‘डस्ट वॉल’ अमरीका के दुश्‍मन देशों के ‘हायपरसोनिक’ मिसाइलों को नाकाम करेगी – अमरिकी अभ्यासगुट का दावा

dust-wall-us-2वॉशिंग्टन – हायपरसोनिक मिसाइलों की होड़ में रशिया और चीन ने अमरीका पर बढ़त बनाई होने का दावा किया जा रहा है। उत्तर कोरिया भी अब हायपरसोनिक मिसाइल से लैस होने का दावा करके, उसके निशाने पर अमरीका होने का बयान बड़े जोरों से कर रहा है। इसकी तुलना में हायरपसोनिक मिसाइलों को रोकने के लिए आवश्‍यक हवाई सुरक्षा यंत्रणा अपने पास मौजूद ना होने का इशारा अमरिकी विश्‍लेषकों ने पहले ही दिया था। लेकिन, ‘डस्ट वॉल’ यंत्रणा हायपरसोनिक मिसाइलों को नष्ट कर सकेगी, यह दावा अमरीका के नामांकित अभ्यासगुट ने किया है।

‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक ॲण्ड इंटरनैशनल स्टडीज्‌’ (सीएसआईएस) नामक अमरिकी अभ्यासगुट ने तैयार की हुई रपट में यह कहा है कि, हायपरसोनिक मिसाइलों के लिए ‘डस्ट वॉल’ का विकल्प उचित जवाब साबित होगा। हायपरसोनिक मिसाइलों के खतरे के विरोध में ‘डस्ट पार्टिकल्स’ यानी खास प्रक्रिया करके बनाए मिट्टी के कणों के बादल यानी ‘एक्कीस की सदी की तोंप’ होने का दावा टॉम कराको और मसावो दालग्रेन ने किया। ‘सीएसआईएस’ की रपट में उन्होंने यह बात दर्ज़ की हैं। रेथॉन टेक्नॉलॉजी और लोकहिड मार्टीन नामक अमरिकी रक्षा सामान निर्यात क्षेत्र की शीर्ष कंपनियाँ इसपर काम कर रही हैं।

dust-wall-us-1फिलहाल विश्‍वभर के प्रमुख देशों ने प्रगत एवं अति प्रगत हवाई सुरक्षा यंत्रणा प्राप्त की है। लेकिन, यह हवाई सुरक्षा यंत्रणा सिर्फ बैलेस्टिक मिसाइलों को रोक सकती है, इस मुद्दे पर इस अभ्यासगुट ने ध्यान आकर्षित किया है। ध्वनी से पांच गुना अधिक गति से आगे बढ़कर अपनी राड़ार यंत्रणा को चकमा देने के साथ अपनी दिशा में बदलाव करने की क्षमता रखनेवाले हायपरसोनिक मिसाइलों के विरोध में, अबतक किसी भी तरह की हवाई सुरक्षा यंत्रणा का निर्माण नहीं हुआ है। अमरीका की ‘मिसाइल डिफेन्स एजेन्सी’ हायपरसोनिक मिसाइलों के खतरे के विरोध में ‘मल्टीलेयर’ यानी बहुस्तरीय हवाई सुरक्षा यंत्रणा को लेकर विचार कर रही है। लेकिन, ऐसी यंत्रणा का निर्माण करने के लिए और कुछ वर्ष प्रतिक्षा करनी होगी, ऐसा इस अभ्यासगुट ने कहा है।

इसके बजाय ‘डस्ट वॉल’ की तकनीक अधिक प्रभावी साबित होगी। क्योंकि, यह यंत्रणा शत्रु के हायपरसोनिक मिसाइलों की दिशा में इस्तेमाल करने पर, इससे शत्रु के मिसाइलों को नाकाम करना मुमकिन होगा। या इनके मार्ग में बदलाव किया जा सकता है, यह दावा ‘सीएआईएस’ ने अपनी रपट में किया है। धूल के ये कण मेटैलिक या पायरोटैक्निक हो सकते हैं, यह सुझाव भी इस अभ्यासगुट ने दिया है। हायपरसोनिक मिसाइलों की गति के कारण यह यंत्रणा अधिक प्रभावी साबित होगी, ऐसा इस अभ्यासगुट ने अपनी रपट में कहा है।

हायपरसोनिक मिसाइलों को गेमचेंजर के तौर पर जाना जाता है। इन मिसाइलों से युद्ध का पलडा घुमाया जा सकता है, ऐसा इन सैन्य विश्‍लेषकों का कहना है। रशिया ने ‘एैवानगार्ड’ हायपरसोनिक मिसाइल प्राप्त किए हैं और जल्द ही इसकी तैनाती होगी, यह ऐलान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने कुछ हफ्ते पहले ही किया था। चीन ने भी हायपरसोनिक मिसाइल का ‘प्रोटोटाईप’ विकसित करने का ऐलान किया था।

ऐसी स्थिति में शत्रुदेश के हायपरसोनिक मिसाइलों को जवाब देने के लिए ‘डस्ट वॉल’ निर्णायक साबित होगी, यह अमरिकी अभ्यासगुट ने किया दावा ध्यान आकर्षित कर रहा है। खास तौर पर युक्रेन के मसले पर रशिया बनाम अमरीका-नाटो युद्ध छिड़ जाएगा, यह चिंता जताई जा रही है और ऐसें में डस्ट वॉल की उजागर हुई जानकारी महज़ संयोग नहीं है। बल्कि यह रशिया को चेतावनी देने के लिए अमरीका की रणनीति का हिस्सा होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

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