पांच सौ साल में यूरोप में सबसे भीषण सूखा – ’युरोपियन ड्रॉट ऑब्ज़र्वेटरी’ का अहवाल

ब्रुसेल्स – युरोप महाद्वीप पिछले 500 साल में सबसे भीषण सूखा अनुभव कर रहा है और ’युरोपियन ड्रॉट ऑब्ज़र्वेटरी’ ने 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में आपात स्थिति का इशारा दिया है। ब्रिटेन समेत फ्रान्स, स्पेन एवं इटली ने देश के कई हिस्सों में सूखा घोषित किया है। जर्मनी, हंगेरी, पोर्तुगाल में फसलों एवं पेडों का अस्तित्व संकट में हैं। तो रोमानिया, स्लोवेनिया, पोलैंड, क्रोशिया जैसे देशों में अनाज की किल्लत महसूस होने लगी है, ऐसा ताकीद युरोपियन प्रणाली ने दी है। 

’युरोपियन ड्रॉट ऑब्ज़र्वेटरी’, जोकि युरोपियन कमिशन का एक हिस्सा है, इसने हाल ही में अगस्त का अहवाल प्रसिद्ध किया जिसमें युरोपिय महाद्वीप के भीषण सूखे की जानकारे दी गई है। युरोप में सबसे प्रमुख जलस्रोत न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुके हैं। 45 प्रतिशत से अधिक भाग में भूजल स्तर सूख चुका है। तो 17 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में खेती संकट में होने की बात सेयुरोपियन प्रणाली ने आगाह किया है।

इस वर्ष के आरंभ से युरोप स्थित कई देशों में सूखे के संकेत मिले थे। अगस्त तक यह तीव्रता बडे पैमाने पर बढी है और भीषण स्थिति निर्माण हुई है। पश्चिम युरोप एवं भूमध्य सागर के पास के युरोपिय देशों में नवंबर तक यह स्थिति कायम रहने की संभावना है, ऐसा इशारा ’युरोपियन ड्रॉट ऑब्ज़र्वेटरी’ ने दिया है। युरोपियन कमिशन ने इसका समर्थन करते हुए कहा है कि, वर्तमान स्थिति युरोप महाद्वीप में 500 वर्ष में सर्वाधिक भीषण सूखा दर्शाता है।

सूखे की स्थिति की वजह से युरोप के प्रमुख फसलों में मकई, सोयाबीन जैसी फसलों के उत्पादन में बडी कमी होने के संकेत दिए गए हैं। युरोपियन महासंघ के भाग वाले ’जॉईंट रिसर्च सेंटर’ ने युरोप की प्रमुख फसलों का उत्पादन 12 से 16 प्रतिशत तक घटने का इशारा दिया है। खेती के साथ-साथ ऊर्जा, यातायात एवं पर्यटन क्षेत्रों पर भी सूखे का बडा प्रभाव पड रहा है, ऐसा कहा गया है।

युरोप की प्रमुख नदियों का स्तर घटने से इन पर निर्भर जल विद्युत प्रकल्प बंद हो गए हैं। नदियां और जलाशयों के सूख जाने से इनके द्वारा होनेवाली यातायात एवं व्यापार भी ठप पड़ गए हैं। युरोप में आघाडी के शहरों में ईंधन तथा बिजली की रेशनिंग शुरु होने से पर्यटन एवं हिटेलिंग क्षेत्र दिक्कत में पड गए हैं। कई पर्यटन स्तल बंद किए जाने से परदेसी पर्यटकों की संख्या घट गई है। तथा विभिन्न भागों में बडी वनाग्नियों के कारण उन भागों में व्यवहारों पर भी परिसीमन आ गया है।

सूखे की वजह से युरोप की अर्थव्यवस्था भी बाधित होने के संकेत मिल रहे हैं। ब्रिटेन समेत फ्रान्स, जर्मनी जैसे आघाडी के देशों ने वनाग्नियों एवं अन्य घटकों के कारण अर्थव्यवस्था के अरबों युरोस का नुकसान की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

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