यूरोप के भू-राजनीतिक तनाव के कारण बिजली की कीमतें बढ सकती हैं – यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रमुख का इशारा

Electric-rateफ्रैंकफर्ट/मास्को – यूरोप पर फिलहाल रशिया-यूक्रैन संघर्ष का साया मंड़रा रहा है और यदि ऐसा हुआ तो यूरोप में बिजली की कीमतों में काफी बड़ा उछाल आ सकता है, यह इशारा यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रमुख ने दिया। यूरोप में बिजली की कीमतें बढ़ने से यूरोप की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पडेग, ऐसा इशारा सेंट्रल बैंक के प्रमुख क्रिसचन लैगार्ड ने दिया। कुछ दिन पहले ही यूरोप में नैसर्गिक ईंधन वायु का आरक्षित भंड़ार कम होकर ४० प्रतिशत से नीचे होने की जानकारी सामने आयी थी। यह भंड़ार इतने कम स्तर तक जा पहुँचने का यह पहला अवसर होने से यूरोप का ‘एनर्जी क्राईसिस’ अधिक तीव्र होने के संकेत विश्‍लेषकों ने दिए थे।

पिछले वर्ष से यूरोप में बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है। दिसंबर २०२१ में यूरोप के शीर्ष देश जर्मनी में बिजली की कीमत प्रति मेगावॉट/अवर ३४४ युरो तक जा पहुँची थी। यह यूरोपिय देशों का रिकार्ड साबित हुआ था। इसके बावजूद बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही है और जनवरी में यूरोपिय देशों में बिजली की कीमतों में कुल २८ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ती कीमत की तीव्रता कम करने के लिए यूरोपिय देशों ने बिजली के बिलों पर अनुदान देने के अलावा कर कम करने का रास्ता चुना है।

Christine-Lagardeलेकिन, रशिया-यूक्रैन युद्ध का साया अभी भी बरकरार होने से बिजली की कीमतों में अधिक बढ़ोतरी होने के संकेत यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रमुख ने जारी किए हुए इशारे से प्राप्त हो रहे हैं। ‘यूरोप पर मंड़रा रहा भू-राजनीतिक संकट सच्चाई में उतरने पर इसका ईंधन की किमतों पर बड़ा असर पडेगा। बिजली की कीमतों के अलावा अन्य कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। संकट की अवधि बढ़ने पर यूरोपिय देशों की माँग, निवेश एवं आय में भी गिरावट आने के आसार हैं’, यह इशारा लगार्ड ने दिया।

यूरोप के बिजली निर्माण में नैसर्गिक ईंधन वायु का हिस्सा काफी बड़ा है। इनमें से ३० प्रतिशत से अधिक ईंधन वायु रशिया से आयात होता है। फिलहाल रशिया यूरोपिय देशों को रोज़ाना तकरीबन २३ करोड़ घनमीटर ईंधन वायु की आपूर्ति करती है। इनमें से लगभग एक तिहाई सप्लाई यूक्रैन की पाइपलाइन द्वारा होती है। रशिया और यूक्रैन के तनाव की पृष्ठभूमि पर यह सप्लाई प्रभावित या खंड़ित होने का ड़र है। ऐसा हुआ तो यूरोप में बिजली उत्पादन प्रभावित होकर बिजली की कीमतों का विस्फोट होने की संभावना है। इस ‘एनर्जी क्राईसिस’ का सीधा असर यूरोप की अर्थव्यवस्था पर हो सकता है, ऐसे संकेत यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रमुख लैगार्ड के बयान से प्राप्त हो रहे हैं।

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