालिबान ने अगर अफगानिस्तान में सर्वसमावेशक सरकार स्थापित की, तो ही रशिया इस सरकार की स्थापना के कार्यक्रम में उपस्थित रहेगा, ऐसा रशियन विदेश मंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने घोषित किया है। इससे यही स्पष्ट हो रहा है कि रशिया भी तालिबान की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हैं। तालिबान के साथ ही, रशिया ने पाकिस्तान पर दिखाया अविश्वास भी इससे सामने आ रहा है। यह भारत के लिए बहुत बड़ी सकारात्मक बात है। इसी बीच, रशिया पर फिलहाल चीन का प्रभाव बढ़ता चला जा रहा होकर, अफगानिस्तान में भी रशिया चीन को अनुकूल भूमिका अपनाएगा, ऐसा निष्कर्ष कुछ भारतीय विश्लेषकों ने भी दर्ज किया था। लेकिन अफगानिस्तान पर चीन का प्रभाव बढ़ा, तो वह मध्य एशियाई देशों में होनेवाले रशिया के हितसंबंधों के लिए खतरनाक साबित होगा, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

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