इस वर्ष ठंड़ का मौसम यूक्रेन की जनता के लिए जानलेवा साबित होगा – वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की चेतावनी

किव – ‘यूक्रेन की आधे से अधिक बिजली वितरण व्यवस्था तबाह हो चुकी है। इसका बड़ा असर यूक्रेन की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी पड रहा है। यूक्रेनी जनता के स्वास्थ्य के लिए भी बड़े खतरे दिखाई देने लगे हैं। इस वर्ष की ठंड़ यूक्रेनी नागरिकों के लिए जीवन-मृत्यु की जंग साबित होगी’, ऐसी गंभीर चेतावनी ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन’ (डब्ल्यूएचओ) ने दी है। सुरक्षा और ऊर्जा के लिए यूक्रेन के कम से कम २० से ३० लाख नागरिकों को इस मौसम में स्थानांतरण करना पडेगा, यह इशारा ‘डब्ल्यूएचओ’ के वरिष्ठ अधिकारी हैन्स क्लुग ने दिया है।

ठंड़ का मौसमरशिया ने पिछले महीने से यूक्रेन के शहरों पर नियमित मिसाइल और ड्रोन हमलें शुरू किए थे। इन हमलों में यूक्रेन के सैन्य ठिकानों के अलावा बिजली यंत्रणा एवं बुनियादी सुविधाओं को लक्ष्य किया गया। इस वजह से यूक्रेन की राजधानी किव समेत कई शहरों के कुल एक करोड़ नागरिकों की बिजली और पानी की सप्लाई बाधित हुई है। कुछ दिन पहले देश में बिजली की बचत के लिए यूक्रेनी नागरिक देश छोड़ने का विकल्प अपनाएं, ऐसी सलाह ‘डीटीईके’ नामक यूक्रेन की प्रमुख बिजली कंपनी ने दी थी। साथ ही यूक्रेन की सहायता कर रहे देश ब्लैंकेटस्‌‍ शीघ्रता से सप्लाई करें, यह बिनती भी यूक्रेन सरकार ने की है।

ठंड़ का मौसमपिछले कुछ दिनों में यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में तापमान शून्य डिग्री के करीब पहुँचा है और कई स्थानों पर भारी बर्फ जमा होने लगी है। ऐसी स्थिति में बिजली एवं हीटिंग यंत्रणा उपलब्ध ना होना यूक्रेनी जनता की चुनौतियां अधिक बढ़ा रहा है। इसकी वजह से अब यूक्रेन सरकार ने शहरों से नागरिकों का स्थानांतरण करने का अभीयान शुरू किया है। खेर्सान एवं मायकोलेव शहरों के नागरिकों का स्थानांतरण शुरू होने की जानकारी स्थानीय यंत्रणाओं ने प्रदान की। यूक्रेन के विभिन्न शहरों का ‘ब्लैक आऊटस्‌‍’ मार्च तक जारी रहेंगे, ऐसे संकेत भी दिए गए हैं।

यूक्रेन के बाद यूरोपिय देशों को भी कड़ी ठंड़ का मुकाबला करना पडेगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है। रशिया से होनेवाली नियमित ईंधन सप्लाइ बंद होने से यूरोप के कई देशों में बिजली के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। कुछ शहरों में लोडशेडिंग किए जाने की खबरें भी प्रसिद्ध हुई हैं। कुछ यूरोपिय देशों ने पूराने बंद पड़े ऊजा प्रकल्प शुरू किए हैं। ऐसे में नागरिकों ने सीधे जंगल से लकड़ी लाकर घरों में गरमी बनाए रखने की कोशिश शुरू की है।

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