रशिया पर ‘ऑइल बैन’ थोंपने की यूरोप की कोशिश फिर से नाकाम

ब्रुसेल्स/मास्को – रशिया से कच्चे तेल का आयात करने पर प्रतिबंध लगाने की यूरोपिय महासंघ की कोशिश फिर से नाकाम हुई है। लगभग १० दिन की चर्चा के बावजूद महासंघ के कुछ सदस्य देशों ने रशियन ईंधन के आयात पर रोक लगाने के लिए तीव्र विरोध किया और इस वजह से महासंघ यह निर्णय करने से पीछे हटने पर मज़बूर हुआ। रशियन ईंधन के आयात पर प्रतिबंध कब लगेंगे, यह हम कह नहीं सकते, इन शब्दों में महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी जोसेप बोरेल ने अपनी मज़बूरी बयान की।

russia-oil-banयूरोपिय महासंघ रशिया से प्रति दिन ३५ लाख बैरल्स से अधिक ईंधन का आयात करता है। इसमें यूरोपियन ट्रक्स इस्तेमाल कर रहे डीज़ल का भी समावेश है। इस आयात के लिए महासंघ रशिया को हर दिन ४५ करोड़ युरो चुकाता है। रशिया की यूक्रैन में जारी मुहिम में इस निधि का इस्तेमाल होने का आरोप यूक्रैन समेत अमरीका और ब्रिटेन एवं कुछ यूरोपिय देश भी लगा रहे हैं। इस वजह से रशिया से ईंधन आयात करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव सामने आया था।

लेकिन, हंगरी, स्लोवाकिया, बल्गेरिया और चेक रिपब्लिक ने रशियन ईंधन के आयात पर पाबंदी लगाने का जोरदार विरोध किया है। कुछ यूरोपिय देशों में सिर्फ रशियन ईंधन पाईपलाइन के माध्यम से ही ईंधन का आयात होता है और इसके लिए अन्य विकल्प ना होने से संबंधित देशों ने आक्रामक रवैया अपनाया है, ऐसा दावा बोरेल ने किया। रशियन ईंधन पर पाबंदी लगायी गई तो हमारी अर्थव्यवस्था टूट जाएगी, यह दावा हंगरी की सरकार ने किया था। हंगरी हररोज़ कुल ७६,७०० बैरल्स ईंधन रशिया से आयात करता है। यह ईंधन रशिया ‘ड्रुझ्बा पाईपलाइन’ के ज़रिये प्रदान करती है।

दूसरी ओर पोलैण्ड और फ्रान्स जैसे देशों ने रशिया के ‘ऑईल बैन’ के लिए बड़ी तीव्रता दिखायी है। जर्मनी ने भी इसका समर्थन किया है और विकल्प तलाशना शुरू करने की बात भी सामने आयी है। लेकिन, चार सदस्य देशों के विरोध की वजह से ‘ऑइल बैन’ पर सहमति होना कठिन है, ऐसा दावा यूरोपियन विश्लेषक कर रहे हैं।

इसी बीच, यूरोपिय देशों को नैसर्गिक ईंधन वायु की आपूर्ति के लिए ईरान तैयार है, ऐसा बयान इस देश के ईंधन उपमंत्री माजिद चेगेनी ने किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.