सदोष ‘टेस्टिंग किटस्‌’ की आपूर्ति करनेवाले चीन को दिया भारत ने झटका

नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था) – भारत को सदोष रैपिड टेस्टिंग किटस्‌ की आपूर्ति करनेवाले देशों के ये किटस्‌ वापस किए जाएँगे। साथ ही, इन किटस्‌ का एक पैसा भी संबंधित देशों को दिया नहीं जाएगा, ऐसी कड़ी भूमिका केंद्र सरकार ने अपनाई है। चीन से आयात किए गए अँटिबॉडी किटस्‌ के बारे में प्राप्त हुईं शिकायतों के बाद, देशभर में रैपिड टेस्टिंग बंद करने का निर्णय सरकार ने किया था। साथ ही, इस मामले की और आयात किटस्‌ की जाँच करने के निर्देश दिए गए थे। जाँच अहवाल प्राप्त होने के बाद रैपिड टेस्टिंग के बारे में अगले निर्देश दिए जाएँगे, यह ऐलान ‘इंडियन कौन्किल ऑफ मेडिकल रिसर्च संस्था’ (आयसीएमआर) ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर, केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्ष वर्धन ने सरकार की भूमिका स्पष्ट की। इसके जरिए भारत ने सदोष किटस्‌ की आपूर्ति कर रहें चीन को कडा इशारा दिया दिखाई दे रहा है।

देश में कोरोना वायरस की महामारी का मुकाबला करने के लिए सरकार अलग अलग स्तर पर काम कर रही है। देश में अधिक से  अधिक कोरोना परीक्षण करने की कोशिश सरकार कर रही है। प्रति दिन एक लाख टेस्टिंग करने की क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य सामने रखा गया है। फिलहाल प्रति दिन ३० हजार से भी अधिक परीक्षण हो रहें हैं। लेकिन देश में कोरोना का परीक्षण बढ़ाने की सरकार की इस मुहिम को सदोष टेस्टिंग किटस्‌ की वजह से झटका लगा था। एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने ३७ लाख अँटिबॉडी किटस्‌ मँगवाए हैं। चीन, दक्षिण कोरिया और सिंगापूर जैसे देशों से ये किटस्‌ आयात किए जा रहे हैं। इनमें से करीबन सात लाख किटस्‌ भारत को अबतक प्राप्त हुए हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश किट्स्‌ चीन की कंपनियों के हैं।

पिछले हफ्ते चीन से पाँच लाख टेस्टिंग किटस्‌ भारत को प्राप्त हुए थे। ये रैपिड टेस्टिंग किटस्‌ कुछ राज्यों को प्रदान किए गए थे। लेकिन इन राज्यों ने ये टेस्टिंग किटस्‌ सदोष निदान कर रहे हैं, ऐसी शिकायतें दर्ज की थीं। इन टेस्टिंग किटस्‌ के जरिए ९० प्रतिशत सटीक निदान होना अपेक्षित था, मग़र सिर्फ ५.४ प्रतिशत परीक्षण सटीक निदान कर रहे थें। इसके बाद रैपिड टेस्टिंग बंद करने के आदेश सरकार ने जारी किए थे। इसके बाद कई सवाल किए जा रहें हैं। सरकार का करोडों रुपयों का खर्च इससे बर्बाद होने का आरोप भी हुआ। साथ ही, चीन ने विश्‍वासार्हता खोई है और ऐसें में चीन से ये किटस्‌ क्यों मँगवाएँ गए, ऐसें सवाल भी पूछे जा रहें हैं। इन सवालों के जवाब केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्ष वर्धन ने शुक्रवार के दिन दिए।

सदोष टेस्टिंग किटस्‌ किसी भी देश के हो, उन संबंधित देशों को वापस लौटाये जाएँगे। चीन का भी इसमें समावेश होता है, यह बात केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्ष वर्धन ने स्पष्ट की। साथ ही, इन किटस्‌ का बिल अभी चुकाया नहीं गया है और सदोष किटस्‌ के पैसे दिए नहीं जाएँगे, यह बात भी स्वास्थ्यमंत्री ने स्पष्ट की।

चीन से प्रदान हो रहें पीपीई और रैपिड टेस्टिंग किटस्‌ के बारे में दुनियाभर से शिकायतें प्राप्त हो रहीं हैं। इससे पहले कुछ युरोपियन देशों ने खराब किटस्‌ देने पर चीन की कडी आलोचना की थी। साथ ही, ऐसें संकट के दौर में चीन सदोष किटस्‌ और वैद्यकीय उपकरण बेचकर फ़ायदा प्राप्त कर रहा है, ऐसें गंभीर आरोप हुए थे। युरोपिय देशों ने करीबन २० लाख टेस्टिंग किटस्‌ वापस लौटाए थे। इन युरोपिय देशों ने लौटाए किटस्‌ की चीन ने भारत को बिक्री की है, यह आरोप होना शुरू हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने ये सदोष रैपिड टेस्टिंग किटस्‌ वापस लौटाने का निर्णय करके चीन को झटका दिया है।

सदोष किटस्‌ से संबधित खबरें सामने आने पर चीन ने भारत से हर तरह का सहयोग करने का वादा किया था। लेकिन जिन दो चिनी कंपनियों ने इन किटस्‌ की आपूर्ति की, उन कंपनियों ने अपने टेस्टिंग किट्स्‌ सदोष होने का आरोप ठुकराया था और हमनें ये किटस्‌ पूरी जाँच करने के बाद ही भेजीं थीं, यह दावा किया। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी यह बात रखी है।

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